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कोरबा में हाथी और मानव द्वंद को रोकेगा एनाइडर डिवाइस - एनाइडर डिवाइस का सायरन बदलेगा हाथियों का रास्ता

कोरबा में हाथी और मानव के द्वंद को कम कर ने के लिए एनाइडर डिवाइस को ग्रामीण इलाकों में लगाया जाएगा. इस डिवाइस से एक सायरन बजेगा, जो कि हाथियों के लेकर लोगों को अलर्ट भी करेगा और हाथी इसका सायरन सुनकर अपना रास्ता भी बदल (Anider device siren will change way of elephants ) लेंगे.

Anider device will prevent elephant and human conflict in Korba
हाथी और मानव द्वंद को रोकेगा एनाइडर डिवाइस
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Published : Jun 11, 2022, 9:19 PM IST

कोरबा: हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को कम करने के लिए वन विभाग ने नई तकनीक को अपनाया है. फिलहाल जिले के दो गांव में एनाइडर डिवाइस (Animal intrusion detention and repel system) लगा दिया गया है, जो कि सोलर चलित एक हाईटेक डिवाइस है. इसे 6 से 7 फीट की ऊंचाई पर खंबे पर फिट किया गया है. जब भी हाथी इसके करीब आते हैं. यह डिवाइस 30 मीटर की दूरी से ही तेज लाइट के साथ सायरन की आवाज निकालेगा. जिससे हाथी दूर भागेंगे और ग्रामीण सूचना पाकर सतर्क होंगे. हालांकि यह तकनीक अभी बेहद शुरुआती चरण में है, जिसके परिणाम अब तक वन विभाग को नहीं मिले हैं.

हाथी और मानव द्वंद

एनाइडर डिवाइस का सायरन बदलेगा हाथियों की गति: एनाइडर डिवाइस (Animal intrusion detention and repel system) एक खास तरह की मशीन है. जिसे ऐसे स्थानों पर लगाया गया है. जहां हाथियों का आना-जाना लगा रहता है. गांव में ऐसे कुछ विशेष स्थान होते हैं. जहां से हाथी मूवमेंट करते हैं. यह हाथियों कॉरिडोर होता है. जहां से वह बार-बार विचरण करते हैं. इन्हीं स्थानों पर एनाइडर डिवाइस को फिट किया जा रहा है. एनाइडर डिवाइस लगाते समय यह ध्यान रखा जाता है कि इसकी ऊंचाई जमीन से लगभग 7 फीट हो. एनआईडर में खास तरह के सेंसर लगे हुए हैं, जो कि हाथियों की वजन और ऊंचाई के अनुसार 30 मीटर की दूरी से ही इन्हें डिटेक्ट कर लेते हैं. ये सिस्टम हाथियों को दूर भगाने का काम करती है. तेज रोशनी और सायरन बजते ही हाथी रास्ता बदल लेते हैं या फिर वापस लौट जाते (Anider device siren will change way of elephants ) हैं. इससे ग्रामीणों को मौजूदगी की सूचना मिलेगी और वह हाथियों के गांव में प्रवेश करने के पहले ही सतर्क हो जाएंगे.

रात के समय अधिक फायदेमंद : दिन के समय वन अमला हाथियों की मॉनिटरिंग करने में काफी हद तक सक्षम रहता है. लेकिन सूरज डूबने के बाद रात को इनकी मॉनिटर संभव नहीं हो पाती. इस विषय में डीएफओ कोरबा प्रियंका पांडे का कहना है कि "खासतौर पर रात के समय हाथी अचानक गांव में प्रवेश कर जाते हैं. कई बार तो ग्रामीणों की जान ले लेते हैं. मकान तोड़ने और फसल की क्षति के साथ ही साथ जनहानि के आंकड़े बढ़ जाते हैं. हाथी मैनेजमेंट के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि समय पर इनके मूवमेंट की सूचना मिले. जिसके लिए एनआइडर डिवाइस काफी फायदेमंद है."

यह भी पढ़ें: कोरबा में लेमरू हाथी रिजर्व के कारण कम हुए जनहानि के प्रकरण, हाथी-मानव द्वंद में भी आई कमी

इन गांवों में अधिक मूवमेंट : कोरबा वन मंडल के अंतर्गत आने वाले गांव गिरारी, गुरमा, चिर्रा, एलोंग और सिमकेंदा जैसे गांव में हाथियों की अधिक आवाजाही बनी रहती है. यह सभी गांव मांड नदी के समीप मौजूद हैं. यहीं से हाथी कोरबा से धरमजयगढ़ वन मंडल में प्रवेश करते हैं. इसी क्षेत्र के 2 गांव में वनमंडल ने फिलहाल एनाइईडर मशीन को फिट किया है.

