कोंडागांव: LAC पर भारत-चीन के बीच हुए हिंसक झड़प में भारतीय सेना के जवानों के शहीद होने की खबर के बाद पूरे देश में गुस्सा है. देशभर में जगह-जगह इसके खिलाफ नाराजगी जताई जा रही है.
चीन के खिलाफ गुस्सा
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में जिला कांग्रेस कमेटी ने भी चीन की कायराना करतूत के खिलाफ रोष जताया है. जिला कांग्रेस कमेटी ने चीन की इस कायराना हरकत का विरोध जताते हुए चीन का झंडा जलाया और शहीद जवानों की शहादत को नमन करते उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
![district congress committee burnt the flag of china](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-knd-05-congress-burn-china-flag-virodh-avb-cg10017_16062020205616_1606f_1592321176_514.jpg)
पीएम पर साधा निशाना
केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष झुमुक दिवान ने कहा कि एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले इस तरह की घटनाएं होने पर चीन को लाल आंखे दिखाने की बात कहते थे, और उस पर कार्रवाई की बात कहने नहीं थकते थे, लेकिन आज उनके शासनकाल में चीन लगातार ऐसी कायराना हरकत को अंजाम दे रहा है लेकिन वे चुप है.झुमुक दिवान ने कहा कि देशहित के मामले में कांग्रेस उनके साथ है. कांग्रेसियों ने चीनी सैनिकों को देश की सीमा से बाहर खदेड़ने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
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इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जिला महामंत्री गीतेश गांधी, विधायक प्रतिनिधि गजेंद्र चौहान, शहर उपाध्यक्ष जीतू दुबे, जिला सचिव शकुर खान, राजीव ब्रिगेड प्रदेश अध्यक्ष रितेश पटेल, NSUI के जिला संयोजक प्रवीण मिश्रा, रितेश गोयल, बब्बू दहिया, राजकिशोर परिहार, कल्पेश दीवान व जागेश्वर उपस्थित रहे.
45 साल बाद भारत-चीन के हिंसक झड़प, 20 जवान शहीद
बता दें कि 45 साल बाद भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प हुई है. 20 जवान शहीद हुए हैं. इनकी संख्या बढ़ सकती है. सूत्रों के अनुसार चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं. एलएसी पर तनाव बरकरार है. हालांकि, दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर वार्ता जारी है. अमेरिकन मीडिया ने दावा किया है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को उकसाया, इसके बाद हिंसा भड़क गई. भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा है कि एलएसी पर गोलीबारी नहीं हुई है. हमले में पत्थरों और रोड का इस्तेमाल किया गया था.
1967 के बाद बड़ा टकराव
वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे. इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है.