कोरबा: कहते हैं कि असली भारत गांवों में बसता है, लेकिन गांव की सरकार में फिलहाल कुछ ठीक नहीं चल रहा है. जिला पंचायत में पहुंचे सदस्यों ने एजेंडा बदलने की बात से खफा होकर सामान्य सभा की बैठक का बहिष्कार कर दिया. जबकि पंचायती राज अधिनियम के तहत अध्यक्ष किसी भी समय एजेंडा जोड़ सकते हैं.
बैठक के दौरान किसी भी एजेंडे पर चर्चा हो सकती है. अध्यक्ष के पास इसका विशेषाधिकार होता है. बावजूद इसके जिला पंचायत सीईओ पर एजेंडा हटा देने का आरोप मढ़कर गुरुवार को सदस्यों ने सामान्य सभा की बैठक का बहिष्कार कर दिया.
वन विभाग की समीक्षा वाले एजेंडा पर रार
जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही सदस्यों ने बताया कि सामान्य सभा की बैठक में वन विभाग की समीक्षा का एजेंडा रखा गया था. लेकिन जिला पंचायत के सीईओ जोकि सामान्य सभा की बैठक के सचिव भी होते हैं. उन्होंने एजेंडा हटा दिया. जिसके कारण ही सामान्य सभा की बैठक का बहिष्कार किया गया है.
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सीईओ के आदेश के बाद पहली बैठक
हाल ही में जिला पंचायत के सीईओ कुंदन कुमार सिंह ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि महिला जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों का दखल कार्यालयों में वर्जित होगा. यदि किसी महिला जनप्रतिनिधि के आदेश जिला जनपद या ग्राम पंचायत स्तर पर किसी पर भी दबाव बनाते हुए या कार्यालय में कार्यों में दखल देंगे तो कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश के बाद भी मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. सीईओ के इस आदेश के बाद जिला पंचायत में कि किसी भी स्थाई समिति की पहली बैठक थी.
जिला पंचायत में 12 में 8 महिला सदस्य
वर्तमान में जिला पंचायत कोरबा में कुल 12 सीटें हैं. जिसमें से 8 सीटों पर महिला जनप्रतिनिधि ने चुनाव जीतकर निर्वाचित हुई. अध्यक्ष शिवकला कंवर के पति पूर्व में सरपंच रहे हैं. जबकि उपाध्यक्ष रीना जयसवाल के पति अजय जयसवाल पूर्व में जिला पंचायत उपाध्यक्ष थे.
विवाद के दौरान महिला जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार और पति भी जिला पंचायत में मौजूद थे.
इस विवाद को महिला जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों के कार्यों में दखल से उपजने की बात भी हो रही है. जानकारी यह भी है कि महिला जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों ने सीईओ को अध्यक्ष के चेंबर में आने को कहा, लेकिन सीईओ ने इनकार कर दिया और कहा कि वह अध्यक्ष से ही बात करेंगे. नाकि उनके रिश्तेदार से, यहीं से विवाद शुरू हुआ और सदस्यों ने सामान्य सभा की बैठक का बहिष्कार कर दिया.
विकास कार्यालय के आगे
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत जिला पंचायत को कई अधिकार हैय ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास कार्य जिला पंचायत के सामान्य सभा से अनुमोदन के बाद ही होते हैं. 15वें वित्त महत्वपूर्ण एजेंडा आज की बैठक में रखा जाना था. जिससे विकास कार्यों के लिए राशि पंचायतों को जारी हो जाए लेकिन सामान्य सभा में इस प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं हो पाया. इस राशि से किसी भी तरह के विकास कार्य नहीं हो पाएंगे. महिला जनप्रतिनिधियों का रिश्तेदार और सीईओ के बीच खींचतान से उपजे विवाद का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र की जनता को उठाना होगा. जहां विकास कार्य लटकेंगे.
गंभीर शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं करते अधिकारी
जिला पंचायत सदस्य संदीप कंवर का कहना है कि एजेंडा बदलने के साथ ही जिला पंचायत में सदस्यों की लगातार उपेक्षा होती है. अधिकारी जिला पंचायत सदस्यों के फोन तक नहीं उठाते हैं. उनके कार्य को प्राथमिकता देने के बजाय वह ध्यान ही नहीं देते है. हमने कई बार शिकायत कर रखी है. इन शिकायतों का क्या हुआ कार्रवाई हुई या नहीं इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. गंभीर शिकायतों पर भी कभी अधिकारियों द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है.
नहीं है जानकारी- जिला पंचायत सीईओ
बैठक के बहिष्कार और विवाद के विषय में जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि एजेंडा हटाने या बदलने की बात को लेकर बैठक का बहिष्कार किया गया है. जबकि इस सम्बंध में मुझे इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है. 9 अगस्त को ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को एजेंडे की कॉपी उपलब्ध कराई गई थी. यदि आपत्ति थी तो सम्मानीय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को मुझे इसकी जानकारी दी जानी चाहिए थी, एजेंडा जुड़ जाता, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. वैसे भी पंचायती राज व्यवस्था के तहत अध्यक्ष कभी भी एजेंडा जोड़ या हटा सकते हैं. उन्हें इसका विशेषाधिकार होता है. इसमें मेरा कोई दखल नहीं होता.