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कोरबा: उद्योगों के लिए अधिग्रहित जमीन वापस मांग रहे किसान, सरकार से की ये अपील

कोरबा: जिले के किसानों, नौजवानों और महिलाओं ने मंगलवार को पैदल मार्च निकाली. ये मार्च गंगानगर से होकर कोरबा कलेक्ट्रेट तक पहुंची. आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे. लेकिन पुलिस ने आंदोलनकारियों को बैरिकेड्स लगा कर कोसाबाड़ी चौक पर ही रोक लिया.

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Published : Feb 26, 2019, 9:47 PM IST

कोरबा

आंदोलनकारियों ने बताया कि साल 1960 से कोयला खदानों, बिजली संयंत्र और अन्य उद्योगों के लिए हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर जमाखोरी की गई. हालांकि इन जमीनों का कोई भी उपयोग नहीं हुआ और कुछ खदानें और उद्योग बंद भी हो गए. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि बस्तर की तरह उन्हें भी उनकी जमीन वापस मिले.

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आंदोलनकारियों का आरोप है कि उन्हें आज तक विस्थापन के बदले रोजगार नहीं दिया गया. उनका कहना है कि रोजगार के लंबित मामले का तत्काल निराकरण कर स्थाई या अस्थाई रोजगार प्रदान किया जाए. इसके अलावा नए अधिग्रहण के मामले में बाजार भाव से चार गुना अधिक मुआवजा सभी खातेदारों और अन्य आश्रित परिवार के सदस्यों को रोजगार प्रदान किया जाए.

इनकी अन्य मांगे हैं:

  • शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए केंद्रीय और डीएवी सहित अन्य शिक्षा संस्थानों में निशुल्क शिक्षा और चिकित्सा प्रदान किया जाए. इस जिले में विस्थापितों को शिक्षा, रोजगार और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राथमिकता दिया जाएं.
  • भू विस्थापितों को भू स्थापित प्रमाण जारी किया जाएं.
  • वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत जिले के नगर निकायों में भी शामिल वन भूमि पर काबिज हितग्राहियों को पट्टे दिए जाएं.
  • जिला खनिज न्यास निधि का उपयोग खान और खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित ग्रामों में होना सुनिश्चित किया जाए.
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आंदोलनकारियों ने बताया कि साल 1960 से कोयला खदानों, बिजली संयंत्र और अन्य उद्योगों के लिए हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर जमाखोरी की गई. हालांकि इन जमीनों का कोई भी उपयोग नहीं हुआ और कुछ खदानें और उद्योग बंद भी हो गए. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि बस्तर की तरह उन्हें भी उनकी जमीन वापस मिले.

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आंदोलनकारियों का आरोप है कि उन्हें आज तक विस्थापन के बदले रोजगार नहीं दिया गया. उनका कहना है कि रोजगार के लंबित मामले का तत्काल निराकरण कर स्थाई या अस्थाई रोजगार प्रदान किया जाए. इसके अलावा नए अधिग्रहण के मामले में बाजार भाव से चार गुना अधिक मुआवजा सभी खातेदारों और अन्य आश्रित परिवार के सदस्यों को रोजगार प्रदान किया जाए.

इनकी अन्य मांगे हैं:

  • शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए केंद्रीय और डीएवी सहित अन्य शिक्षा संस्थानों में निशुल्क शिक्षा और चिकित्सा प्रदान किया जाए. इस जिले में विस्थापितों को शिक्षा, रोजगार और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राथमिकता दिया जाएं.
  • भू विस्थापितों को भू स्थापित प्रमाण जारी किया जाएं.
  • वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत जिले के नगर निकायों में भी शामिल वन भूमि पर काबिज हितग्राहियों को पट्टे दिए जाएं.
  • जिला खनिज न्यास निधि का उपयोग खान और खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित ग्रामों में होना सुनिश्चित किया जाए.
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Intro:किसानों, नौजवानों और महिलाओं ने मंगलवार को पैदल मार्च निकाली। गंगानगर से कोरबा कलेक्टरेट तक करीब 25 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली गई। सालों पूर्व से अधिग्रहित जमीन की वापसी, पुनर्वास ग्रामों का समुचित विकास, भूमि का मालिकाना हक जैसी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे। हालांकि पुलिस ने आंदोलनकारियों को बैरिकेट्स लगा कर कोसाबाड़ी चौक पर ही रोक लिया।


Body:आंदोलनकारियों का कहना है कि 1960 से कोयला खदानों बिजली संयंत्र और अन्य उद्योगों के लिए हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर जमाखोरी किया गया। हालांकि इन जमीनों का कोई भी उपयोग नहीं हुआ और कुछ खदानें और उद्योग बंद भी हो गए। हमारी मांग है कि बस्तर की तरह हमें भी हमारी जमीन वापस मिले।
इन आंदोलनकारियों की यह भी मांग है कि कोयला खदानों के द्वारा पुनर्वास के तहत दिए गए बसाहट गांव में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा पुराने बसाहटों में नए गांवों को जोर जबरदस्ती बसाहट देने से नई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। उनका आरोप है कि भेड़ बकरियों की तरह सभी भू विस्थापितों को एक जगह ठूंस दिया गया है, जिससे कई सामाजिक परेशानियां हो रही हैं।
आंदोलनकारियों का आरोप है कि इन्हें आज तक विस्थापन के बदले रोजगार नहीं दिया गया है। इनका कहना है कि रोजगार के लंबित मामले का तत्काल निराकरण कर स्थाई या अस्थाई रोजगार प्रदान किया जाए। नए अधिग्रहण के मामले में बाजार भाव से 4 गुना अधिक मुआवजा सभी खातेदारों और अन्य आश्रित परिवार के सदस्यों को रोजगार प्रदान किया जाए।

इनकी अन्य मांगे हैं:
•शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए केंद्रीय और डीएवी सहित अन्य शिक्षा संस्थानों में निशुल्क शिक्षा एवं चिकित्सा प्रदान किया जाए। इस जिले में विस्थापितों को शिक्षा रोजगार और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राथमिकता दिया जाए।
•भू विस्थापितों को भूख स्थापित प्रमाण जारी किया जाए
•वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत कोरबा जिले के नगर निकायों में भी शामिल वन भूमि पर क़ाबिज़ों हितग्राहियों को पट्टे दिए जाएं।
•जिला खनिज न्यास निधि का उपयोग खान और खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित ग्रामों में होना सुनिश्चित किया जाए।

बाइट- सपूरण दास कुलदीप, जिला सचिव, माकपा


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