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बेमौसम बारिश से बढ़ा धान के खराब होने का खतरा - धान के खाराब होने की संभावना

छत्तीसगढ़ में धान परिवहन का काम चल रहा है. जिले के खरीदी केंद्रों में उठाव का काम धीमा चल रहा है. इस बीच बेमौसम बारिश में धान के भीगने का खतरा बढ़ गया है. जिससे धान खराब होने का डर सता रहा है.

risk of spoilage of Paddy
बारिश में धान के भीगने का खतरा
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Published : Feb 5, 2020, 1:49 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 11:33 PM IST

कांकेर : धान खरीदी केंद्रों में धान उठाव की गति बेहद धीमी नजर आ रही है. जिले में अब तक 50 प्रतिशत भी धान का उठाव नहीं हो पाया है. वहीं खराब मौसम के कारण धान भीगने और खराब होने का खतरा बना हुआ है.

बारिश में धान के भीगने का खतरा

जिले में कुल साढ़े 26 लाख क्विंटल धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. प्रशासन का दावा है कि अब तक लगभग 20 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है. लेकिन उठाव 10 लाख क्विंटल से भी कम हुआ है. खरीदी केंद्रों में धान खुले में रखे हुए हैं, जिससे धान के खाराब होने की संभावना है. धान को प्लास्टिक से ढका गया है, लेकिन तेज बारिश होने से धान के भीगने का खतरा बना हुआ है, जिससे लाखों का नुकसान हो सकता है.

पढे़:रायपुरः मौसम ने ली करवट, प्रदेश के कई हिस्सों में हो रही है बारिश

मामले में जिला विपणन अधिकारी प्रवीण पैकरा का कहना है कि उठाव में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है. जहां धान जाम पड़े हैं, वहां से उठाव करवाने की कोशिश की जा रही है. बारिश के लिए केंद्रों में धान को कवर करने की व्यवस्था की गई है.

कांकेर : धान खरीदी केंद्रों में धान उठाव की गति बेहद धीमी नजर आ रही है. जिले में अब तक 50 प्रतिशत भी धान का उठाव नहीं हो पाया है. वहीं खराब मौसम के कारण धान भीगने और खराब होने का खतरा बना हुआ है.

बारिश में धान के भीगने का खतरा

जिले में कुल साढ़े 26 लाख क्विंटल धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. प्रशासन का दावा है कि अब तक लगभग 20 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है. लेकिन उठाव 10 लाख क्विंटल से भी कम हुआ है. खरीदी केंद्रों में धान खुले में रखे हुए हैं, जिससे धान के खाराब होने की संभावना है. धान को प्लास्टिक से ढका गया है, लेकिन तेज बारिश होने से धान के भीगने का खतरा बना हुआ है, जिससे लाखों का नुकसान हो सकता है.

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मामले में जिला विपणन अधिकारी प्रवीण पैकरा का कहना है कि उठाव में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है. जहां धान जाम पड़े हैं, वहां से उठाव करवाने की कोशिश की जा रही है. बारिश के लिए केंद्रों में धान को कवर करने की व्यवस्था की गई है.

Intro:कांकेर-जिले के धान खरीदी केंद्रों में धान उठाव की गति बेहद धीमी नज़र आ रही है, जिले में अब तक 50 प्रतिशत भी धान का उठाव नही हो सका है, वही खराब मौसम के चलते धान भीगने और खराब होने का खतरा भी मंडरा रहा है ।


Body:जिले में कुल साढ़े 26 लाख किवंटल धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है, प्रशासन का दावा का है कि अब तक लगभग 20 लाख किवटल धान की खरीदी हो चुकी है, लेकिन उठाव 10 लाख किवंटल से भी कम हुआ है, ऐसे में धान खुले आसमान के नीचे खरीदी केंद्रों में रखे हुए है, पिछले दो दिनों से मौसम ने करवट बदली है, आसमान में घने बादल छाए हुए है, वही रुक रुक बारिश भी हुई है, धान को जरूर प्लास्टिक से ढंका गया है, लेकिन यदि तेज़ बारिश हुई तो धान के भीगने का खतरा है ।जिससे लाखो का नुकसान हो सकता है ।


Conclusion:मामले में जिला विपरण अधिकारी प्रवीण पैकरा का कहना है कि उठाव में तेज़ी लाने प्रयास किये जा रहे है, जहा धान जाम हुए है वहा से उठाव करवाने कोशिश की जा रही है, बारिश के लिए केंद्रों में धान को कवर करने व्यवस्था की गई है ।

बाइट-प्रवीण पैकरा जिला विपरण अधिकारी
Last Updated : Feb 5, 2020, 11:33 PM IST
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