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नक्सलगढ़ की नई तस्वीर, ITBP की मदद से कोंडागांव के बच्चों ने तीरंदाजी में किया कमाल - कोंडागांव अर्चरी सेंटर

आइटीबीपी (41) बटालियन ने नक्सलियों को खदेड़ने के साथ-साथ क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को भी मुख्यधारा से जोड़ने मुहिम शुरू की. इसमें तीरंदाजी खेल एक सशक्त माध्यम बना.

archery training center kondagaon
तीरंदाजी में नए कीर्तिमान रच रहे कोंडागांव के बच्चे
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Published : Feb 2, 2020, 10:41 PM IST

कोंडागांव: नक्सलियों के काले साए का दंश झेल रहे बस्तर संभाग को इससे मुक्त कराने के लिए क्षेत्र में ITBP सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी. जिसके बाद से ITBP स्थानीय ग्रामीणों से जुड़ने के लिए सिविक एक्शन प्रोग्राम चला रहा है. आइटीबीपी (41) बटालियन ने नक्सलियों को खदेड़ने के साथ-साथ क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को भी मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम शुरू की. इसमें तीरंदाजी खेल एक सशक्त माध्यम बना, जिससे ना केवल बच्चे, बल्कि उनके पालक भी सुरक्षा बलों पर भरोसा जताते हुए नक्सलियों से लोहा लेने और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए सामने आने लगे. खेल के माध्यम से ग्रामीण बच्चों में आत्मविश्वास जगाया जा रहा है. जिससे पढ़ाई में भी उन्हें मदद मिलेगी.

तीरंदाजी में कीर्तिमान रच रहे कोंडागांव के बच्चे

बच्चों ने स्थापित किए नए कीर्तिमान
आइटीबीपी के अथक प्रयासों से कई खेल में यहां के बच्चों ने कीर्तिमान स्थापित किए. उन्हीं में से एक खेल है आर्चरी (तीरंदाजी) का. वैसे तो यहां के आदिवासी शुरू से ही तीर-धनुष का इस्तेमाल शिकार और आत्मरक्षा के लिए करते आ रहे हैं, लेकिन यही तीरअंदाजी एक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल भी है इससे वह अंजान थे.

तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव

2016 में ITBP ने की थी तीरअंदाजी सिखाने की शुरुआत
आइटीबीपी (41) बटालियन ने साल 2016 में सराहनीय पहल की शुरुआत की थी. इसके तहत माड़ क्षेत्र के बच्चों को आर्चरी खेल सिखाया जाना था, जिसके लिए कोच और खेल के इक्विपमेंट की जरूरत थी. आइटीबीपी कमांडेंट कोंडागांव ने हवलदार त्रिलोचन मोहंतो को आर्चरी कोच के रूप में नियुक्त किया. आर्चरी गेम के इक्विपमेंट महंगे होने की वजह से इस खेल को सिखाने में समस्या आ रही थी. जिसके लिए कुछ फंडिंग तो आइटीबीपी और लोकल प्रशासन ने कर दी, लेकिन इसके बाद भी प्रैक्टिस की समस्या बनी रही.

तीरअंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव

आर्चरी कोच ने उपलब्ध कराया इक्विपमेंट
आइटीबीपी (41) बटालियन हवलदार त्रिलोचन मोहंतो जोकि आर्चरी कोच नियुक्त किए गए थे, उन्होंने स्वयं के लाखों रुपये खर्च कर आर्चरी के लिए इक्विपमेंट उपलब्ध कराया. कोच मोहंतो के त्याग, मेहनत, लगन और बच्चों के आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज घनघोर नक्सल क्षेत्र के बच्चे आर्चरी में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं.

तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे
तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे

तीरअंदाजी में जीते कई पदक
75 से 80 बच्चे ऐसे हैं जो आर्चरी प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके हैं. जिसमें 45 लड़कियां और 35 लड़के हैं. यह सभी खिलाड़ी जो आईटीबीपी से आर्चरी का प्रशिक्षण ले रहे हैं, इनकी उम्र 9 से 25 वर्ष है. अब तक यहां के बच्चे कुल 193 राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. जिसमें उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 38 स्वर्ण पदक, 63 रजत पदक और 40 कांस्य पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे
तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे

राष्ट्रीय स्तर पर भी बच्चों ने जीते मेडल
आर्चरी की राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में आज तक कोंडागांव क्षेत्र के बच्चों ने बहुत ही कम सुविधाओं के साथ 178 मेडल प्राप्त किए हैं. राज्य स्तरीय ही नहीं राष्ट्रीय स्तर की आर्चरी प्रतिस्पर्धा में भी यहां के बच्चों ने अलग छाप छोड़ी है. राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 67 बच्चों ने प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हुए 6 स्वर्ण पदक, तीन रजत पदक और 3 कांस्य पदक जीतकर राज्य और क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय आर्चरी सूचना पटल पर अंकित कराया है.

तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
बच्चों को सिखाते कोच

'बच्चों को नई पहचान दिलाने के लिए जवानों ने की सहायता'
बहुत ही कम समय और सुविधाओं के अभाव में यहां के बच्चों ने तीरंदाजी के खेल में अपनी अलग पहचान बना ली है, जिसके लिए आइटीबीपी (41) बटालियन कोंडागांव ने हर संभव प्रयास किया है. आर्चरी खिलाड़ियों के पालकों का कहना है कि, 'आईटीबीपी 41 बटालियन के जवानों ने उनके बच्चों को एक अलग पहचान दिलाने में सहायता की है.'

'बेहतर सुविधाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार होंगे बच्चे'
आइटीबीपी 41 बटालियन कोंडागांव के कमांडडेंट युद्धवीर सिंह राणा ने बताया कि, 'बहुत ही कम रिसोर्सेज के साथ उन्होंने क्षेत्र से आर्चरी में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार किया है. यदि खेल के क्षेत्र में कोंडागांव जिले में और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो जाए, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी यहां तैयार होने लगेंगे.

कोंडागांव: नक्सलियों के काले साए का दंश झेल रहे बस्तर संभाग को इससे मुक्त कराने के लिए क्षेत्र में ITBP सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी. जिसके बाद से ITBP स्थानीय ग्रामीणों से जुड़ने के लिए सिविक एक्शन प्रोग्राम चला रहा है. आइटीबीपी (41) बटालियन ने नक्सलियों को खदेड़ने के साथ-साथ क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को भी मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम शुरू की. इसमें तीरंदाजी खेल एक सशक्त माध्यम बना, जिससे ना केवल बच्चे, बल्कि उनके पालक भी सुरक्षा बलों पर भरोसा जताते हुए नक्सलियों से लोहा लेने और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए सामने आने लगे. खेल के माध्यम से ग्रामीण बच्चों में आत्मविश्वास जगाया जा रहा है. जिससे पढ़ाई में भी उन्हें मदद मिलेगी.

तीरंदाजी में कीर्तिमान रच रहे कोंडागांव के बच्चे

बच्चों ने स्थापित किए नए कीर्तिमान
आइटीबीपी के अथक प्रयासों से कई खेल में यहां के बच्चों ने कीर्तिमान स्थापित किए. उन्हीं में से एक खेल है आर्चरी (तीरंदाजी) का. वैसे तो यहां के आदिवासी शुरू से ही तीर-धनुष का इस्तेमाल शिकार और आत्मरक्षा के लिए करते आ रहे हैं, लेकिन यही तीरअंदाजी एक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल भी है इससे वह अंजान थे.

तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव

2016 में ITBP ने की थी तीरअंदाजी सिखाने की शुरुआत
आइटीबीपी (41) बटालियन ने साल 2016 में सराहनीय पहल की शुरुआत की थी. इसके तहत माड़ क्षेत्र के बच्चों को आर्चरी खेल सिखाया जाना था, जिसके लिए कोच और खेल के इक्विपमेंट की जरूरत थी. आइटीबीपी कमांडेंट कोंडागांव ने हवलदार त्रिलोचन मोहंतो को आर्चरी कोच के रूप में नियुक्त किया. आर्चरी गेम के इक्विपमेंट महंगे होने की वजह से इस खेल को सिखाने में समस्या आ रही थी. जिसके लिए कुछ फंडिंग तो आइटीबीपी और लोकल प्रशासन ने कर दी, लेकिन इसके बाद भी प्रैक्टिस की समस्या बनी रही.

तीरअंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव

आर्चरी कोच ने उपलब्ध कराया इक्विपमेंट
आइटीबीपी (41) बटालियन हवलदार त्रिलोचन मोहंतो जोकि आर्चरी कोच नियुक्त किए गए थे, उन्होंने स्वयं के लाखों रुपये खर्च कर आर्चरी के लिए इक्विपमेंट उपलब्ध कराया. कोच मोहंतो के त्याग, मेहनत, लगन और बच्चों के आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज घनघोर नक्सल क्षेत्र के बच्चे आर्चरी में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं.

तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे
तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे

तीरअंदाजी में जीते कई पदक
75 से 80 बच्चे ऐसे हैं जो आर्चरी प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके हैं. जिसमें 45 लड़कियां और 35 लड़के हैं. यह सभी खिलाड़ी जो आईटीबीपी से आर्चरी का प्रशिक्षण ले रहे हैं, इनकी उम्र 9 से 25 वर्ष है. अब तक यहां के बच्चे कुल 193 राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. जिसमें उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 38 स्वर्ण पदक, 63 रजत पदक और 40 कांस्य पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे
तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते बच्चे

राष्ट्रीय स्तर पर भी बच्चों ने जीते मेडल
आर्चरी की राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में आज तक कोंडागांव क्षेत्र के बच्चों ने बहुत ही कम सुविधाओं के साथ 178 मेडल प्राप्त किए हैं. राज्य स्तरीय ही नहीं राष्ट्रीय स्तर की आर्चरी प्रतिस्पर्धा में भी यहां के बच्चों ने अलग छाप छोड़ी है. राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 67 बच्चों ने प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हुए 6 स्वर्ण पदक, तीन रजत पदक और 3 कांस्य पदक जीतकर राज्य और क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय आर्चरी सूचना पटल पर अंकित कराया है.

तीरंदाजी ट्रेनिंग सेंटर कोंडागांव
बच्चों को सिखाते कोच

'बच्चों को नई पहचान दिलाने के लिए जवानों ने की सहायता'
बहुत ही कम समय और सुविधाओं के अभाव में यहां के बच्चों ने तीरंदाजी के खेल में अपनी अलग पहचान बना ली है, जिसके लिए आइटीबीपी (41) बटालियन कोंडागांव ने हर संभव प्रयास किया है. आर्चरी खिलाड़ियों के पालकों का कहना है कि, 'आईटीबीपी 41 बटालियन के जवानों ने उनके बच्चों को एक अलग पहचान दिलाने में सहायता की है.'

'बेहतर सुविधाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार होंगे बच्चे'
आइटीबीपी 41 बटालियन कोंडागांव के कमांडडेंट युद्धवीर सिंह राणा ने बताया कि, 'बहुत ही कम रिसोर्सेज के साथ उन्होंने क्षेत्र से आर्चरी में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार किया है. यदि खेल के क्षेत्र में कोंडागांव जिले में और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो जाए, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी यहां तैयार होने लगेंगे.

Intro:नक्सलियों के काले साए का दंश झेल रहे बस्तर संभाग को इससे मुक्त कराने क्षेत्र में आइटीबीपी सुरक्षा बल की स्थापना की गई ,सुरक्षा बल के जवानों के लिए नक्सलियों से लोहा लेने के साथ-साथ बड़ी चुनौती स्थानी ग्रामीणों से मित्रता स्थापित करना भी था जिसके लिए आइटीबीपी द्वारा कई सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।
Body:आइटीबीपी 41 बटालियन ने नक्सलियों को खदेड़ने के साथ-साथ क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को भी मुख्यधारा से जोड़ने मुहिम शुरू की , इसमें खेल एक सशक्त माध्यम बना जिससे ना केवल बच्चे बल्कि उनके पालक भी सुरक्षा बलों पर भरोसा जताते हुए नक्सलियों से लोहा लेने व समाज की मुख्यधारा से जुड़ने सामने आने लगे,

खेल के माध्यम से ग्रामीण बच्चों में एक आत्मविश्वास जागा जिससे पढ़ाई में भी उन्हें सहायता मिलने लगी,

आइटीबीपी के अथक प्रयासों से कई खेलों में यहां के बच्चों ने कीर्तिमान स्थापित किए उन्हीं में से एक खेल है आर्चरी या तीरंदाजी का,

