कोरबा: केंद्र सरकार आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजाद भारत का अमृत महोत्सव मना रही है. इस दौरान घर घर तिरंगा अभियान की मुहिम चल रही (har ghar tiranga campaign in Korba ) है. इसी बीच कोरबा शहर में नगर निगम ने स्ट्रीट लाइट के खंभों पर तिरंगा लाइट लगाए थे. यह लाइट कुछ महीनों में खराब हो चुके (tiranga lights on street light poles of Korba went off ) हैं. विपक्षी पार्षदों का आरोप है कि इस काम में भ्रष्टाचार हुआ है. ये लाइटें कुछ दिनों तक तो जगमगाते रहे लेकिन अब इनमें से ज्यादातर की बत्ती गुल हो चुकी है. स्ट्रीट लाइट खंभे की ऊंचाई 10 से 12 मीटर होती है. इनमें रस्सी की तरह विशेष तरह के एलईडी लाइट को लपेटा गया था. ये लाइट जब तक चालू हालत में रही तब तक आकर्षण का केंद्र रही, लेकिन अब बंद होने के बाद लोगों को दिक्कत हो रही है.
हर खंभे पर 10 हजार का खर्चा: खंभों पर एलईडी लाइट्स को अब से लगभग 6 से 8 महीने पहले फिट किया गया था. शहर के टीपी नगर से लेकर निहारिका, पावर हाउस रोड और सुनालिया पुल के पास मुख्य मार्ग पर लाइट लगाई गई थी. खंभों पर एलईडी लाइट को इस तरह से फिट किया गया था कि यह तिरंगे का रूप ले लें. जब यह लाइट जगमगाती थी, तब केसरिया, श्वेत और हरे रंग की छटा बिखर जाती. पूरा शहर तिरंगामय हो जाया करता था. एक कतार में खंभे तिरंगे जैसे प्रतीत होते थे. शाम होते ही लाइटों को ऑन कर दिया जाता था, जो रात भर जगमगाती रहती थी. जब लाइटों को खंभों पर फिट किया गया था तब यह शहरवासियों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र थी. लेकिन अब जब यह लाइट ठीक तरह से काम नहीं कर रही तब अलग-अलग खंभों से तिरंगे का एक या दो रंग लाइटों से गायब दिख रहा है. पार्षदों का आरोप है कि प्रत्येक खंभों पर तिरंगा लाइटिंग के लिए 10 हजार का खर्चा किए जाने का अनुमान है. शहर में 100 से अधिक खंभों पर तिरंगा लाइटों को फिट किया गया था.
पार्षद पति ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप: इस विषय में वार्ड नंबर 2 के पार्षद पति विकास अग्रवाल का कहना है कि, "न सिर्फ स्ट्रीट लाइट बल्कि नगर निगम ने मेरा कोरबा, मोर कोरबा के विशेष तरह के ग्लो साइन बोर्ड चौक-चौराहों पर लगाए हैं. लाइट तो बंद हुई है. साथ ही साइन बोर्ड भी टूट-फूट गए हैं. इनमें भी लाइट नहीं जल रही है. इनके जरिए व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है, जिस पर आयुक्त और मेयर दोनों को ही संज्ञान लेना चाहिए. यदि वह संज्ञान नहीं लेते. तो हम इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएंगे. लोगों को बताएंगे कि नगर पालिक निगम कोरबा में घोटाला हुआ है.
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1 वर्ष तक संधारण की शर्त : तिरंगा स्ट्रीट लाइट की निविदा जब नगर पालिक निगम ने आमंत्रित की थी. तभी यह शर्त रखी थी कि लाइटें लगाए जाने के बाद संबंधित ठेकेदार 1 वर्ष तक इनका संधारण करेगा. लाइट लगने से अब तक कुछ महीनों का समय बीता है और लाइट में खराबी आ गई है. हालांकि यह विशेष तरह की एलईडी लाइट थी, जिन्हें अधिक समय तक चालू रखने पर भी खराबी नहीं आने की बात जानकार कहते हैं. लेकिन इनका कुछ महीनों बाद ही खराब हो जाना... एलईडी लाइट की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रहा है.
संबंधित ठेकेदार को निर्देशित किया गया: एलईडी लाइट और ग्लो साइन बोर्ड के खराब होने के मामले में आयुक्त प्रभाकर पांडे का कहना है कि "तिरंगा लाइटें 6 से 8 महीने पहले फिट की गई थी जिसका काम संबंधित ठेकेदार को 1 साल तक करना है. हमने ठेकेदार को लाइट की मरम्मत करने को कहा है. साइन बोर्ड टूटने-फूटने और लाइट नहीं जलने की भी हमने जांच कराई है. इसके कनेक्शन ठीक तरह से नहीं किए गए थे. इसकी मरम्मत की जा रही है."