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लॉकडाउन में बच्चों समेत फंसे 70 मजदूर, सूचना के बाद प्रशासन हुआ अलर्ट - Prayas Residential School

कांकेर में प्रयास आवासीय विद्यालय के छात्रावास और कॉलोनी निर्माण में काम करने आए मजदूर लॉकडाउन में फंसे हुए हैं. मामले की जानकारी मिलते ही ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची और कलेक्टर एल चौहान को फोन पर इसकी सूचना दी, जिसके बाद कलेक्टर ने मामले पर संज्ञान लेते हुए फौरन मजदूरों के राशन की व्यवस्था करने का आश्वसन दिया है

workers trapped in lockdown in kanker
लॉकडाउन में फंसे मजदूर
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Published : Mar 27, 2020, 3:35 PM IST

कांकेरः कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देशभर में लागू किए गए 21 दिन के लॉकडाउन में बच्चों समेत 70 मजदूर शहर में फंस गए हैं. सभी लोग छतीसगढ़ के अलग-अलग जिले के रहने वाले हैं, जो प्रयास आवासीय विद्यालय के छात्रावास और कॉलोनी निर्माण में काम करने के लिए आए हुए थे. मजदूरों ने बताया कि जिस ठेकेदार के लिए ये मजदूर काम के करने के लिए आए थे, वह भी इन्हें मुसीबत में अकेला छोड़कर चला गया है. उन्होंने बताया कि उनके पास सिर्फ 2 दिन का राशन बचा हुआ है.

लॉकडाउन में फंसे मजदूर
मामले की जानकारी मिलते ही ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची और कलेक्टर एल चौहान को फोन पर इसकी सूचना दी, जिसके बाद कलेक्टर ने मामले पर संज्ञान लेते हुए फौरन मजदूरों के राशन की व्यवस्था का आश्वासन दिया है. मजदूरों ने बताया कि वे करीब 10 दिन पहले यहां काम करने आए थे, लेकिन 3 दिन पहले कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन कर दिया गया, जिसके बाद काम बंद पड़ गया. उन्होंने बताया कि रविवार को ठेकेदार ने उन्हें उनकी मजदूरी दे दी थी, लेकिन उससे लिया गया राशन अब मात्र दो दिन ही और चलेगा, ऐसे में उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

अलग-अलग जिले से आए हैं मजदूर
सरकारी भवन निर्माण का काम करने आए मजदूर कवर्धा, बेमेतरा, पंडरिया, बिलासपुर, मुंगेली जिले के हैं. मजदूरों के साथ उनके मासूम बच्चे भी हैं, ऐसे में उनके भोजन की व्यवस्था नहीं होने से गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, हालांकि सूचना के बाद प्रशासन ने सभी तरह की व्यवस्था फौरन करने की बात कही है.

कलेक्टर ने दिया मदद का आश्वासन
हैरान करने वाली बात यह है कि यहां शासकीय भवन का निर्माण हो रहा है, उसके बाद भी इतने संख्या में मजदूरों के फंसे होने की भनक तक प्रशासन को नहीं लगी. सूचना के बाद कलेक्टर ने फौरन मजदूरों को प्रशासनिक मदद देने की बात कही है.

कांकेरः कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देशभर में लागू किए गए 21 दिन के लॉकडाउन में बच्चों समेत 70 मजदूर शहर में फंस गए हैं. सभी लोग छतीसगढ़ के अलग-अलग जिले के रहने वाले हैं, जो प्रयास आवासीय विद्यालय के छात्रावास और कॉलोनी निर्माण में काम करने के लिए आए हुए थे. मजदूरों ने बताया कि जिस ठेकेदार के लिए ये मजदूर काम के करने के लिए आए थे, वह भी इन्हें मुसीबत में अकेला छोड़कर चला गया है. उन्होंने बताया कि उनके पास सिर्फ 2 दिन का राशन बचा हुआ है.

लॉकडाउन में फंसे मजदूर
मामले की जानकारी मिलते ही ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची और कलेक्टर एल चौहान को फोन पर इसकी सूचना दी, जिसके बाद कलेक्टर ने मामले पर संज्ञान लेते हुए फौरन मजदूरों के राशन की व्यवस्था का आश्वासन दिया है. मजदूरों ने बताया कि वे करीब 10 दिन पहले यहां काम करने आए थे, लेकिन 3 दिन पहले कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन कर दिया गया, जिसके बाद काम बंद पड़ गया. उन्होंने बताया कि रविवार को ठेकेदार ने उन्हें उनकी मजदूरी दे दी थी, लेकिन उससे लिया गया राशन अब मात्र दो दिन ही और चलेगा, ऐसे में उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

अलग-अलग जिले से आए हैं मजदूर
सरकारी भवन निर्माण का काम करने आए मजदूर कवर्धा, बेमेतरा, पंडरिया, बिलासपुर, मुंगेली जिले के हैं. मजदूरों के साथ उनके मासूम बच्चे भी हैं, ऐसे में उनके भोजन की व्यवस्था नहीं होने से गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, हालांकि सूचना के बाद प्रशासन ने सभी तरह की व्यवस्था फौरन करने की बात कही है.

कलेक्टर ने दिया मदद का आश्वासन
हैरान करने वाली बात यह है कि यहां शासकीय भवन का निर्माण हो रहा है, उसके बाद भी इतने संख्या में मजदूरों के फंसे होने की भनक तक प्रशासन को नहीं लगी. सूचना के बाद कलेक्टर ने फौरन मजदूरों को प्रशासनिक मदद देने की बात कही है.

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