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Hanuman Jayanti Special: कोरबा का हनुमानगढ़ी, जहां सीता को खोजने के दौरान ठहरे थे भगवान हनुमान

Hanuman Jayanti Special: कोरबा के कटघोरा में स्थित हनुमानगढ़ी जहां सीता को ढ़ूंढ़ने को दौरान हनुमान ठहरे थे. यहां हनुमान के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं.

Hanuman Jayanti Special
हनुमान जयंती स्पेशल
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Published : Apr 15, 2022, 11:32 PM IST

कोरबा: हनुमान जयंती पर (Hanuman Jayanti Special) कोरबा के कटघोरा में मौजूद हनुमानगढ़ी की (Korba Katghora Hanumangarhi) मान्यताओं से आज हम आपको अवगत कराएंगे. मान्यता है कि सीताहरण के बाद वीर हनुमान यहां ठहरे थे. हनुमान के पैरों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं, जिसके कारण हनुमानगढ़ी में हनुमान जयंती हो या फिर आम दिन दूर-दूर से हनुमान भक्त यहां पहुंचते हैं.

हनुमानगढ़ी की महिमा

कभी नहीं सूखता यहां का पानी: हनुमानगढ़ी मंदिर कटघोरा (Hanumangarhi Temple Katghora) अंबिकापुर मार्ग पर कोरबा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर चक चकवा पहाड़ की चोटी पर स्थापित है. जहां का नजारा बेहद मनोरम है. मंदिर के विषय में एक किवदंती विख्यात (Specialties of Korba Hanumangarhi) है. जिसके अनुसार रावण ने जब माता सीता का हरण कर लिया था तब हनुमान उन्हें ढूंढने निकले थे. इसी दौरान वह चक चकवा पहाड़ पर ठहरे थे. यहां उनके पैरों के निशान बन गए थे.

इस पहाड़ पर एक पैर का निशान आज भी मौजूद है. निशान से बने गड्ढे में साल के 12 महीने पानी भरा रहता है. यह पानी कभी नहीं सूखता. लोग इसे बजरंगबली का चमत्कार कहते हैं. पहाड़ की चोटी पर भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का भव्य मंदिर भी है. हनुमान की पहली प्रतिमा यहां पर सन 1974 में स्थापित की गई थी. कुछ साल पहले चक चकवा पहाड़ पर हनुमानगढ़ी परिसर का भव्य विकास किया गया है. ऊपर से नीचे का नजारा भी बेहद खूबसूरत है, जिससे आकर्षित होकर ना सिर्फ जिले बल्कि राज्य भर से लोग यहां पहुंचते हैं.

रात को आती है घुंघरूओं की आवाज: मंदिर के पुजारी शिवम कुमार उपाध्याय बताते हैं कि, मंदिर की ख्याति इसी वजह से है कि हनुमान जी यहां ठहरे थे, जिनके पैरों के निशान हैं. वहां पर सुंदर छतरी का निर्माण किया गया है. पास ही हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. प्रत्येक शनिवार को वहां सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. हनुमान जयंती पर तो और भी भव्य आयोजन किए जाते हैं. चक चकवा पहाड़ पर भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. आज भी यहां हनुमान जी का बाल रूप देखा जा सकता है. मैंने खुद भी अनुभव किया है. हनुमान जी के बाल रूप में यहां मौजूद होने के प्रमाण हैं. रात को घुंघरूओं की आवाज सुनाई देती है.

यह भी पढ़ें: बालोद के भूमिफोड़ हनुमान की महिमा, यहां महाबली हनुमान स्वयं हुए प्रकट !

हनुमान भक्तों के आस्था का केंद्र हनुमानगढ़ी: हनुमानगढ़ी में श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर दूर-दूर से आते हैं. कोलकाता से हनुमानगढ़ी पहुंचे राजेश बताते हैं कि, अपने भाई से इस मंदिर के बारे में काफी कुछ सुना था. खासतौर पर हनुमान भक्तों के लिए यह बेहद खूबसूरत जगह है. इस मंदिर की तुलना कोलकाता के मशहूर मंदिरों से की जा सकती है. इसे देशभर में और भी ज्यादा पहचान मिलनी चाहिए, जिस तरह की मान्यताएं इस मंदिर के विषय में हैं. यहां आने पर ऐसा लगता है कि वह सभी सच है. यहां का नजारा काफी मनोरम है.

