कोरबा: देश मे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेजी का दौर लगातार जारी है. ऐसे समय में पेट्रोल डीजल की गुणवत्ता पर भी अब ग्राहकों का ध्यान आकर्षित होने लगा है. कोरबा के स्थानीय लोग पेट्रोल पंप पर गाड़ियों में तेल भरवाते समय काफी सजगता का ध्यान रख रहे हैं, ताकि उनकी गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल की मात्रा व गुणवत्ता बिल्कुल सही हो. पेट्रोल पंप पर ईंधन की गुणवत्ता को जांचने के लिए विजिलेंस टीम समय-समय पर जांच करती है. जिसमें डेंसिटी मापने के साथ ही उसकी क्वालिटी, मात्रा की भी टेस्टिंग होती है. पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल को रखने के लिए अंडर ग्राउंड टैंकर होता है. जहां सुरक्षा संबंधी मापदंड हैं. हालांकि कई बार मिलावट की शिकायतें भी मिलती रहती हैं.
विभाग के साथ ही तेल कंपनियां भी करती हैं मॉनिटरिंग
पेट्रोल पंप की जांच के लिए जिम्मेदार विभाग के साथ ही तेल कंपनियां भी कड़ी मॉनिटरिंग करती हैं. सामान्य तौर पर गुणवत्तापूर्ण पेट्रोल के लिए तेल कंपनियां ही सीधे तौर पर जिम्मेदार होती हैं. इसके लिए तेल में मिलावट को रोकने के लिए स्पेशल विजिलेंस की टीम का भी गठन किया जाता है. यह टीम कभी भी, किसी भी पेट्रोल पंप में जाकर गुणवत्ता और मात्रा की जांच कर सकती है.
इस तरह अंडरग्राउंड टैंक की होती है जांच
सभी पेट्रोल पंप में अंडरग्राउंड टैंक होता है. जहां पेट्रोल और डीजल को सुरक्षित रखा जाता है. ईंधन में किसी तरह की मिलावट ना हो, इसके लिए मॉनिटरिंग भी की जाती है. अंडरग्राउंड टैंक में हर दिन एक केमिकल पेस्ट डाला जाता है. यदि तेल में पानी की मात्रा होती है तो, केमिकल का रंग बदल जाता है. इसके अलावा तेल कंपनियों के पास भी एक मोबाइल टेस्टिंग वैन होती है. इसके जरिए भी जांच की जाती है. अंडरग्राउंड टैंक को हर 15 साल में बदलने का भी नियम है.
पेट्रोल की मात्रा जांचने का उपभोक्ताओं को अधिकार
अंडरग्राउंड टैंक के लिए इस तरह के नियम
- ऑयल टैंक को 4 मीटर तक भूजल स्तर वाले इलाके में जल और मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए दोहरी सुरक्षा के नियम हैं. कंक्रीट की दीवार वाला टैंक बनाने को भी कहा जाता है.
- अब सभी नए पेट्रोल पंपों को स्कूल और अस्पताल से कम से कम 30 मीटर दूर स्थापित करना होगा. अंडरग्राउंड टैंक की भी इतनी ही दूरी होनी चाहिए.
- अंडरग्राउंड टैंक से जुड़े पाइप पंप कनेक्टर्स, फिटिंग आदि को ISI स्टैंडर्ड का रखना होगा. टैंक और कनेक्टर्स को लीकेज मुक्त रखने की व्यवस्था भी करनी होगी.
- यदि किसी कारण से फ्यूलिंग स्टेशन में 165 लीटर प्रति 1 बैरल से ज्यादा डीजल या पेट्रोल लीकेज हो जाता है, तो तत्काल रिटेल आउटलेट को बंद करना होगा.
- अंडरग्राउंड टैंक की सफाई व्यवस्था और कचरा निस्तारण का पूरा रिकॉर्ड भी पेट्रोल पंप में रखना होगा. नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई का प्रावधान है.
- सभी अंडरग्राउंड टैंक और पाइपलाइन की जांच प्रत्येक 5 साल में एक बार होनी चाहिए.
- अंडर ग्राउंड पेट्रोल टैंक के ऑनलाइन निगरानी का भी नियम है, सिस्टम ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं इसकी ऑनलाइन रिपोर्टिंग भी की जानी चाहिए.
क्या कहते हैं ग्राहक
पेट्रोल और डीजल क्रय करने वाले उपभोक्ताओं का कहना है कि पेट्रोल सीधा नोजल के जरिए वाहन के टैंक में डाला जाता है. इससे मात्रा संबंधी प्रश्न सदैव बने रहते हैं. पेट्रोल की गुणवत्ता को लेकर भी हमें कई तरह की शंका रहती है, लेकिन इसका निराकरण नहीं हो पाता. कई बार ऐसा होता है कि जितनी मात्रा में हम पेट्रोल डलवाते हैं. वाहन उतनी दूर तक नहीं चल पाते. इससे हर बार ऐसा शक होता है कि पेट्रोल कम मात्रा में डाला गया.
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संचालक का यह तर्क
शहर के पेट्रोल पंप संचालक हितानंद अग्रवाल का कहना है कि पेट्रोल पंप की निगरानी के लिए न सिर्फ संबंधित विभाग बल्कि तेल कंपनियां भी जांच करती रहती है. वर्तमान में पेट्रोल पंप के सभी सिस्टम ऑनलाइन है. ऑनलाइन निगरानी के साथ ही तेल कंपनी के अधिकारी नियमित जांच करते रहते हैं. ऐसे में किसी भी पेट्रोल पंप के लिए मात्रा या अन्य तरह की गड़बड़ी कर पाना संभव नहीं है. हम सभी तरह कर नियमों का शब्दश: पालन करते हैं.
जांच करेंगे, कमी पाए जाने पर होगी कार्रवाई-SDM
पेट्रोल पंप की नियमित जांच के सवाल पर कोरबा एसडीएम सुनील कुमार नायक का कहना है कि पेट्रोल पंप की जांच के लिए माप तौल विभाग और खाद विभाग के इंस्पेक्टर की संयुक्त टीम गठित है. जिनके माध्यम से समय-समय पर जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि अंडरग्राउंड टैंक के संबंध में फिलहाल कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. इसके बावजूद भी हम इस मामले को संज्ञान में लेंगे और शहर के सभी पेट्रोल पंपों की रूटीन जांच कर कमी पाए जाने पर ठोस कार्रवाई भी करेंगे.