कोरबा: सोमवार की दोपहर ऊर्जाधानी के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी आगजनी की घटना घटी है. कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर के कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में भाषण आग लगी. आग की इस त्रासदी को देखने के लिए लोग सड़क पर जमे हुए थे. पुलिस के लिए भीड़ को हटाना काफी मुश्किल हो गया था. इस दुखद घटना में दम घुटने से 3 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि शाम होते-होते लगभग 5 घंटे बाद फायर फाइटर्स ने आग पर काबू पा लिया. लेकिन इस आगजनी की घटना से अपूरणीय क्षति हुई है. व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
मरीजों से मिलने पहुंचे कलेक्टर: आगजनी में करीब 10 मरीज घायल हो गए हैं. जिसमें 7 मरीजों का उपचार शहर के श्वेता नर्सिंग होम में किया जा रहा है. इनमें से एक मरीज की हालत दम घुटने से गम्भीर बनी हुई है. अन्य मरीजों की हालत खतरे से बाहर है. मौके राहत बचाव कार्य को संपादित कराने के बाद कोरबा कलेक्टर संजीव झा और कोरबा एसपी यू उदय किरण श्वेता नर्सिंग होम पहुंचे. यहां उन्होंने मरीजों का हाल जाना. श्वेता अस्पताल के संचालक डॉ जैन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए सभी घायलों का निशुल्क इलाज करने का निर्णय लिया है.
अधिवक्ता संघ ने निगम अधिकारियो को ठहराया दोषी: जिला अधिवक्ता संघ की ओर से सचिव नूतन सिंह ठाकुर ने एक बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि "टीपी कमर्शियल काम्प्लेक्स में लगी आग के लिए प्रारंभिक तौर पर नगर निगम कोरबा के अधिकारी दोषी हैं. किसी भी व्यवसायिक या आवासीय भवन के निर्माण अनुमति में यह अनिवार्य शर्त होती है कि उस भवन में फायर एंड सेफ्टी के लिए आपातकालीन उपाय मौजूद हो. निजी काम्प्लेक्स की बात तो दूर, नगर निगम के काम्प्लेक्सों में भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं.
निगम अधिकारयों पर गंभीर आरोप: नगर निगम कोरबा के अधिकारियों को भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. आरोप है कि सेवा शुल्क लेकर आफिस में बैठकर भवन निर्माण की अनुमति देने वाले निगम के अधिकारी व्यवसायिक काम्प्लेक्स की निगरानी करने नहीं जाते. यह बात सच है कि नगर निगम कोरबा के अधिकारी अपने दायित्वों का पालन करते, तो इतना भीषण अग्निकांड कोरबा में नहीं होता. लोगों की जान नहीं जाती. निगम के अफसरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, लापरवाही, जनता की जान जोखिम में डालने का केस दर्ज करने की मांग जिला अधिवक्ता संघ ने रखी है.