कोंडागांव: पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम ने बुधवार को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. कोंडागांव के प्रियदर्शनी स्टेडियम में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली. नीलकंठ टेकाम के बीजेपी में शामिल होने के बाद कयास यह लगाए जा रहे हैं कि वह कोंडागांव या केशकाल से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. उनकी उम्मीदवारी को लेकर अबतक किसी तरह के संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन बीजेपी सूत्रों के मुताबिक उन्हें कोंडागांव रीजन से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
नीलकंठ टेकाम ने की बीजेपी की तारीफ: नीलकंठ टेकाम ने बीजेपी से जुड़ने के बाद बीजेपी की तारीफ की. उन्होंने राजनीति के माध्यम से बस्तर और कोंडागांव की जनता की सेवा करने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की है.
"बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. सरकारी नौकरी में रहने के दौरान बस्तर के लिए काफी कुछ करने का सोचा था. लेकिन मैं अपने आपको बंधन में महसूस कर रहा था. इसलिए सरकारी नौकरी छोड़कर भाजपा ज्वाइन किया है. हर बस्तरवासियों के लिए यह जरूरी है कि उनके अंदर बस्तर को लेकर दूरदृष्टि है तो उसमें योगदान होना चाहिए. मुझे लगता है अब मेरी राजनीति में जरुरत है, इसलिए पॉलिटिक्स ज्वाइन किया है."- नीलकंठ टेकाम, पूर्व आईएएस और बीजेपी नेता
नीलकंठ टेकाम दूसरे आईएएस हैं जो बीजेपी में शामिल हुए: नीलकंठ टेकाम छत्तीसगढ़ के दूसरे आईएएस हैं, जो बीजेपी में शामिल हुए. इससे पहले पूर्व आईएएस ओपी चौधरी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 से पहले बीजेपी की सदस्यता हासिल की थी. छत्तीसगढ़ के ब्यूरोक्रेसी में ओपी चौधरी उस वक्त तत्कालीन सीएम रमन सिंह के करीबी माने जाते थे.
"आज केशकाल में बीजेपी का ऐतिहासिक कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ है. आईएएस नीलकंठ टेकाम अपने 2500 कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं. लगातार भारतीय जनता पार्टी में नेताओं के प्रवेश का सिलसिला चल रहा है. कल सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास अपने पूरे परिवार के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं. आज एक आईएएस ने सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश किया है. ये इस बात को दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ में परिवर्तन की हवा चल रही है. नवंबर में छत्तीसगढ़ में कमल खिलने वाला है."- अरुण साव, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने किया नीलकंठ टेकाम का बीजेपी में स्वागत: नीलकंठ टेकाम के चुनाव लड़ने को लेकर अरुण साव ने कहा कि ये पार्टी तय करेगी कि किसको क्या करना है. लेकिन एक बस्तर का बेटा अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर जनता की सेवा के लिए आया है. निश्चित रूप से पार्टी उनका पूरा सहयोग करेगी
पहले भी नीलकंठ टेकाम दे चुके हैं इस्तीफा: नीलकंठ टेकाम ने इससे पहले भी अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान एक बार राजनीति में जाने की कोशिश की थी. लेकिन तब मध्यप्रदेश प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था और उनका नामांकन वापस करा दिया था. उसके बाद दोबारा उन्होंने अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली थी.
कौन हैं नीलकंठ टेकाम: नीलकंठ टेकाम अंतागढ़ के सरईपारा के रहने वाले हैं. यहीं से उन्होंने अपनी प्रांरभिक शिक्षा हासिल की. उसके बाद उन्होंने कांकेर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. साल 1990 में उन्होंने समाजशास्त्र से एमए किया. फिर वह छात्र राजनीति में आ गए. साल 1994 में उन्होंने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी. जिसमें वह अनुसूचित जनजाति वर्ग से टॉपर रहे. फिर उन्होंने अफसर के तौर पर बस्तर में काम किया. 6 साल तक नीलकंठ टेकाम ने जगदलपुर में सेवा दी. वह एसडीएम रहे. फिर साल 2008 में आईएएस अवॉर्ड से नवाजे गए. नीति आयोग के आकांक्षी जिले में कोंडागांव को नंबर वन बनाने में उनकी अहम भूमिका रही.