कांकेर: जिले के नक्सल प्रभावित अंदरूनी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों का हाल भगवान भरोसे है. एक ओर स्वास्थ्य विभाग चिकित्सक और विभागीय कर्मचारियों की कमी झेल रहा है. दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन किसी कबाड़खाने जैसे हालातों में हैं. (Lack of building in sub health centers ) सालों से मरम्मत के अभाव में हेल्थ अवेर्नेस सेंटर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ गया है.
ETV भारत ने सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोयलीबेड़ा के पानीडोबीर में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र का जयजा लिया. उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन किसी हॉरर हाउस से कम नहीं है. छत की हालत ऐसी की कभी भी धराशायी हो जाए. इससे निकले रॉड कभी भी गिर सकते हैं. शौचालय भी गंदगी से भरा पड़ा है. (village health center )
बारिश से बढ़ी परेशानी
बरसात के दिनों में उप स्वास्थ्य केंद्र के हालात बेहद बिगड़ जाते हैं. छत से पानी टपकता रहता है. आलम ये है कि चंद सेकेंड के लिए रुका भी नहीं जा सकता है. पानीडोबीर उप स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत 4 से 5 गांव आते हैं. इन गांव के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए इसी गांव पर आश्रित हैं. 2 हजार से ज्यादा जनसंख्या को यह उप स्वास्थय केंद्र कवर करता है. एक स्वास्थ्य संजोयक के भरोसे पूरा उप स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है.
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कोयलीबेड़ा के 17 पंचायतों में 28 हजार जनसंख्या के लिए 4 डॉक्टर ही नियुक्त हैं. पानीडोबीर के अलावा कोयलीबेड़ा मुख्यालय का भवन भी जर्जर अवस्था में है.बदरंगी उप स्वास्थ्य केंद्र के भी हालात ऐसे ही हैं. सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे संचालित हो रहे हैं. सुविधाओं के साथ ही भवन और स्टाफ की कमी बनी हुई है. यहां स्वास्थ्य केंद्रों के खुलने और बंद होने का भी कोई ठीक समय निर्धारित नहीं है. आम जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दूसरे ब्लॉक मुख्यालय पर निर्भर है. बरसात के दिनों में तो खाट पर मरीजों को लादकर अस्पताल तक लाना पड़ता है. (shortage of doctors in kanker)
जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के आंकड़ों पर एक नजर
उपस्वास्थ्य केंद्र | 249 |
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र | 35 |
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र | 8 |
सिविल अस्पताल | 1 |
जिला अस्पताल | 1 |
चिकित्सकों की भारी कमी
कांकेर जिले में स्वीकृति के बावजूद भी 66 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. स्वीकृत 158 में 92 चिकित्सक कार्यरत हैं. 66 चिकित्सकों के पद अब भी रिक्त हैं. यही हाल जिले में कर्मचारियों का है. जिले में 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित ही नहीं हो रहे हैं. कोयलीबेड़ा विकासखंड के किस कोणों में नक्सलियों के ध्वस्त किया गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अभी तक वीरान है. वहीं उसी क्षेत्र के गोंडा में भी भवन नहीं होने के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित नहीं हो पा रहा है. (community health center)
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कांकेर में बदहाल हैं स्वास्थ्य सुविधाएं
जिले में 249 उप स्वास्थ्य केंद्रों में से ग्राम स्वास्थ्य केंद्र (हेल्थ अवेर्नेस सेंटर) के रूप में 177 उप स्वास्थ्य केंद्रों को मान्यता मिली है. 49 उप स्वास्थ्य केंद्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) हैं. बाकी बचे हुए उप स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (RHO) के भरोसे संचालित हो रहे हैं. उत्तर बस्तर क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, जहां स्वास्थ्य कर्मी पहुंचते ही नहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव जिला मुख्यालय से करीब 100 से 110 किलोमीटर दूर हैं. बारिश के समय हालात और भी बदतर हो जाते हैं. मरीजों को नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. रात के समय नाव की सुविधा भी नहीं मिल पाती है.