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गलवान घाटी संघर्ष: शहादत के एक साल बाद भी शहीद के परिवार को स्मारक का इंतजार

1 साल पहले 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan ghati) में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी. जिसमें छत्तीसगढ़ के एक जवान गणेश राम कुंजाम भी शहीद हुए थे. उनके परिवार को वे सारी सुविधाएं मिलीं, जो एक शहीद जवान के परिवार को मिलती है, लेकिन एक साल बाद भी उनके गांव में शहीद गणेश राम कुंजाम का स्मारक नहीं बन पाया है. शहीद गणेश राम कुंजाम (Ganesh Ram Kunjam) की बरसी पर देखिए एक रिपोर्ट...

memorial of ganesh ram kunjam
गलवान घाटी संघर्ष
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Published : Jun 15, 2021, 6:55 PM IST

कांकेर: 15 जून 2020 की काली रात को लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan ghati) में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे. हमारे जवानों ने भी चीन के कई सैनिकों को मार गिराया था. इस संघर्ष को आज एक साल हो गए हैं.

शहीद के परिवार को स्मारक का इंतजार

भारतीय सेना (Indian Army) के 20 वीर शहीद जवानों में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक छोटे से गांव गिधाली के रहने वाले जवान गणेश राम कुंजाम (Ganesh Ram Kunjam) भी शामिल थे. गणेश के परिवार को उनके शहीद होने के बाद वे तमाम सुविधाएं तो उपलब्ध करवाई गईं, जो देश सेवा में शहीद जवानों के परिजनों को दी जाती हैं, लेकिन शहीद जवान के लिए बनाया जाने वाला स्मारक (Memorial of Martyr Ganesh Ram) आज भी शासन-प्रशासन की ओर से मिलने वाले फंड का इंतजार रहा है. जिस जवान ने देश सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उसके स्मारक के लिए फंड नहीं होने की बात कही जा रही है. शासन-प्रशासन का तर्क है कि स्मारक बनाने के लिए कोई फंड नहीं होता है.

परिवार लगा रहा गुहार

17 जून 2020 का दिन गणेश के परिवार के लिए काले दिन जैसा था. इसी दिन जवान गणेश राम कुंजाम की शहादत की खबर आई थी. पहले सिर्फ 3 जवानों के शहीद होने की खबर थी, लेकिन 17 जून की रात तक ये संख्या 20 हो गई थी. इसमें कांकेर जिले के चारामा ब्लॉक के छोटे से गांव गिधाली के गणेश राम भी शामिल थे. उनके गांव में सेना के अफसरों, मंत्री, अधिकारियों की मौजूदगी में शहीद जवान गणेश कुंजाम को अंतिम विदाई दी गई थी. परिवार को शहीद होने वाले जवानों के परिवार को मिलने वाली हर मदद भी मिली. गांव का स्कूल गणेश राम कुंजाम के नाम पर रखा गया, छोटी बहन को कुछ दिनों पहले ही नौकरी भी मिल गई, लेकिन शहीद गणेश राम का स्मारक (Memorial of Martyr Ganesh Ram) अब तक नहीं बन पाया है, जिसके लिए परिवार शासन से लगातार गुहार लगा रहा है. इधर जिम्मेदार कह रहे हैं कि स्मारक के लिए फंड नहीं है.

सैनिक कल्याण बोर्ड से भी लगाई गुहार

गणेश राम कुंजाम के चाचा तिहारु राम कुंजाम का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्होंने कई बार सैनिक कल्याण बोर्ड (Sainik Welfare Board) के जिला दफ्तर में भी संपर्क किया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली. तिहारु राम ने बताया कि इस एक साल में सैनिक कल्याण बोर्ड के कोई भी अधिकारी कभी शहीद जवान के परिवार का हाल जानने नहीं आए. जबकि इस बोर्ड का गठन ही सैनिकों और उनके परिवार की मदद के लिए किया गया है.