पिछले वर्ष हाथियों ने पहुंचाया इतना नुकसान : वित्तीय वर्ष 2021- 22 में कोरबा वनमण्डल में हाथी के हमले से एक व्यक्ति की जान गई थी. 5 लोग घायल हुए, 18 पशुओं की मौत हुई, 466 किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा जबकि दो मकानों के साथ ही 13 अन्य मामलों में वन विभाग को क्षतिपूर्ति बांटनी पड़ी थी. किसी इंसान की जान जाने पर वन विभाग द्वारा 6 लाख का मुआवजा दिया जाता है. जबकि अन्य सभी प्रकरणों पर भी करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं.

कोरबा: हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को कम करने के लिए वन विभाग ने नई तकनीक को अपनाया है. फिलहाल जिले के दो गांव में एनाइडर डिवाइस (Animal intrusion detention and repel system) लगा दिया गया है, जो कि सोलर चलित एक हाईटेक डिवाइस है. इसे 6 से 7 फीट की ऊंचाई पर खंबे पर फिट किया गया है. जब भी हाथी इसके करीब आते हैं. यह डिवाइस 30 मीटर की दूरी से ही तेज लाइट के साथ सायरन की आवाज निकालेगा. जिससे हाथी दूर भागेंगे और ग्रामीण सूचना पाकर सतर्क होंगे. हालांकि यह तकनीक अभी बेहद शुरुआती चरण में है, जिसके परिणाम अब तक वन विभाग को नहीं मिले हैं.

हाथी और मानव द्वंद

एनाइडर डिवाइस का सायरन बदलेगा हाथियों की गति: एनाइडर डिवाइस (Animal intrusion detention and repel system) एक खास तरह की मशीन है. जिसे ऐसे स्थानों पर लगाया गया है. जहां हाथियों का आना-जाना लगा रहता है. गांव में ऐसे कुछ विशेष स्थान होते हैं. जहां से हाथी मूवमेंट करते हैं. यह हाथियों कॉरिडोर होता है. जहां से वह बार-बार विचरण करते हैं. इन्हीं स्थानों पर एनाइडर डिवाइस को फिट किया जा रहा है. एनाइडर डिवाइस लगाते समय यह ध्यान रखा जाता है कि इसकी ऊंचाई जमीन से लगभग 7 फीट हो. एनआईडर में खास तरह के सेंसर लगे हुए हैं, जो कि हाथियों की वजन और ऊंचाई के अनुसार 30 मीटर की दूरी से ही इन्हें डिटेक्ट कर लेते हैं. ये सिस्टम हाथियों को दूर भगाने का काम करती है. तेज रोशनी और सायरन बजते ही हाथी रास्ता बदल लेते हैं या फिर वापस लौट जाते (Anider device siren will change way of elephants ) हैं. इससे ग्रामीणों को मौजूदगी की सूचना मिलेगी और वह हाथियों के गांव में प्रवेश करने के पहले ही सतर्क हो जाएंगे.

रात के समय अधिक फायदेमंद : दिन के समय वन अमला हाथियों की मॉनिटरिंग करने में काफी हद तक सक्षम रहता है. लेकिन सूरज डूबने के बाद रात को इनकी मॉनिटर संभव नहीं हो पाती. इस विषय में डीएफओ कोरबा प्रियंका पांडे का कहना है कि "खासतौर पर रात के समय हाथी अचानक गांव में प्रवेश कर जाते हैं. कई बार तो ग्रामीणों की जान ले लेते हैं. मकान तोड़ने और फसल की क्षति के साथ ही साथ जनहानि के आंकड़े बढ़ जाते हैं. हाथी मैनेजमेंट के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि समय पर इनके मूवमेंट की सूचना मिले. जिसके लिए एनआइडर डिवाइस काफी फायदेमंद है."

यह भी पढ़ें: कोरबा में लेमरू हाथी रिजर्व के कारण कम हुए जनहानि के प्रकरण, हाथी-मानव द्वंद में भी आई कमी

इन गांवों में अधिक मूवमेंट : कोरबा वन मंडल के अंतर्गत आने वाले गांव गिरारी, गुरमा, चिर्रा, एलोंग और सिमकेंदा जैसे गांव में हाथियों की अधिक आवाजाही बनी रहती है. यह सभी गांव मांड नदी के समीप मौजूद हैं. यहीं से हाथी कोरबा से धरमजयगढ़ वन मंडल में प्रवेश करते हैं. इसी क्षेत्र के 2 गांव में वनमंडल ने फिलहाल एनाइईडर मशीन को फिट किया है.

पिछले वर्ष हाथियों ने पहुंचाया इतना नुकसान : वित्तीय वर्ष 2021- 22 में कोरबा वनमण्डल में हाथी के हमले से एक व्यक्ति की जान गई थी. 5 लोग घायल हुए, 18 पशुओं की मौत हुई, 466 किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा जबकि दो मकानों के साथ ही 13 अन्य मामलों में वन विभाग को क्षतिपूर्ति बांटनी पड़ी थी. किसी इंसान की जान जाने पर वन विभाग द्वारा 6 लाख का मुआवजा दिया जाता है. जबकि अन्य सभी प्रकरणों पर भी करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं.

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