कहने को तो यहां के आदिवासी प्रारंभ से ही तीर-धनुष का इस्तेमाल शिकार व आत्मरक्षा के लिए करते आए हैं, पर यह एक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल भी है यह उन्हें नहीं पता था ,

आइटीबीपी 41 बटालियन ने सन 2016 में पहल की कि माड़ क्षेत्र के बच्चों को आर्चरी खेल सिखाया जाए इसके लिए जरूरत थी कोच व उसके इक्विपमेंट की, आइटीबीपी कमांडेंट कोंडागांव ने हवलदार त्रिलोचन मोहंतो को आर्चरी कोच के रूप में नियुक्त किया , पर समस्या यह थी कि आर्चरी गेम में जो इक्विपमेंट चाहिए होते हैं वह काफी महंगे होते हैं , कुछ फंडिंग तो आइटीबीपी व लोकल प्रशासन ने कर दी पर इसके बाद भी प्रैक्टिस की समस्या बनी रही,

5 फाइल्स अटैच्ड

1st फ़ाइल - byte_युद्धवीर सिंह राणा, कमांडेंट, आइटीबीपी 41 BN, कोंडागांव,
2nd फ़ाइल - byte_आर्चरी खिलाड़ियों के पेरेंट्स,
3rd फ़ाइल - byte_आर्चरी खिलाड़ी,
4th फ़ाइल - आर्चरी ट्रेनिंग का विसुअल,
5th फ़ाइल - 1 to 1 with आर्चरी coach त्रिलोचन मोहंतो
Conclusion:आइटीबीपी itbp 41 बटालियन हवलदार त्रिलोचन मोहंतो जोकि आर्चरी कोच नियुक्त किए गए थे उन्होंने स्वयं के लाखों व्यय से आर्चरी के लिए इक्विपमेंट उपलब्ध कराया और उनके त्याग ,मेहनत, लगन व बच्चों के आत्मविश्वास व कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज माड़ नक्सल क्षेत्र के बच्चे आर्चरी में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं।

आज आइटीबीपी 41 बटालियन कोंडागांव के अथक प्रयासों और सहयोग से कड़ी मेहनत कर माड़ क्षेत्र के बच्चे आर्चरी में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।

75 से 80 बच्चे ऐसे हैं जो आर्चरी प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके हैं जिसमें 45 लड़कियां और 35 लड़के हैं यह सभी खिलाड़ी जो आईटीबीपी से आर्चरी का प्रशिक्षण ले रहे हैं इनकी उम्र 9 से 25 वर्ष है।

अब तक यहां के बच्चे कुल 193 राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं जिसमें उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 38 स्वर्ण पदक, 63 रजत पदक और 40 कांस्य पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

आज तक आर्चरी की राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में कोंडागांव क्षेत्र के बच्चों ने बहुत ही कम सुविधाओं के साथ 178 मेडल प्राप्त किए हैं ,

राज्य स्तरीय ही नहीं राष्ट्रीय स्तरीय आर्चरी प्रतिस्पर्धा में भी यहां के बच्चों ने अलग छाप छोड़ी है राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 67 बच्चों ने प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हुए 6 स्वर्ण पदक, तीन रजत पदक और 3 कांस्य पदक जीतकर राज्य व क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय आर्चरी सूचना पटल पर अंकित कराया है।

बहुत ही कम समय व सुविधाओं के अभाव में यहां के बच्चों ने तीरंदाजी के खेल में अपनी अलग पहचान बना ली है , जिसके लिए आइटीबीपी 41 बटालियन कोंडागांव ने हर संभव प्रयास किया है।

आर्चरी खिलाड़ियों के पालकों का कहना है कि आईटीबीपी 41 बटालियन के जवानों ने उनके बच्चों को एक अलग पहचान दिलाने में सहायता की है ,

आइटीबीपी कमांडेंट 41 बटालियन कोंडागांव क युद्धवीर सिंह राणा ने बताया कि बहुत ही कम रिसोर्सेज के साथ उन्होंने क्षेत्र से आर्चरी में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार किया है , यदि खेल के क्षेत्र में कोंडागांव जिले में और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी यहां तैयार होने लगेंगे।
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