कांकेर: महंगाई भत्ता और हाउस रेंट बढ़ाने की मांग को लेकर कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने 5 दिवसीय हड़ताल शुरू कर दिया है. जिससे शासकीय दफ्तरों में काम काज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आंदोलन (officer employees on strike for 5 days from today) का यह तीसरा चरण है. प्रदेश के कर्मचारियों अधिकारियों का महंगाई भत्ता केंद्र से 12 प्रतिशत पीछे चल रहा है, जिसको लेकर लंबे समय से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन प्रदेश सरकार से महंगाई भत्ता बढाने की मांग कर रहा है. लेकिन प्रदेश सरकार के द्वारा उनकी मांगों पर कोई पहल नहीं किये जाने से नाराज फेडरेशन ने अब 5 दिवसीय हड़ताल शुरू कर दिया है. हड़ताल का असर शासकीय दफ्तरों में दिख रहा है, सभी दफ्तर सूने पड़े हैं.
"विधायकों को वेतन वृद्धि और कर्मचारियों की मांग पर चर्चा तक न होना शर्मनाक": फेडरेशन ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि "एक तरफ विधायकों के वेतन वृद्धि का प्रस्ताव विधानसभा में ध्वनि मत से पारित हो रहा है. वहीं कर्मचारी-अधिकारियों के जायज मांग पर सदन में चर्चा तक नहीं हो रही है." फेडरेशन ने प्रदेश सरकार के द्वारा विधायकों के वेतन बढ़ाने और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के मुद्दे को अनदेखा करने को शर्मनाक करार दिया है.
बाढ़ एवं आपदा नियंत्रण कक्ष में भी सन्नाटा: बरसात के चलते जिले के नदी-नाले उफान पर हैं. किसी तरह की आपदा से बचने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. लेकिन अधिकारी -कर्मचारियों के हड़ताल (officer employees on strike in kanker) के चलते यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है. ऐसे में हड़ताल के दौरान किसी आपात स्थिति में लोगों को मुश्किलों का समाना करना पड़ सकता है.
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कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन की ये है मांगे: कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन (demand of Staff Officers Federation) की 3 सूत्रीय मांगों में प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की मांग है. दूसरी मांग महंगाई भत्ता और तीसरी मांग गृह भाड़ा भत्ता बढ़ाने की है. फेडरेशन के जिला संयोजक प्रमोद तिवारी ने बताया कि "जुलाई 2019 से 1 जुलाई 2022 तक स्वीकृत होने वाले महंगाई भत्ता को केन्द्र सरकार के समान देय तिथि से राज्य सरकार के द्वारा प्रभावशील नहीं किया गया है. जिसके कारण कर्मचारी और अधिकारियों को जबरदस्त आर्थिक चपत लगी है."
उन्होंने बताया कि "केंद्र शासन ने 1 जनवरी 2019 के 12 % महंगाई भत्ता में 5 फीसदी बढोत्तरी कर 1 जुलाई 2019 से 17 फीसदी घोषित किया था. लेकिन राज्य शासन ने 1 जुलाई 2021 से महंगाई भत्ता में 5 फीसदी बढ़ोत्तरी किया था. जिसके कारण 1 जुलाई 2019 से 30 जून 2021 तक प्रदेश के कर्मचारी अधिकारियों के मासिक वेतन में 5 फीसदी का कटौती हुई है.
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डीए का मुद्दा गरमाया: उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 का 4 %, 1 जुलाई 2020 का 3 % और 1 जनवरी 2021 का 3 % कुल 11 % डीए में वृद्धि अथार्त 17% से 28 % की वृद्धि को प्रभावशील किया था. लेकिन राज्य सरकार ने 1 जुलाई 21 से 30 अप्रैल 22 तक वेतन में 17 % कटौती कर डीए में 5 % का वृद्धि 1 मई 2022 से की है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों को फिलहाल 34 % डीए (DA) मिल रहा है. जबकि राज्य में डीए 22 फीसदी है. जोकि 1 मई 22 से प्रभावशील (Work stopped in Kankers offices) किया गया है. जिसके कारण राज्य के कर्मचारी-अधिकारी के मासिक वेतन में 12 फीसदी की कटौती हो रही है.
फेडरेशन के जिला संयोजक ने बताया कि "गृहभाड़ा भत्ता स्वीकृति के मामले में राज्य सरकार कर्मचारी-अधिकारियों का आर्थिक शोषण कर रही है. राज्य में 1/1/2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया था. लेकिन कर्मचारी-अधिकारियों को आज तक छठवें वेतनमान के मूलवेतन पर 10 फीसदी और 7 फीसदी के दर से एचआरए दिया जा रहा है. जबकि केन्द्र में 18 फीसदी और 9 फीसदी है."