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कांकेर में दूध नदी के दोनों ओर रिटेनिंग वॉल का काम शुरू - दूध नदी

कांकेर में दूध नदी के दोनों ओर रिटेनिंग वॉल का काम अब शुरू हो रहा है. आज भूमिपूजन किया गया. दो साल में रिटेनिंग वॉल बनकर तैयार हो जाएगा. ये वॉल 29 करोड़ 99 लाख रुपये की लागत से बनाया जाएगा.

Retaining wall work started
दूध नदी के किनारों पर रिटेनिंग वॉल का काम शुरू
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Published : May 24, 2023, 3:50 PM IST

कांकेर में दूध नदी को संवारने का काम शुरू

कांकेर: जिले में बारिश के दिनों में दूध नदी का पानी नगर के अंदर तक आ जाता है. ये पानी दुकानों और घरों में घुसने से लोगों को काफी दिक्कतें होती है. इसके अलावा नगर का कचरा दूध नदी में फेंका जाता है. इन सबसे अब लोगों को निजात मिलेगा. दरअसल, कांकेर शहर के बीच से गुजरने वाली दूध नदी में 29 करोड़ 99 लाख रुपये की लागत से रिटेनिंग वॉल का काम शुरू हो रहा है. ये वॉल तकरीबन 2 साल में बनकर तैयार होगा. इस निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया है.

व्यापारियों को होता है नुकसान: चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दिलीप खटवानी ने बताया कि, "कांकेर की जनता साल 1976 से बाढ़ की समस्या झेलते आ रही है. बाढ़ से कई व्यपारियों को नुकसान होता है. आधी रात को अचानक बारिश होने से दूध नदी का पानी नगर में घुस जाता है. व्यपारी अपना समान तक नहीं निकाल पाते हैं. इससे व्यापारियों को लाखों का नुकसान होता है. रिटेनिंग वॉल बनने से व्यपारियों को काफी राहत मिलेगी."

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भूमिपूजन किया गया: संसदीय सचिव और विधायक शिशुपाल शोरी ने बताया कि, "दूध नदी का पानी शहर के रिहायशी इलाकों में घुस जाने से आम जनता और व्यापारियों को काफी दिक्कतें होती थी. व्यापारी वर्ग और आम जनता सालों से दूध नदी में रिटेनिंग वॉल निर्माण की मांग कर रही थी. उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए स्वीकृति प्रदान किया गया है. आज निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया है."

कैसे बनेगा रिटेनिंग वॉल : शहर को बाढ़ से बचाने के लिए दूध नदी के दोनों तट पर 26.77 करोड़ की राशि से रिटेनिंग वॉल का निर्माण कराया जाएगा. नगर के बीच पुल से भंडारीपारा मंदिर मोड़ तक 15 सौ मीटर और राजापारा की तरह 8 सौ मीटर रिटेनिंग वॉल तैयार किया जाएगा. नदी तट से साढ़े पांच मीटर ऊपर तक रिटेनिंग वॉल की दीवार होगी. इसकी बुनियाद जमीन के अंदर डेढ़ मीटर तक रहेगी.

दूध नदी कांकेर की लाइफ लाइन कहलाती है. इस नदी का उद्गम स्थल मलांजकुड़ुम जलप्रपात है. संगम स्थल महानदी, सरंपगपाल घाट है. इस नदी की लंबाई 22 किमी है. यहां साल 1953 में, साल 1976 में, साल 2001 में, साल 2012 में और साल 2016 में भीषण बाढ़ आई थी. इस दौरान यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

कांकेर में दूध नदी को संवारने का काम शुरू

कांकेर: जिले में बारिश के दिनों में दूध नदी का पानी नगर के अंदर तक आ जाता है. ये पानी दुकानों और घरों में घुसने से लोगों को काफी दिक्कतें होती है. इसके अलावा नगर का कचरा दूध नदी में फेंका जाता है. इन सबसे अब लोगों को निजात मिलेगा. दरअसल, कांकेर शहर के बीच से गुजरने वाली दूध नदी में 29 करोड़ 99 लाख रुपये की लागत से रिटेनिंग वॉल का काम शुरू हो रहा है. ये वॉल तकरीबन 2 साल में बनकर तैयार होगा. इस निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया है.

व्यापारियों को होता है नुकसान: चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दिलीप खटवानी ने बताया कि, "कांकेर की जनता साल 1976 से बाढ़ की समस्या झेलते आ रही है. बाढ़ से कई व्यपारियों को नुकसान होता है. आधी रात को अचानक बारिश होने से दूध नदी का पानी नगर में घुस जाता है. व्यपारी अपना समान तक नहीं निकाल पाते हैं. इससे व्यापारियों को लाखों का नुकसान होता है. रिटेनिंग वॉल बनने से व्यपारियों को काफी राहत मिलेगी."

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भूमिपूजन किया गया: संसदीय सचिव और विधायक शिशुपाल शोरी ने बताया कि, "दूध नदी का पानी शहर के रिहायशी इलाकों में घुस जाने से आम जनता और व्यापारियों को काफी दिक्कतें होती थी. व्यापारी वर्ग और आम जनता सालों से दूध नदी में रिटेनिंग वॉल निर्माण की मांग कर रही थी. उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए स्वीकृति प्रदान किया गया है. आज निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया है."

कैसे बनेगा रिटेनिंग वॉल : शहर को बाढ़ से बचाने के लिए दूध नदी के दोनों तट पर 26.77 करोड़ की राशि से रिटेनिंग वॉल का निर्माण कराया जाएगा. नगर के बीच पुल से भंडारीपारा मंदिर मोड़ तक 15 सौ मीटर और राजापारा की तरह 8 सौ मीटर रिटेनिंग वॉल तैयार किया जाएगा. नदी तट से साढ़े पांच मीटर ऊपर तक रिटेनिंग वॉल की दीवार होगी. इसकी बुनियाद जमीन के अंदर डेढ़ मीटर तक रहेगी.

दूध नदी कांकेर की लाइफ लाइन कहलाती है. इस नदी का उद्गम स्थल मलांजकुड़ुम जलप्रपात है. संगम स्थल महानदी, सरंपगपाल घाट है. इस नदी की लंबाई 22 किमी है. यहां साल 1953 में, साल 1976 में, साल 2001 में, साल 2012 में और साल 2016 में भीषण बाढ़ आई थी. इस दौरान यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

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