कोरबा: कोविड-19 अस्पतालों से लगातार अव्यवस्थाओं की खबरे सामने आ रही हैं. सोमवार को शहर में एक वीडियो जमकर वायरल हुआ. वीडियो में ट्रामा सेंटर के बाहर एक कोविड पेशेंट को इलाज के लिए गाड़ी में ही घंटों इंतजार करना पड़ा था. परिजन मरीज की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे जहां उसे जगह नहीं दी जा रही थी. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में 60 बेड हैं और सभी भर चुके हैं. अस्पताल ने मरीज को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने कहा था, लेकिन परिजन उस अस्पताल में ही भर्ती किए जाने की जिद पर अड़े थे.
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दीपका क्षेत्र के 30 वर्षीय युवक रविंद्र कुछ दिन पहले कोविड पॉजिटिव आए थे. होम आइसोलेशन में उनका इलाज जारी था, लेकिन सोमवार को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. तब उनके बहनोई रमेश यादव उन्हें एक निजी वाहन में लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे थे. रविंद्र की हालत बिगड़ते ही जा रही थी. अस्पताल ने जगह नहीं होने की बात कही. इस बात को लेकर अस्पताल स्टॉफ और मरीज के परिजन के बीच नोकझोंक भी हुई. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ.
4 घंटे बाहर इंतजार करता रहा मरीज
बेड नहीं होने की वजह से मरीज और उसके परिजन 4 घंटे तक बाहर की इंतजार करते रहे. अस्पताल ने उन्हें स्याहीमुड़ी सिपेट के कोविड सेंटर जाने को कहा.
कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद मरीज को किया भर्ती
ट्रामा सेंटर में जगह नहीं होने के कारण मरीज को सिपेट कोविड केयर सेंटर ले जाया गया. इलाज की पर्याप्त सुविधा और ऑक्सीजन बेड का इंतजाम नहीं है. इस दौरान ये मामला कलेक्टर तक पहुंचा और उनके हस्तक्षेप के बाद मरीज को वापस ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया. अस्पताल में किसी तरह एक बेड की जगह बनाकर रविंद्र का इलाज कराया गया.
अस्पताल में है 60 बेड की सुविधा
ट्रामा सेंटर के कोविड-19 अस्पताल के प्रभारी डॉ जैन ने बताया कि उनके अस्पताल में सिर्फ 60 बेड की सुविधा है. इसके अलावा और 14 बिस्तर बढ़ाकर क्षमता से ज्यादा मरीजों को पहले ही रखा गया है. मरीज और बढ़ते है तो व्यवस्था बिगड़ जाएगी. यह वजह थी मरीज को दूसरे अस्पताल में भेजा गया था, लेकिन परिजन लगातार ट्रामा सेंटर में ही भर्ती किए जाने की बात पर अड़े हुए थे.
नहीं बढ़ी बेड की संख्या
बेड की संख्या भी लगभग उतनी ही है, जितनी की एक साल पहले शुरुआती दौर में हुआ करती थी. अफसर आंकड़ों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लेने की बात तो कहते हैं, लेकिन सच यह है कि व्यवस्था चरमराने लगी है. जिले में जितनी तादात में मरीज सामने आ रहे हैं, उसके अनुपात में व्यवस्थाएं मौजूद नहीं हैं.