पखांजूर: कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र के अंदरूनी इलाके के 50 से ज्यादा गांवों में बारिश के दिनों में हालत बद से बदतर हो जाते है. सड़क मार्ग नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बारिश के दिनों में नदी-नालों को नाव के सहारे पारकर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. किसी को अस्पताल पहुंचाना हो या राशन लेना हो इन ग्रामीणों को नाव से नदी पार कर जाना पड़ता है. नदी पार करने के लिए इन ग्रामीणों को 50 रुपये प्रति व्यक्ति किराया भी देना पड़ता है.
50 से ज्यादा गांवों की हालत दयनीय
छत्तीसगढ़ अब डिजिटल प्रदेश बनता जा रहा है, लेकिन यहां के कई इलाकों में अब भी विकास के नाम पर एक नाम का सहारा है. कांकेर जिले के परलकोट के कई गावों का यहीं हाल है. पखांजूर से लगभग 30 किलोमीटर दूर परलकोट क्षेत्र के करीब 50 से ज्यादा गांव के ग्रामीणों को अब तक मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पाई है. सीताराम, बेचाघाट, राजामुंडा, बिनागुंडा, मेसपी, केंगल जैसे 50 से ज्यादा गांव कोटरी नदी के उस पार बसे हैं. गर्मियों के 4 से 5 महीने में कोटरी नदी का जलस्तर कम रहता है, लेकिन बारिश शुरू होने के बाद से करीब 6 से 7 महीनों तक कोटरी नदी में पानी भरा रहता है, जिससे उन दिनों में ग्रामीणों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए उफनती हुई कोटरी नदी को पार कर बेटियां बाजार और पखांजूर आना पड़ता है.
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वनवास से कम नहीं लोगों का जीवन
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किराये पर चलती है नाव