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बुनियादी सुविधाओं को तरसता कोंडागांव का चनाभर्री गांव

कोंडागांव जिले के कई ऐसे इलाके हैं, जो मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. अब तक कई सरकारें आईं और गई, लेकिन आज तक किसी ने मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई. यहां के ग्रामीणों को पीने का पानी, सड़क और अस्पताल जैसी सुविधाएं अब तक नहीं मिल पाई है.

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सुविधाओं का तरसता चनाभर्री गांव
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Published : Jan 25, 2021, 4:12 PM IST

कोंडागांव: एक ओर जहां सरकार अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं को पहुंचाने की बात कहती है. हर किसी को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, वहीं केशकाल के ऐसे कई इलाके हैं. जहां आज भी शिक्षा, पीने के लिए साफ पानी, बिजली, सड़क के लिए लोग तरस रहे हैं. केशकाल विधानसभा क्षेत्र के कोसमी ग्राम पंचायत के चनाभर्री के ग्रामीणों का हाल भी बेहाल है.

सुविधाओं का तरसता चनाभर्री गांव

पढ़ें: Special: गंदी नाली और संकरी गलियों के बीच सरकारी कुव्यवस्था का दंश झेल रहे बैगा पारा के लोग

कोसमी ग्राम पंचायत के उप सरपंच बालमुकुंद नागेश ने बताया कि 2003 से लोग इस गांव में निवासरत हैं. चनाभर्री गांव में आंगनबाड़ी, स्कूल, पानी, सड़क और बिजली किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. ग्रामीणों को पानी के लिए 2 किलोमीटर दूर झिरिया जाना पड़ता है. झिरिया का पानी पीकर लोग जी रहे हैं. अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत कराने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिल पाई.

Kosami village people are facing problems due to lack of basic facilities in keshkal
बैलगाड़ी से लाते हैं पानी
Kosami village people are facing problems due to lack of basic facilities in keshkal
झरिया का पानी पीकर लोग जी रहे

पढ़ें: 'जहरीली' नहरें: 'पानी बैंक' की नगरी में नहीं मिल रहा लोगों को साफ पानी

बच्चों को पढ़ा रही 12वीं तक पढ़ी बच्ची
ग्रामीण महादेव सलाम ने बताया कि हमारे गांव में कुल 95 घर हैं, जिनमें से सभी के घरों में शौचालय बनवा दिया गया है. 35 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर का भी निर्माण कराया गया है. बच्चों की पढ़ाई के लिए आंगनबाड़ी और स्कूल दोनों का ही अभाव है. हमारे गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. फिलहाल कुछ महीनों से सर्व सहमति से एक स्थानीय बच्ची को पढ़ाने के लिए चुना गया है. गांव के बच्चों को वो आकर पढ़ाती है.

हमारी कोई सुनने को तैयार नहीं

चनाभर्री के ग्रामीणों ने कहा कुछ दिनों पहले कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा से मुलाकात करने गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों में व्यस्त होने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई. गांव के लोगों को स्कूल, सड़क, पुल और पीने के लिए साफ पानी की जरूरत है. ग्रामीण इन सुविधाओं के लिए आए दिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से निवेदन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.

ग्रामीणों से मांगी गई जानकारी
केशकाल एसडीएम दीनदयाल मंडावी ने बताया कि इस संबंध में चनाभर्री के ग्रामीणों ने उन्हें आवेदन दिया था. बडेराजपुर रेंजर से मामले की जानकारी मांगी थी, जिसपर रेंजर ने गांव को वन विभाग की भूमि होना बताया था. फिलहाल वन विभाग को पत्र लिखकर मामले के संबंध में जानकारी मांगी गई है. जानकारी आने के बाद गांव की वस्तुस्थिति स्पष्ट होगी.

कोंडागांव: एक ओर जहां सरकार अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं को पहुंचाने की बात कहती है. हर किसी को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, वहीं केशकाल के ऐसे कई इलाके हैं. जहां आज भी शिक्षा, पीने के लिए साफ पानी, बिजली, सड़क के लिए लोग तरस रहे हैं. केशकाल विधानसभा क्षेत्र के कोसमी ग्राम पंचायत के चनाभर्री के ग्रामीणों का हाल भी बेहाल है.

सुविधाओं का तरसता चनाभर्री गांव

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कोसमी ग्राम पंचायत के उप सरपंच बालमुकुंद नागेश ने बताया कि 2003 से लोग इस गांव में निवासरत हैं. चनाभर्री गांव में आंगनबाड़ी, स्कूल, पानी, सड़क और बिजली किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. ग्रामीणों को पानी के लिए 2 किलोमीटर दूर झिरिया जाना पड़ता है. झिरिया का पानी पीकर लोग जी रहे हैं. अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत कराने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिल पाई.

Kosami village people are facing problems due to lack of basic facilities in keshkal
बैलगाड़ी से लाते हैं पानी
Kosami village people are facing problems due to lack of basic facilities in keshkal
झरिया का पानी पीकर लोग जी रहे

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बच्चों को पढ़ा रही 12वीं तक पढ़ी बच्ची
ग्रामीण महादेव सलाम ने बताया कि हमारे गांव में कुल 95 घर हैं, जिनमें से सभी के घरों में शौचालय बनवा दिया गया है. 35 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर का भी निर्माण कराया गया है. बच्चों की पढ़ाई के लिए आंगनबाड़ी और स्कूल दोनों का ही अभाव है. हमारे गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. फिलहाल कुछ महीनों से सर्व सहमति से एक स्थानीय बच्ची को पढ़ाने के लिए चुना गया है. गांव के बच्चों को वो आकर पढ़ाती है.

हमारी कोई सुनने को तैयार नहीं

चनाभर्री के ग्रामीणों ने कहा कुछ दिनों पहले कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा से मुलाकात करने गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों में व्यस्त होने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई. गांव के लोगों को स्कूल, सड़क, पुल और पीने के लिए साफ पानी की जरूरत है. ग्रामीण इन सुविधाओं के लिए आए दिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से निवेदन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.

ग्रामीणों से मांगी गई जानकारी
केशकाल एसडीएम दीनदयाल मंडावी ने बताया कि इस संबंध में चनाभर्री के ग्रामीणों ने उन्हें आवेदन दिया था. बडेराजपुर रेंजर से मामले की जानकारी मांगी थी, जिसपर रेंजर ने गांव को वन विभाग की भूमि होना बताया था. फिलहाल वन विभाग को पत्र लिखकर मामले के संबंध में जानकारी मांगी गई है. जानकारी आने के बाद गांव की वस्तुस्थिति स्पष्ट होगी.

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