कोरबा: हनुमान जयंती पर (Hanuman Jayanti Special) कोरबा के कटघोरा में मौजूद हनुमानगढ़ी की (Korba Katghora Hanumangarhi) मान्यताओं से आज हम आपको अवगत कराएंगे. मान्यता है कि सीताहरण के बाद वीर हनुमान यहां ठहरे थे. हनुमान के पैरों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं, जिसके कारण हनुमानगढ़ी में हनुमान जयंती हो या फिर आम दिन दूर-दूर से हनुमान भक्त यहां पहुंचते हैं.

हनुमानगढ़ी की महिमा

कभी नहीं सूखता यहां का पानी: हनुमानगढ़ी मंदिर कटघोरा (Hanumangarhi Temple Katghora) अंबिकापुर मार्ग पर कोरबा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर चक चकवा पहाड़ की चोटी पर स्थापित है. जहां का नजारा बेहद मनोरम है. मंदिर के विषय में एक किवदंती विख्यात (Specialties of Korba Hanumangarhi) है. जिसके अनुसार रावण ने जब माता सीता का हरण कर लिया था तब हनुमान उन्हें ढूंढने निकले थे. इसी दौरान वह चक चकवा पहाड़ पर ठहरे थे. यहां उनके पैरों के निशान बन गए थे.

इस पहाड़ पर एक पैर का निशान आज भी मौजूद है. निशान से बने गड्ढे में साल के 12 महीने पानी भरा रहता है. यह पानी कभी नहीं सूखता. लोग इसे बजरंगबली का चमत्कार कहते हैं. पहाड़ की चोटी पर भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का भव्य मंदिर भी है. हनुमान की पहली प्रतिमा यहां पर सन 1974 में स्थापित की गई थी. कुछ साल पहले चक चकवा पहाड़ पर हनुमानगढ़ी परिसर का भव्य विकास किया गया है. ऊपर से नीचे का नजारा भी बेहद खूबसूरत है, जिससे आकर्षित होकर ना सिर्फ जिले बल्कि राज्य भर से लोग यहां पहुंचते हैं.

रात को आती है घुंघरूओं की आवाज: मंदिर के पुजारी शिवम कुमार उपाध्याय बताते हैं कि, मंदिर की ख्याति इसी वजह से है कि हनुमान जी यहां ठहरे थे, जिनके पैरों के निशान हैं. वहां पर सुंदर छतरी का निर्माण किया गया है. पास ही हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. प्रत्येक शनिवार को वहां सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. हनुमान जयंती पर तो और भी भव्य आयोजन किए जाते हैं. चक चकवा पहाड़ पर भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. आज भी यहां हनुमान जी का बाल रूप देखा जा सकता है. मैंने खुद भी अनुभव किया है. हनुमान जी के बाल रूप में यहां मौजूद होने के प्रमाण हैं. रात को घुंघरूओं की आवाज सुनाई देती है.

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हनुमान भक्तों के आस्था का केंद्र हनुमानगढ़ी: हनुमानगढ़ी में श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर दूर-दूर से आते हैं. कोलकाता से हनुमानगढ़ी पहुंचे राजेश बताते हैं कि, अपने भाई से इस मंदिर के बारे में काफी कुछ सुना था. खासतौर पर हनुमान भक्तों के लिए यह बेहद खूबसूरत जगह है. इस मंदिर की तुलना कोलकाता के मशहूर मंदिरों से की जा सकती है. इसे देशभर में और भी ज्यादा पहचान मिलनी चाहिए, जिस तरह की मान्यताएं इस मंदिर के विषय में हैं. यहां आने पर ऐसा लगता है कि वह सभी सच है. यहां का नजारा काफी मनोरम है.

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