छत्तीसगढ़ में एकलौती अन्य कोटा की सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जीत ली है. कोरबा जिले के पाली तानाखार सीट से तुलेश्वर सिंह मरकाम 714 वोट से विजयी हुए हैं. यह प्रदेश की इकलौती ऐसी सीट है, जिसे भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी अन्य प्रत्याशी ने जीता है.
कौन हैं तुलेश्वर: तूलेश्वर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक दिवंगत हीरा सिंह मरकाम के बेटे हैं. वह अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
दरअसल बेहद करीबी चुनाव में तुलेश्वर मरकाम ने 60862 वोट हासिल किये, जबकि दूसरे नंबर पर रहीं कांग्रेस की दुलेश्वरी सिदार ने 60148 वोट प्राप्त किया. भाजपा यहां लगातार सातवें चुनाव में तीसरे नंबर पर रही है. भाजपा के रामदयाल उइके 46522 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
पाली तानाखार विधानसभा सीट: पाली तानाखार सीट पर कांग्रेस ने सिटिंग विधायक मोहित राम केरकेट्टा का टिकट काटकर दुलेश्वरी सिदार को मैदान में उतारा था. सिदार का मुकाबला बीजेपी के उइके रामदयाल से था. सिटिंग विधायक मोहित केरकेट्टा का टिकट कटने के बाद बीजेपी को जीत की उम्मीद जगी थी. बीजेपी को ये भी उम्मीद थी कि कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा का टिकट कटने से कांग्रेस के कार्यकर्ता नाराज होंगे, जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. लेकिन यहां गोंगपा ने जीत दर्ज की है.
हार और जीत का फैक्टर: पाली तानाखार में हार और जीत का फैक्टर इस बार भी विकास का मुद्दा रहा. पार्टियों ने प्रचार के दौरान विकास को ही मुख्य मुद्दा जनता के बीच बनाया. कांग्रेस ने अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच गिनाया. बीजेपी ने इलाके के गोंड आदिवासी समाज जिनकी संख्या करीब 80 फीसदी तक इस विधानसभा सीट पर है, उनके जीवन को बेहतर करने का वादा किया. किसानों की कर्ज माफी भी चुनाव में हार जीत के मुख्य फैक्टरों में शामिल रही. लेकिन जनता ने बीजेपी और कांग्रेस से हटकर गोंगपा पर भरोसा जताया.
2018 के नतीजे: पिछले विधानसभा चुनाव में मोहित राम केरकेट्टा को 66971 वोट मिले थे जो करीब 38.59 फीसदी था. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भी यहां 2018 में 33 फीसदी के करीब वोट मिले थे. जबकी बीजेपी को गोंगपा से भी कम 18.53 फीसदी वोट मिले थे. गोंगपा का पाली तनाखार में बीजेपी से भी ज्यादा जनाधार 2018 में था. गोंगपा अगर पाली तानाखार में अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर करती है तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. गोंगपा का जनाधार लगातार पाली दो विधानसभा चुनावों से बढ़ता जा रहा है. अगर पुराना ट्रेंड जारी रहा तो नुकसान जरूर दोनों दलों को उठाना पड़ सकता है.