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नक्सलियों ने ली कांकेर से लापता हुए पुलिस जवान की हत्या की जिम्मेदारी

कांकेर से लापता सहायक आरक्षक मनोज नेताम (Assistant constable Manoj Netam) की हत्या की जिम्मेदारी नक्सलियों ने ली है. जवान 28 अप्रैल से लापता था. नक्सलियों के आरकेबी डिवीजन (राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन) के प्रवक्ता विकास ने इसे लेकर बयान जारी किया है.

missing policeman from kanker
आरक्षक मनोज नेताम
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Published : Jun 5, 2021, 2:00 PM IST

कांकेर: जिले के दुर्गुकोंदल विकासखंड के कोड़ेकुर्से थाने में पदस्थ सहायक आरक्षक मनोज नेताम (Assistant constable Manoj Netam) बीते 28 अप्रैल को अचानक लापता हो गया था. पुलिस टीम आरक्षक की लगातार तलाश कर रही थी. शुक्रवार को नक्सलियों के आरकेबी डिवीजन (राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन) के प्रवक्ता विकास ने एक बयान जारी किया. जिसमें नक्सलियों ने सहायक आरक्षक मनोज नेताम की हत्या की जिम्मेदारी ली है.

इधर पुलिस ने सहायक आरक्षक की नक्सलियों द्वारा हत्या किए जाने की घटना को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. नक्सलियों का आरोप है कि मनोज नेताम पुलिस में भर्ती होने के पहले गोपनीय सैनिक के रूप में काम करता था. मुखबिर के रूप में काम करते हुए वो पुलिस विभाग में भर्ती हुआ था. नक्सलियों के बयान में आरोप लगाया गया है कि पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद मनोज नेताम डरा-धमकाकर रुपये वसूली कर रहा था. साथ ही नक्सलियों के नाम से जनता से रुपये वसूल रहा था. वह मुखबिर तंत्र को मजबूत करने में लगा हुआ था.

अपहरण या आपसी रंजिश ? कांकेर में लापता पुलिस जवान का अब तक सुराग नहीं

नक्सलियों के अनुसार 28 अप्रैल को हुई थी आरक्षक की हत्या

नक्सलियों ने बयान में कहा है कि 'जब आरक्षक मनोज नेताम को अगवा किया तब भी वह मुखबिर बनाने के लिए गांव आया था. मनोज नेताम को खत्म करने नक्सली दस्ते ने कई बार कोशिश की, लेकिन 28 अप्रैल को सफलता मिली'. नक्सलियों ने यह भी लिखा है कि मनोज नेताम को सजा देकर घोषणा करने में सुरक्षा कारणों की वजह से देरी हुई है.

कांकेर: जिले के दुर्गुकोंदल विकासखंड के कोड़ेकुर्से थाने में पदस्थ सहायक आरक्षक मनोज नेताम (Assistant constable Manoj Netam) बीते 28 अप्रैल को अचानक लापता हो गया था. पुलिस टीम आरक्षक की लगातार तलाश कर रही थी. शुक्रवार को नक्सलियों के आरकेबी डिवीजन (राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर डिवीजन) के प्रवक्ता विकास ने एक बयान जारी किया. जिसमें नक्सलियों ने सहायक आरक्षक मनोज नेताम की हत्या की जिम्मेदारी ली है.

इधर पुलिस ने सहायक आरक्षक की नक्सलियों द्वारा हत्या किए जाने की घटना को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. नक्सलियों का आरोप है कि मनोज नेताम पुलिस में भर्ती होने के पहले गोपनीय सैनिक के रूप में काम करता था. मुखबिर के रूप में काम करते हुए वो पुलिस विभाग में भर्ती हुआ था. नक्सलियों के बयान में आरोप लगाया गया है कि पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद मनोज नेताम डरा-धमकाकर रुपये वसूली कर रहा था. साथ ही नक्सलियों के नाम से जनता से रुपये वसूल रहा था. वह मुखबिर तंत्र को मजबूत करने में लगा हुआ था.

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नक्सलियों के अनुसार 28 अप्रैल को हुई थी आरक्षक की हत्या

नक्सलियों ने बयान में कहा है कि 'जब आरक्षक मनोज नेताम को अगवा किया तब भी वह मुखबिर बनाने के लिए गांव आया था. मनोज नेताम को खत्म करने नक्सली दस्ते ने कई बार कोशिश की, लेकिन 28 अप्रैल को सफलता मिली'. नक्सलियों ने यह भी लिखा है कि मनोज नेताम को सजा देकर घोषणा करने में सुरक्षा कारणों की वजह से देरी हुई है.

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