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korba: कोरबा में प्रश्नपत्र छपाई मामले में घोटालेबाज डीईओ पांडे से ऐसे वसूली करेगी सरकार

जिला शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार पांडे के खिलाफ शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. सतीश कुमार पांडे से 7 लाख 38 हजार रुपए की वसूली के साथ ही दो वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय सरकार ने लिया है. सतीश पांडे ने एसएलए परीक्षा में बड़ा घोटाला किया था.Big action against Satish Kumar Pandey

Question paper printing Case in Korba
कोरबा में प्रश्नपत्र छपाई मामला
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Published : Mar 25, 2023, 3:06 PM IST

कोरबा: जिले के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी पर शिक्षा विभाग ने सतीश कुमार पांडे के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. साल 2018-19 के बीच सतीश पांडे ने एसएलए (स्टेट लेवल असेसमेंट) परीक्षा में बड़ा घोटाला किया था. सरकार के आदेशों को दरकिनार करते हुए अपने चाहतों से प्रश्न पत्रों की छपाई कराई थी, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा था. पिछले कई दिनों से इस घोटाले की लगातार जांच चल रही थी. 2 साल बाद डीईओ पांडे को जांच कमेटी ने दोषी पाया है. स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया है. पांडे से 7 लाख 38 हजार रुपए की वसूली के साथ ही दो वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय सरकार ने लिया है.

विवादों से भरा रहा है सतीश पांडे का कार्यकाल: कोरबा के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे का कार्यकाल विवादों से घिरा ही रहा. छत्तीसगढ़ राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा विभाग ने एसएलए परीक्षा मामले में जांच के आदेश दिए थे. संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव की टीम ने मामले की जांच की है. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि डीईओ पांडे को साल 2018-19 में प्रश्न पत्रों की छपाई के लिए 87 लाख 41 हजार 532 रुपए और साल 2019-20 में 76 लाख 14 हजार 816 रुपए सरकार की ओर से मिले थे. इसमें साल 2018-19 में कक्षा पहली से आठवीं तक के एसएलए परीक्षा के प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका की प्रिंटिंग पर सिर्फ 52 लाख 51 हजार 777 रुपए का काम किया गया था.

एक साल बाद किया गया भुगतान: इस कार्य का भुगतान साल 2019-20 में एक साल बाद किया गया. प्रश्न पत्रों की छपाई करने वाले प्रिंटर को 1 लाख 42 हजार 943 रुपए अधिक भुगतान किया गया था. सरकारी पैसों के खर्च के लिए बनाए गए शासन के नियमों का पांडे ने उल्लंघन किया. इतना ही नहीं क्रय समिति के अफसरों को भी अंधेरे में रखा गया था. साल 2018-19 और साल 2019-20 में कक्षा एक से 7वीं तक के बच्चों की परीक्षा होनी थी, जिसके लिए सरकार द्वारा प्रेषित प्रश्न पत्रों की छपाई करानी थी. पांडे ने राज्य सरकार से प्रश्न पत्र मिलने के पहले ही इसकी छपाई करा ली. इसके बाद जब एससीईआरटी से प्रश्नपत्र मिले, तब नए सिरे से एक बार फिर छपाई कराई गई.

यह भी पढ़ें: Raipur: सीएम भूपेश का बीजेपी और रमन सिंह पर हमला

24 किस्तों में की जाएगी रिकवरी : राज्य से मिले प्रश्न पत्रों को दरकिनार कर अपने स्तर पर प्रश्न पत्र छपवाने और प्रिंटर्स को भुगतान करने के बदले पांडे ने सरकार को 7 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान पहुंचाया. जांच कमेटी ने इसके लिए पांडे के वेतन से 24 किस्तों में 7 लाख 38 हजार रुपए की रिकवरी करने का निर्णय लिया है. इस लापरवाही के लिए पांडे के 2 वेतनवृद्धि रोकने का आदेश भी स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है.

