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कोरबाः मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए हैंडपंप की समस्या पर रखी जाएगी नजर, अब थमेगी चोरी - केंद्र सरकार की योजना

कोरबाः केंद्र सरकार की योजना के तहत अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए हैंडपंप और अन्य जल स्त्रोत पर निगरानी रखेगा. इस योजना से 13 हजार 500 हैंडपंप जियो ट्रैकिंग से जुड़ जाएंगे.

मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए हैंडपंप की समस्या पर रखी जाएगी नजर
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Published : Feb 20, 2019, 10:04 AM IST

जिले के पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता समीर के गौर ने बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत अब जिले में स्थापित सभी जल स्त्रोत के साधनों पर कार्यालय से बैठे बैठे नजर रखी जाएगी. इस योजना से जल स्त्रोत के साधन जैसे हैंड पंप और नल जल योजना के तहत बनाई गई पानी टंकियों पर नजर रखी जा सकेगी. इसके अलावा इन जल स्त्रोत के साधनों का रखरखाव और किसी नई योजना के लिए जगह तलाशने और हैंडपंप के लिए खनन में भी सुविधा होगी.

VIDEO: मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए हैंडपंप की समस्या पर रखी जाएगी नजर


क्या कहते हैं अधिकारी
जल स्त्रोत के साधनों को मोबाइल ट्रैकिंग से जोड़ने के लिए अधिकारियों को फील्ड पर जाकर चिन्ह लगाना होगा, इसके बाद इनका डाटा ऐप में अपलोड किया जाएगा. ऐप में डाटा अपलोड होते ही अधिकारियों को सारी जानकारी घर बैठे मिल जाएगी.
पीएचई विभाग ने बताया कि इससे सबसे बड़ी सुविधा यह होगी कि किसी भी परेशानी या योजना के लिए बार-बार फील्ड पर नहीं जाना होगा. अगर किसी हैंडपंप की समस्या है या कहीं नया हैंडपंप लगाना है या कोई अन्य जल स्त्रोत के साधन के लिए जमीन तलाशनी है, उसकी जानकारी इस ऐप के जरिए मिल जाएगी. इससे विभाग की कार्यशैली में तेजी आएगी.


हैंडपंप की चोरी पर भी रखी जा सकेगी नजर
विभाग ने बताया कि इस योजना से हैंडपंप की चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी और अन्य जल स्त्रोत के साधनों से हो रही छेड़छाड़ पर भी नजर रखी जा सकेगी.

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जिले के पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता समीर के गौर ने बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत अब जिले में स्थापित सभी जल स्त्रोत के साधनों पर कार्यालय से बैठे बैठे नजर रखी जाएगी. इस योजना से जल स्त्रोत के साधन जैसे हैंड पंप और नल जल योजना के तहत बनाई गई पानी टंकियों पर नजर रखी जा सकेगी. इसके अलावा इन जल स्त्रोत के साधनों का रखरखाव और किसी नई योजना के लिए जगह तलाशने और हैंडपंप के लिए खनन में भी सुविधा होगी.

VIDEO: मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए हैंडपंप की समस्या पर रखी जाएगी नजर


क्या कहते हैं अधिकारी
जल स्त्रोत के साधनों को मोबाइल ट्रैकिंग से जोड़ने के लिए अधिकारियों को फील्ड पर जाकर चिन्ह लगाना होगा, इसके बाद इनका डाटा ऐप में अपलोड किया जाएगा. ऐप में डाटा अपलोड होते ही अधिकारियों को सारी जानकारी घर बैठे मिल जाएगी.
पीएचई विभाग ने बताया कि इससे सबसे बड़ी सुविधा यह होगी कि किसी भी परेशानी या योजना के लिए बार-बार फील्ड पर नहीं जाना होगा. अगर किसी हैंडपंप की समस्या है या कहीं नया हैंडपंप लगाना है या कोई अन्य जल स्त्रोत के साधन के लिए जमीन तलाशनी है, उसकी जानकारी इस ऐप के जरिए मिल जाएगी. इससे विभाग की कार्यशैली में तेजी आएगी.


हैंडपंप की चोरी पर भी रखी जा सकेगी नजर
विभाग ने बताया कि इस योजना से हैंडपंप की चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी और अन्य जल स्त्रोत के साधनों से हो रही छेड़छाड़ पर भी नजर रखी जा सकेगी.

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Intro:केंद्र सरकार के योजना के तहत अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी को मोबाइल ट्रैकिंग के ज़रिए हैंडपंप और अन्य जल स्रोत पर निगरानी करने का आदेश दिया है। इस योजना से 13 हज़ार 500 हैंडपंप जियो ट्रैकिंग से जुड़ जाएंगे।


Body:जिले के पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता समीर के गौर ने बताया कि केंद्र सरकार के इस योजना के तहत अब जिले में स्थापित सभी जल स्रोत के साधनों पर कार्यालय से बैठे बैठे नज़र रखी जाएगी। इस योजना से जल श्रोत के साधन जैसे हैंड पंप और नल जल योजना के तहत बनाई गई पानी टंकियों पर नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा इन जल स्रोत के साधनों का रखरखाव और किसी नई योजना के लिए जगह तलाशने और हैंडपंप के लिए खनन में भी सुविधा होगी।
जल स्रोत के साधनों को मोबाइल ट्रैकिंग से जोड़ने के लिए अधिकारियों को फील्ड पर जाकर इन्हें चिन्ह अंकित किया जाएगा। चिन्ह अंकित करने के बाद इनका डाटा ऐप में अपलोड किया जाएगा। एप में अपलोड होने के बाद अधिकारियों को सारी जानकारी घर बैठे मिल जाएगी। विभाग ने बताया कि इससे सबसे बड़ी सुविधा यह होगी कि किसी भी परेशानी या योजना के लिए बार-बार फील्ड पर नहीं जाना होगा। अगर किसी हैंडपंप की समस्या है या कहीं नया हैंडपंप लगाना है या कोई अन्य जल स्रोत के साधन के लिए जमीन तलाशनी है, वह सब इस ऐप में अपलोडेड जानकारी के जरिए मिल जाएगी। इससे विभाग की कार्यशैली में तेजी आएगी।
विभाग ने बताया कि इस योजना से हैंडपंप की चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी और अन्य जल स्रोत के साधनों से हो रही छेड़छाड़ पर भी नजर रखी जा सकेगी।

बाइट समीर के गौर, कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग


Conclusion:
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