गलवान संघर्ष का एक साल : उस रात के बाद बदल गए भारत-चीन के रिश्ते

सीएम ने की थी घोषणा

19 जून को शहीद का शव चीन सीमा से रायपुर पहुंचा, तो श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) भी पहुंचे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि शहीद की यादों को जिंदा रखने के लिए गांव के प्राथमिक शाला को शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम किया जाएगा. मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद इस दिशा में काम करते हुए प्रशासन ने गिधाली के प्राइमरी स्कूल को शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम पर कर दिया गया. प्राथमिक शाला के साथ उसी परिसर में स्थित माध्यमिक शाला का रंगरोगन भी कराया गया. अब परिसर में चेकर टाइल्स लगवाई जा रही है. गिधाली के प्राइमरी स्कूल का नामकरण शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम (school named after martyr Ganesh Ram Kunjam) करते हुए स्कूल में तमाम सुविधाएं जुटाई जा रही हैं. शिक्षा विभाग इस स्कूल को हाईटेक बनाने में लगा हुआ है.

संघर्ष के बाद बदले भारत-चीन के संबंध

15-16 जून 2020 के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले दोनों देशों के बीच सबकुछ बदल गया. भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए इस खूनी संघर्ष के बाद चीन की सेना से लेकर सामरिक और आर्थिक मोर्चे तक भारत ने गहरी चोट पहुंचाई है. गलवान में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भारत और चीन के रिश्ते सबसे तल्ख मोड़ तक पहुंच गए.

गलवान का खूनी संघर्ष

चीन की विस्तारवादी नीति किसी से छिपी नहीं है. चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के हिस्सों पर अपना हक जताता रहा है. जमीन से लेकर समुद्र तक चीन की घुसपैठ पूरी दुनिया देख चुकी है. चीन की इसी लालच का नतीजा था गलवान में भारत और चीनी सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष.

दरअसल दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही बातचीत के बीच चीन की तरफ से एलएसी पर तनाव बढ़ाने की कोशिश की गई. ये वो वक्त था जब भारत कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था. एलएसी के पास निर्माण और जमीन कब्जाने की कोशिश चीनी सेना की तरफ से की गई. 15-16 जून को भारत और चीनी सैनिक आमने-सामने आ गए. दोनों सेनाओं के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए.

गलवान घाटी संघर्ष : 20 जवान शहीद, आखिरकार पीछे हटी चीन की सेना, जानें घटनाक्रम

बताते हैं कि चीनी सैनिकों के पास हथियार थे और कील लगी रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया, जबकि नियम के मुताबिक एलएसी पर दोनों देशों के सैनिक सिर्फ गश्त कर सकते हैं, लेकिन हथियारों के बगैर. पर चीनी सैनिकों ने हर नियम-कायदे की धज्जियां उड़ाई. झड़प के दौरान चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर भी आई, शुरुआत में चीन इससे इनकार करता रहा, लेकिन बाद में चीन ने भी अपने जवानों के मारे जाने की बात स्वीकर की.

गलवान हिंसा के बाद सरकार की प्रतिक्रिया

  • 20.06.2020 : भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के नियमों में बदलाव किया. इससे एलएसी पर तैनात कमांडरों को कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दी गई.
  • 01.07.2020 : भारत चीन के खिलाफ आर्थिक आक्रमण का प्रयास किया. चीनी कंपनियों को भारतीय राजमार्ग परियोजनाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई, चीन, भारत में इन्वेस्ट नहीं कर सकेगा, चीन से आयात रोक दिया गया.
  • 29.06.2020 : भारत सरकार ने 59 मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें ज्यादातर चीनी एप जैसे कि टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और वीचैट शामिल थे.
  • 02.09.2020 : भारत ने लोकप्रिय गेम पबजी (PUBG) सहित 118 चीन मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया.

