ETV Bharat / state

कोरबा के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के शवगृह में फ्रिजर खराब, शवों को रखने के लिए नहीं है इंतजाम

कोरबा सरकारी अस्पताल के मर्च्युरी में शव को रखने के लिए इंतजाम नहीं है. यहां शवगृह में फ्रिजर खराब हो गया है. इस मामले में जिम्मेदार गोल मोल जवाब दे रहे हैं

Korba Medical College
कोरबा मेडिकल कॉलेज
author img

By

Published : Mar 2, 2022, 8:17 PM IST

कोरबा: कोरबा में सालाना औसतन 200 करोड़ रुपये खनिज न्यास मद से मिलते हैं. फिर भी कोरबा की सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शवों को रखने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शव गृह में 4 फ्रीजर हैं. जिनमें से 2 खराब है और 2 ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. फ्रीजर से करंट लगने की समस्या आ रही है. स्थानीय कर्मचारियों की माने तो इस बात से प्रबंधन को अवगत कराया गया था. लेकिन सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: झीरम घाटी हत्याकांड: NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र

लंबे समय से खराब है फ्रीजर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगभग 350 बेड मौजूद हैं. जहां मरीजों को भर्ती किया जा सकता है. जिला भर से एक्सीडेंटल हो या फिर सामान्य मौत, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है. अस्पताल में मौत की स्थिति में भी शवों का पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही पूरा होता है. शाम हो जाने के बाद शव को मर्च्युरी में ही रखना पड़ता है. इसके लिए यहां 4 फ्रीजर की व्यवस्था है. जिससे कि अगले सुबह तक शवों को सुरक्षित हालत में स्टोर करके रखे जा सके. लेकिन फ्रीजर के काम नहीं करने की स्थिति में शवों को ठीक तरह से रख पाना संभव नहीं हो पाता. इससे स्थानीय कर्मचारियों के साथ ही मृतकों के परिजनों को भी समस्या होती है.

शवों से आने लगती है बदबू
शवों को ठीक तरह से संभाल कर रखने के लिए फ्रीज का ठंडा तापमान बेहद जरूरी होता है. तापमान ठीक तरह से मेंटेन ना किया जाए तो शव का डीकंपोज होने लगता है. जिससे बदबू उत्पन्न होती है. डॉक्टर भी ऐसे शवों का पोस्टमार्टम करने से कतराते हैं और मृतक के परिजन भी शव ले जाते वक्त परेशानी में पड़ जाते हैं. ऐसे में सारी व्यवस्थाएं, पोस्टमार्टम में सहयोग देने वाले निचले स्तर के कर्मचारियों पर आकर पूरी तरह से निर्भर हो जाती है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन का शिकार, देश-विदेश में पैंगोलिन की तस्करी से छत्तीसगढ़ के जंगलों पर संकट


मर्च्युरी में लंबे समय से सेवाएं दे रहे बाल चिनैया का कहना है कि, फिलहाल मर्च्युरी में 4 फ्रीजर हैं, लेकिन वह ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं. दो फ्रिजर खराब है जबकि फ्रीजर से करंट भी लग जाता है. इस विषय में अस्पताल प्रबंधन को कई बार अवगत भी कराया गया है. लेकिन सुधार नहीं हुआ है.मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गोपाल सिंह कंवर का कहना है कि इस विषय में जानकारी मिली है. फ्रिजर को बनाने के लिए तकनीकी कर्मचारी को सूचना दी गई है. जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा.

कोरबा: कोरबा में सालाना औसतन 200 करोड़ रुपये खनिज न्यास मद से मिलते हैं. फिर भी कोरबा की सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शवों को रखने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शव गृह में 4 फ्रीजर हैं. जिनमें से 2 खराब है और 2 ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. फ्रीजर से करंट लगने की समस्या आ रही है. स्थानीय कर्मचारियों की माने तो इस बात से प्रबंधन को अवगत कराया गया था. लेकिन सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: झीरम घाटी हत्याकांड: NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र

लंबे समय से खराब है फ्रीजर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगभग 350 बेड मौजूद हैं. जहां मरीजों को भर्ती किया जा सकता है. जिला भर से एक्सीडेंटल हो या फिर सामान्य मौत, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है. अस्पताल में मौत की स्थिति में भी शवों का पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही पूरा होता है. शाम हो जाने के बाद शव को मर्च्युरी में ही रखना पड़ता है. इसके लिए यहां 4 फ्रीजर की व्यवस्था है. जिससे कि अगले सुबह तक शवों को सुरक्षित हालत में स्टोर करके रखे जा सके. लेकिन फ्रीजर के काम नहीं करने की स्थिति में शवों को ठीक तरह से रख पाना संभव नहीं हो पाता. इससे स्थानीय कर्मचारियों के साथ ही मृतकों के परिजनों को भी समस्या होती है.

शवों से आने लगती है बदबू
शवों को ठीक तरह से संभाल कर रखने के लिए फ्रीज का ठंडा तापमान बेहद जरूरी होता है. तापमान ठीक तरह से मेंटेन ना किया जाए तो शव का डीकंपोज होने लगता है. जिससे बदबू उत्पन्न होती है. डॉक्टर भी ऐसे शवों का पोस्टमार्टम करने से कतराते हैं और मृतक के परिजन भी शव ले जाते वक्त परेशानी में पड़ जाते हैं. ऐसे में सारी व्यवस्थाएं, पोस्टमार्टम में सहयोग देने वाले निचले स्तर के कर्मचारियों पर आकर पूरी तरह से निर्भर हो जाती है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन का शिकार, देश-विदेश में पैंगोलिन की तस्करी से छत्तीसगढ़ के जंगलों पर संकट


मर्च्युरी में लंबे समय से सेवाएं दे रहे बाल चिनैया का कहना है कि, फिलहाल मर्च्युरी में 4 फ्रीजर हैं, लेकिन वह ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं. दो फ्रिजर खराब है जबकि फ्रीजर से करंट भी लग जाता है. इस विषय में अस्पताल प्रबंधन को कई बार अवगत भी कराया गया है. लेकिन सुधार नहीं हुआ है.मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गोपाल सिंह कंवर का कहना है कि इस विषय में जानकारी मिली है. फ्रिजर को बनाने के लिए तकनीकी कर्मचारी को सूचना दी गई है. जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.