कोरबा: नगर निगम कोरबा (Korba Municipal Corporation) में इन दिनों अजीबो-गरीब निर्माण कार्य हो रहे हैं. कोरबा सिटी की सड़कें, जोकि पहले से ही बनी हुई हैं. जहां मरम्मत की भी कोई खास जरूरत नहीं है. वहां डामर की परतें बिछाई जा रही हैं. बनी हुई सड़कों को दोबारा बनाया जा रहा है. जबकि पश्चिम क्षेत्र का वह इलाका जहां की सड़कें वर्षो से जर्जर हैं. लोग सड़कों के गढ्ढों से उड़ती धूल, मिट्टी के गुबार के साथ सफर करने को विवश हैं, लेकिन इन गड्ढों को भरने के लिए निगम के पास फंड नहीं है. पश्चिम क्षेत्र के लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर उनके साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों रहो है?. क्या पश्चिम क्षेत्र के निवासियों को अच्छी सड़कों का अधिकार नहीं है ?.
इन क्षेत्रों में जारी है डामरीकरण
शहर के टीपी नगर, पावर हाउस रोड, घंटाघर सहित मुख्यालय में स्थित शहर की सड़कों को दोबारा बनाया जा रहा है. शहर में भी यह चर्चा है कि जो सड़क अभी खराब ही नहीं हुई है और जो मरम्मत योग्य भी नहीं है. वहां डामर की दूसरी, तीसरी परत क्यों बिछाई जा रही है ?. सड़कों का लगातार नवीनीकरण होने से शहरवासी खुश भी हैं, लेकिन सवाल यह है कि जहां जरूरत नहीं है. वहां निर्माण क्यों किया जा रहा है ?. जबकि बाकी दूसरी सड़कें जर्जर होती चली जा रही हैं.
गेरवा घाट पुल की एप्रोच रोड बरसों से अधूरी
शहर से लगे गेरवा घाट पुल के दूसरे छोर से पश्चिम क्षेत्र दर्री तक पहुंचने वाली सड़क प्रशासनिक उदासीनिता के कारण नहीं बन पाई है. पुल के बीच की 800 मीटर की एप्रोच रोड 8 सालों से अधूरी है. शहर से यातायात के दबाव को कम करने के लिए 13 करोड़ की लागत से हसदेव नदी पर गेरवा घाट पुल का निर्माण हुआ था. दुर्भाग्य यह है कि इस पुल तक पहुंचाने वाली 800 मीटर की एप्रोच रोड का निर्माण आज तक नहीं हो सका है. इस एप्रोच रोड से सफर करना जान हथेली पर लेने जैसा हो जाता है. बारिश में यह सड़क कीचड़ युक्त खेत में तब्दील हो जाती है. जहां पैदल चलना भी दुश्वारियां भरा होता है. प्रशासन पिछले 2 मानसून से यह दावा करती आ रही है कि सड़क का निर्माण पूर्ण कर दिया जाएगा, लेकिन अब तीसरा मानसून सिर पर है और रोड अभी भी अधूरी है.
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बांकीमोंगरा, कुसमुंडा सहित हरदीबाजार क्षेत्र की सड़कें भी जर्जर
सड़कों के मामले में जिले का पश्चिम क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है. फिर चाहे वह दर्री, जमनीपाली, बांकीमोंगरा, कुसमुंडा या हरदीबाजार तक पहुंचने वाली निगम की सड़कें हो. सभी का बुरा हाल है. लोग धूल मिट्टी के बीच सफर करने को मजबूर हैं.
वार्डों की सड़कों का भी बुरा हाल
पश्चिम क्षेत्र के मुख्य सड़कों के साथ ही दर्री, बांकीमोंगरा जोन अंतर्गत आने वाले लगभग 30 वार्डों के अंदरूनी सड़कों की हालत खस्ताहाल है. सड़कें या तो जर्जर हैं या फिर उनका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है. लगातार मांग, आंदोलनों और फरियाद के बाद भी सड़कों के सूरत नहीं बदल रही है.
कई बड़े उपक्रमों के बाद भी विकास नहीं
क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से कोरबा नगर निगम प्रदेश का सबसे बड़ा नगर निगम है. राज्य शासन के फंड के अलावा सार्वजनिक उपक्रम एनटीपीसी, बालको, एसईसीसीएल, एनटीपीसी सहित सीएसईबी का काफी फंड उपलब्ध है. कई वार्ड सार्वजनिक उपक्रमों के अधीन हैं, जहां की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कराना सार्वजनिक उपक्रमों की जवाबदेही होती है. बावजूद इसके सड़क जैसी मौलिक आवश्यकता का पूर्ण न हो पाना प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक नेतृत्व पर भी बड़ा सवालिया निशान है.