1962 का भारत नहीं

गलवान के बाद भारत के फ्रंट फुट पर आने से चीन को संदेश तो गया ही है, दुनियाभर के देशों ने भी भारत का साथ दिया है. वैसे भी दोस्तों के नाम पर चीन के साथ पाकिस्तान जैसे गिने चुने देश हैं. एशिया में चीन के कई पड़ोसी उसकी विस्तारवादी नीति का दंश झेल चुके हैं. जिसका विरोध एशिया से लेकर पूरी दुनिया के देश करते हैं. ऐसे में गलवान के बाद भारत की रणनीति में आए बदलाव से चीन को भी समझना होगा कि ये 1962 का भारत नहीं है.

कांकेर: 15 जून 2020 की काली रात को लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan ghati) में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे. हमारे जवानों ने भी चीन के कई सैनिकों को मार गिराया था. इस संघर्ष को आज एक साल हो गए हैं.

शहीद के परिवार को स्मारक का इंतजार

भारतीय सेना (Indian Army) के 20 वीर शहीद जवानों में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक छोटे से गांव गिधाली के रहने वाले जवान गणेश राम कुंजाम (Ganesh Ram Kunjam) भी शामिल थे. गणेश के परिवार को उनके शहीद होने के बाद वे तमाम सुविधाएं तो उपलब्ध करवाई गईं, जो देश सेवा में शहीद जवानों के परिजनों को दी जाती हैं, लेकिन शहीद जवान के लिए बनाया जाने वाला स्मारक (Memorial of Martyr Ganesh Ram) आज भी शासन-प्रशासन की ओर से मिलने वाले फंड का इंतजार रहा है. जिस जवान ने देश सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उसके स्मारक के लिए फंड नहीं होने की बात कही जा रही है. शासन-प्रशासन का तर्क है कि स्मारक बनाने के लिए कोई फंड नहीं होता है.

परिवार लगा रहा गुहार

17 जून 2020 का दिन गणेश के परिवार के लिए काले दिन जैसा था. इसी दिन जवान गणेश राम कुंजाम की शहादत की खबर आई थी. पहले सिर्फ 3 जवानों के शहीद होने की खबर थी, लेकिन 17 जून की रात तक ये संख्या 20 हो गई थी. इसमें कांकेर जिले के चारामा ब्लॉक के छोटे से गांव गिधाली के गणेश राम भी शामिल थे. उनके गांव में सेना के अफसरों, मंत्री, अधिकारियों की मौजूदगी में शहीद जवान गणेश कुंजाम को अंतिम विदाई दी गई थी. परिवार को शहीद होने वाले जवानों के परिवार को मिलने वाली हर मदद भी मिली. गांव का स्कूल गणेश राम कुंजाम के नाम पर रखा गया, छोटी बहन को कुछ दिनों पहले ही नौकरी भी मिल गई, लेकिन शहीद गणेश राम का स्मारक (Memorial of Martyr Ganesh Ram) अब तक नहीं बन पाया है, जिसके लिए परिवार शासन से लगातार गुहार लगा रहा है. इधर जिम्मेदार कह रहे हैं कि स्मारक के लिए फंड नहीं है.

सैनिक कल्याण बोर्ड से भी लगाई गुहार

गणेश राम कुंजाम के चाचा तिहारु राम कुंजाम का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्होंने कई बार सैनिक कल्याण बोर्ड (Sainik Welfare Board) के जिला दफ्तर में भी संपर्क किया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली. तिहारु राम ने बताया कि इस एक साल में सैनिक कल्याण बोर्ड के कोई भी अधिकारी कभी शहीद जवान के परिवार का हाल जानने नहीं आए. जबकि इस बोर्ड का गठन ही सैनिकों और उनके परिवार की मदद के लिए किया गया है.

गलवान संघर्ष का एक साल : उस रात के बाद बदल गए भारत-चीन के रिश्ते

सीएम ने की थी घोषणा

19 जून को शहीद का शव चीन सीमा से रायपुर पहुंचा, तो श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) भी पहुंचे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि शहीद की यादों को जिंदा रखने के लिए गांव के प्राथमिक शाला को शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम किया जाएगा. मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद इस दिशा में काम करते हुए प्रशासन ने गिधाली के प्राइमरी स्कूल को शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम पर कर दिया गया. प्राथमिक शाला के साथ उसी परिसर में स्थित माध्यमिक शाला का रंगरोगन भी कराया गया. अब परिसर में चेकर टाइल्स लगवाई जा रही है. गिधाली के प्राइमरी स्कूल का नामकरण शहीद गणेश राम कुंजाम के नाम (school named after martyr Ganesh Ram Kunjam) करते हुए स्कूल में तमाम सुविधाएं जुटाई जा रही हैं. शिक्षा विभाग इस स्कूल को हाईटेक बनाने में लगा हुआ है.

