कांकेर: आज के आधुनिक भारत में जहां केंद्र और राज्य सरकारें गांव-गांव तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, ताकि लोगों को पानी के लिए दिक्कत न हो, वहीं दूसरी ओर कांकेर जिला के पखांजूर के मरोड़ा पंचायत के लोग आज भी झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. एक तरह से बोला जाए, तो समस्या नहीं समस्याओं का अंबार है.
मरोड़ा पंचायत के आजाद पारा में लगभग 8 परिवार 25 वर्षों से निवासरत हैं, जो मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ये ग्रामीण पिछले कई साल से गांव में मूलभूत सुविधाओं की मांग करते आ रहे हैं. चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि बिजली, सड़क, पानी उपलब्ध कराने की लालच देकर चुनाव लड़ते हैं. चुनाव जीतने के बाद इन लाचार बेबस ग्रामीणों से किया हुआ वादा भूल जाते हैं. ऐसे में मजबूरी में लोग झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं.
टायफाइड जैसे बीमारी से ग्रामीणों को जूझना पड़ता है
ग्रामीण अपने खेत में एक कुएं की आकर में गड्ढ़ा बना रखे हैं. जहां से उन्हें सालभर झिरिया से पीने का पानी मिल जाता है, लेकिन गड्ढ़े में इतनी गंदगी फैली हुई है कि कभी भी लोग पानी से बीमार पड़ सकते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार इस पानी को पीने की वजह से बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. कई बार तो लोगों को डायरिया, उल्टी और टायफाइड जैसे बीमारी से जूझना पड़ता है.
कब मिलेगा लोगों को साफ पानी
चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के विधायक ने परलकोट क्षेत्र के बहुत से पंचायतों को नलकूप खनन की सौगात प्रदान की है, लेकिन वास्तव में देखा जाए तो मरोड़ा पंचायत के आजाद पारा के ग्रामीण साफ पानी के एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. अब आजाद पारा के लोगों ने पेयजल समस्या, सड़क और बिजली की आपूर्ति की मांग की है. अब देखने वाली बात यह है कि क्या क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार इन बेबस ग्रामीणों की मांगों को पूरा कर पाते हैं या हर बार की तरह इस बार भी आश्वासन हाथ लगता है.