कोरबा: शहर के सीतामढ़ी का नाम माता सीता के नाम पर ही रखे जाने की प्राचीनकाल से कहानियां मशहूर है. मान्यताओं के अनुसार इसी सीता गुफा में प्राचीन काल में प्रभु श्री राम पहुंचे थे. वनवास काल के दौरान लक्ष्मण और सीता के साथ वह यहां ठहरे थे. इसके कारण ही इस स्थान का नाम सीतामढ़ी पड़ा है. इस गुफा में ऋषि के साथ राम लक्ष्मण की मूर्ति आज भी स्थापित है. इस मंदिर में माता सीता के पद चिन्ह के साथ प्राचीन शिलालेख भी हैं. हालांकि इन शिलालेखों की ठीक तरह से व्याख्या अब तक नहीं की जा सकी है.
इसलिए खास है मंदिर : मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही प्राचीन राम गुफा का बोर्ड लगा हुआ है. मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही दाएं तरफ सीता पद चिन्ह हैं. जहां प्राचीन शिलालेख अंकित हैं. पुरातत्व के जानकार बताते हैं कि यह सातवीं से आठवीं शताब्दी के बीच के हैं. जिसमें अष्टद्वार और कौंतडिका गांव नामों के उल्लेख है. मंदिर में ही थोड़ा आगे की तरफ बढ़ने पर एक छोटी सी गुफा है. जहां तीन मूर्तियां रखी हुई है. जिसमें से 2 मूर्तियां राम और लक्ष्मण की हैं. जबकि एक मूर्ति ऋषि मुनि की है. इन मूर्तियों को भी काफी प्राचीन माना जाता है.
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वनवास के दौरान यहां आए थे प्रभु श्री राम : मंदिर के पुजारी मातादीन श्रीवास कहते हैं कि सीतामढ़ी का नाम ही इसलिए रखा पड़ा है, क्योंकि वनवास के दौरान प्रभु श्री राम यहां लक्ष्मण और सीता के साथ आए थे. जिन्होंने इसे कुछ दिन तक अपने ठहरने का स्थान बनाया था. यहां जो शिवलिंग है, वह भी खास है. ऐसी मान्यता है कि यहां उन्होंने भगवान शिव की पूजा भी की थी. पुराने जमाने में यह एक ऋषि मुनि का आश्रम था. शहर तो आज बसा है. पहले यहां घना जंगल हुआ करता था. आसपास लक्ष्मणबन और रामसागर तालाब है. यह सब इस बात के प्रमाण हैं कि प्राचीन काल से इनका नाम सिर्फ इसलिए ही पड़ा है, क्योंकि प्रभु श्री राम वनवास के दौरान आए थे.
मंदिर के नीचे से गुजरता है नाला: प्राचीन सीता गुफा भले ही एक धरोहर है. लेकिन इतने सालों में इसे संरक्षित और संवर्धित नहीं किया जा सका है. मंदिर के नीचे से शहर का एक नाला गुजरता है. जहां से गंदा पानी निकलता है. रेलवे का एक पुराना ब्रिज भी है. कुछ समय पहले ही इस मंदिर का निर्माण जरूर हुआ था, लेकिन जितनी प्राचीन मंदिर की मान्यता है. उस अनुपात में इसे संरक्षित करने के प्रयास अब तक नहीं हुए हैं.