संघर्ष के बाद बदले भारत-चीन के संबंध

15-16 जून 2020 के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले दोनों देशों के बीच सबकुछ बदल गया. भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए इस खूनी संघर्ष के बाद चीन की सेना से लेकर सामरिक और आर्थिक मोर्चे तक भारत ने गहरी चोट पहुंचाई है. गलवान में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भारत और चीन के रिश्ते सबसे तल्ख मोड़ तक पहुंच गए.

गलवान का खूनी संघर्ष

चीन की विस्तारवादी नीति किसी से छिपी नहीं है. चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के हिस्सों पर अपना हक जताता रहा है. जमीन से लेकर समुद्र तक चीन की घुसपैठ पूरी दुनिया देख चुकी है. चीन की इसी लालच का नतीजा था गलवान में भारत और चीनी सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष.

दरअसल दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही बातचीत के बीच चीन की तरफ से एलएसी पर तनाव बढ़ाने की कोशिश की गई. ये वो वक्त था जब भारत कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था. एलएसी के पास निर्माण और जमीन कब्जाने की कोशिश चीनी सेना की तरफ से की गई. 15-16 जून को भारत और चीनी सैनिक आमने-सामने आ गए. दोनों सेनाओं के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए.

गलवान घाटी संघर्ष : 20 जवान शहीद, आखिरकार पीछे हटी चीन की सेना, जानें घटनाक्रम

बताते हैं कि चीनी सैनिकों के पास हथियार थे और कील लगी रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया, जबकि नियम के मुताबिक एलएसी पर दोनों देशों के सैनिक सिर्फ गश्त कर सकते हैं, लेकिन हथियारों के बगैर. पर चीनी सैनिकों ने हर नियम-कायदे की धज्जियां उड़ाई. झड़प के दौरान चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर भी आई, शुरुआत में चीन इससे इनकार करता रहा, लेकिन बाद में चीन ने भी अपने जवानों के मारे जाने की बात स्वीकर की.

गलवान हिंसा के बाद सरकार की प्रतिक्रिया

  • 20.06.2020 : भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के नियमों में बदलाव किया. इससे एलएसी पर तैनात कमांडरों को कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दी गई.
  • 01.07.2020 : भारत चीन के खिलाफ आर्थिक आक्रमण का प्रयास किया. चीनी कंपनियों को भारतीय राजमार्ग परियोजनाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई, चीन, भारत में इन्वेस्ट नहीं कर सकेगा, चीन से आयात रोक दिया गया.
  • 29.06.2020 : भारत सरकार ने 59 मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें ज्यादातर चीनी एप जैसे कि टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और वीचैट शामिल थे.
  • 02.09.2020 : भारत ने लोकप्रिय गेम पबजी (PUBG) सहित 118 चीन मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया.

1962 का भारत नहीं

गलवान के बाद भारत के फ्रंट फुट पर आने से चीन को संदेश तो गया ही है, दुनियाभर के देशों ने भी भारत का साथ दिया है. वैसे भी दोस्तों के नाम पर चीन के साथ पाकिस्तान जैसे गिने चुने देश हैं. एशिया में चीन के कई पड़ोसी उसकी विस्तारवादी नीति का दंश झेल चुके हैं. जिसका विरोध एशिया से लेकर पूरी दुनिया के देश करते हैं. ऐसे में गलवान के बाद भारत की रणनीति में आए बदलाव से चीन को भी समझना होगा कि ये 1962 का भारत नहीं है.

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