ये है पूरा मामला : साल 2018-19 में जब राज्य शासन से अलग प्रश्न पत्र छप गए. तब कोरबा शहर के अंधरीकछार संकुल में शिक्षा विभाग के संकुल समन्वयकों को बुलाकर आधी रात को पर्चे बांटे गए थे, जिसकी परीक्षा अगले दिन सुबह होनी थी. इस मामले ने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थी. कोरबा जिले के तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने स्थानीय समाचारों के आधार पर जांच के आदेश दिए थे. जांच में गड़बड़ी की पुष्टि भी हुई. लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी, जिसके बाद इस मामले की जांच चल रही थी. अब 3 साल बाद डीईओ पांडे दोषी करार दिए गए.

कोरबा: जिले के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी पर शिक्षा विभाग ने सतीश कुमार पांडे के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. साल 2018-19 के बीच सतीश पांडे ने एसएलए (स्टेट लेवल असेसमेंट) परीक्षा में बड़ा घोटाला किया था. सरकार के आदेशों को दरकिनार करते हुए अपने चाहतों से प्रश्न पत्रों की छपाई कराई थी, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा था. पिछले कई दिनों से इस घोटाले की लगातार जांच चल रही थी. 2 साल बाद डीईओ पांडे को जांच कमेटी ने दोषी पाया है. स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया है. पांडे से 7 लाख 38 हजार रुपए की वसूली के साथ ही दो वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय सरकार ने लिया है.

विवादों से भरा रहा है सतीश पांडे का कार्यकाल: कोरबा के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे का कार्यकाल विवादों से घिरा ही रहा. छत्तीसगढ़ राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा विभाग ने एसएलए परीक्षा मामले में जांच के आदेश दिए थे. संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव की टीम ने मामले की जांच की है. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि डीईओ पांडे को साल 2018-19 में प्रश्न पत्रों की छपाई के लिए 87 लाख 41 हजार 532 रुपए और साल 2019-20 में 76 लाख 14 हजार 816 रुपए सरकार की ओर से मिले थे. इसमें साल 2018-19 में कक्षा पहली से आठवीं तक के एसएलए परीक्षा के प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका की प्रिंटिंग पर सिर्फ 52 लाख 51 हजार 777 रुपए का काम किया गया था.

एक साल बाद किया गया भुगतान: इस कार्य का भुगतान साल 2019-20 में एक साल बाद किया गया. प्रश्न पत्रों की छपाई करने वाले प्रिंटर को 1 लाख 42 हजार 943 रुपए अधिक भुगतान किया गया था. सरकारी पैसों के खर्च के लिए बनाए गए शासन के नियमों का पांडे ने उल्लंघन किया. इतना ही नहीं क्रय समिति के अफसरों को भी अंधेरे में रखा गया था. साल 2018-19 और साल 2019-20 में कक्षा एक से 7वीं तक के बच्चों की परीक्षा होनी थी, जिसके लिए सरकार द्वारा प्रेषित प्रश्न पत्रों की छपाई करानी थी. पांडे ने राज्य सरकार से प्रश्न पत्र मिलने के पहले ही इसकी छपाई करा ली. इसके बाद जब एससीईआरटी से प्रश्नपत्र मिले, तब नए सिरे से एक बार फिर छपाई कराई गई.

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24 किस्तों में की जाएगी रिकवरी : राज्य से मिले प्रश्न पत्रों को दरकिनार कर अपने स्तर पर प्रश्न पत्र छपवाने और प्रिंटर्स को भुगतान करने के बदले पांडे ने सरकार को 7 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान पहुंचाया. जांच कमेटी ने इसके लिए पांडे के वेतन से 24 किस्तों में 7 लाख 38 हजार रुपए की रिकवरी करने का निर्णय लिया है. इस लापरवाही के लिए पांडे के 2 वेतनवृद्धि रोकने का आदेश भी स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है.

ये है पूरा मामला : साल 2018-19 में जब राज्य शासन से अलग प्रश्न पत्र छप गए. तब कोरबा शहर के अंधरीकछार संकुल में शिक्षा विभाग के संकुल समन्वयकों को बुलाकर आधी रात को पर्चे बांटे गए थे, जिसकी परीक्षा अगले दिन सुबह होनी थी. इस मामले ने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थी. कोरबा जिले के तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने स्थानीय समाचारों के आधार पर जांच के आदेश दिए थे. जांच में गड़बड़ी की पुष्टि भी हुई. लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी, जिसके बाद इस मामले की जांच चल रही थी. अब 3 साल बाद डीईओ पांडे दोषी करार दिए गए.

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