कोंडागांव: छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मरकाम ने मीडिया से चर्चा के दौरान 48 दिनों में राज्य सरकार के किए गए प्रयासों को विस्तार से बताया. पीसीसी चीफ ने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है. छत्तीसगढ़ में कोरोना की चपेट में ज्यादातर लोग नहीं आ पाए. साथ ही अन्य राज्यों में पढ़ने गए छात्रों को भी लाया गया. अब दूसरे राज्य और जिलों में फंसे मजदूरों को भी उनके घर तक पहुंचाने के लिए भी व्यवस्था की गई है.
पीसीसी चीफ ने बताया कि छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बेहतर तैयारी की, जिससे अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में संक्रमण को नियंत्रण में रखने में सफलता मिली. दूसरी ओर राज्य सरकार ने राहत भरे फैसले किए. इधर संकट में फंसे प्रदेशवासियों की हर संभव मदद की.
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प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल देने का निर्णय
मरकाम ने कहा कि 'मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की जनता के नाम जारी अपने पहले ही संदेश में कह दिया था कि हम अपने राज्य में किसी को भूखा सोने नहीं देंगे. इस डेढ़ महीने से अधिक के लॉकडाउन के दौरान धरातल पर उन्होंने ऐसा किया भी है. राज्य के 58.48 लाख गरीब परिवारों को अप्रैल, मई और जून तीन माह का राशन निःशुल्क दिया. बिना राशनकार्ड वाले व्यक्तियों को भी प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल देने का निर्णय लिया गया.
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20 लाख मजदूरों को मिला रोजगार
लॉकडाउन में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार दिया गया. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी देश में प्रथम स्थान पर है. देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से है. यह संख्या देश में सर्वाधिक है. प्रदेश के 9 हजार 883 ग्राम पंचायतों में चल रहे मनरेगा के तहत कार्यों में अभी लगभग 20 लाख मजदूर काम कर रहे हैं.
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श्रमिकों की समस्याओं का निराकरण
लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्य लगभग 3 लाख श्रमिकों की समस्याओं का सीधे तौर पर निराकरण किया गया. छत्तीसगढ़ राज्य में श्रमिकों, मजदूरों और अन्य व्यक्तियों को आश्रय के साथ भोजन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. साथ ही अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के लिए वहां के मुख्यमंत्री, अधिकारियों से संपर्क कर उन्हें भोजन और आश्रय उपलब्ध कराया गया.
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रेल मंत्री को बघेल ने लिखा पत्र
छत्तीसगढ़ के कुल एक लाख 24 हजार 205 श्रमिक 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण फंसे हैं. अन्य राज्यों में संकट का सामना कर रहे 16 , 885 श्रमिकों को लगभग 66 लाख रूपए की राशि दी गई. औद्योगिक क्षेत्रों में 81, 889 श्रमिकों को दोबारा रोजगार मिला. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेलमंत्री से 2 मई को पत्र लिखा. साथ ही छत्तीसगढ़ के मजदूरों को वापस राज्य में लाने के लिए 28 ट्रेन चलाने की मांग की है.
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छत्तीसगढ वनोपज संग्रहण में पहले स्थान पर
मरकाम ने कहा कि 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश मिलते ही राज्य सरकार ने 4 मई को रेलवे को पत्र लिखा. साथ ही कहा कि 'राज्य सरकार श्रमिकों की राज्य वापसी में लगने वाला ट्रेन का पूरा खर्च को उठाएगी. लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ देश में पहले स्थान पर है. वनोंपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया है'. उन्होंने कहा कि 'सेंट्रल मॉनेटरिंग इंडियन इकॉनामी ने (CMIE ) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है'.
स्कूली बच्चों को दिया गया सूखा राशन
'कोटा में लॉकडाउन के कारण फंसे छत्तीसगढ़ के 2 हजार 252 विद्यार्थियों को 47 बसों में वापस लाया गया. इस पर राज्य सरकार ने 145 करोड़ खर्च किया. राज्य के अंदर लगभग 6 हजार श्रमिकों को एक जिले से दूसरे जिले में स्थित अपने गांव जाने के लिए व्यवस्था की गई. अवकाश अवधि में स्कूली बच्चों, आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों, गर्भवती-शिशुवती माताओं को सूखा राशन दिया गया. राज्य के हर ग्राम पंचायत में जरूरतमंद लोगों के लिए दो क्विवंटल चावल की व्यवस्था की गई'. स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 'पढ़ाई तुंहर दुआर' वेबपोर्टल प्रारंभ किया गया. अब तक 15 लाख 77 हजार छात्र और 1.85 लाख शिक्षक पंजीकृत किए गए'.
'छत्तीसगढ़ को रिजर्व बैंक ने कृषि में तेजी को लेकर सराहा'
मरकाम ने कहा कि 'रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में कृषि और उससे सम्बंधित कार्यों में आई तेजी को सराहा है. किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के 900 करोड़ रुपए की राशि उनके खातों में जमा की गई है'. बता दें कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने इसके साथ ही लॉकडाउन के बीच 48 दिनों में किए गए कार्यों की जानकारी दी.