कांकेर: जिले में एक ओर जहां 77 हजार शिक्षित बेरोजगारों का आंकड़ा रोजगार कार्यालय में पंजीकृत है. वहीं कांकेर के अलबेलापारा निवासी हिमांशु साहू ने सरकारी नौकरी की आसरा छोड़ अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए मुर्गी पालन का काम शुरू किया है.
हिमांशु के इस काम ने न सिर्फ उसे आर्थिक उपलब्धि दिलाई. बल्कि बाकी बेरोजगारों को भी एक सिख दे गई की पढ़े लिखे होने के बावजूद सरकारी नौकरी की आस में न रहें. अपने पैरों पर खड़े होकर खुद रोजगार स्थापित करें.
वैज्ञानिकों से लिया प्रशिक्षण
हिमांशु ने ETV भारत को बताया कि इलेक्ट्रानिक्स एवं टेलीकम्यूनिकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने पूरी की है. कई सालों तक सरकारी नौकरी के लिए कोशिश की. आखिर में खुद का रोजगार स्थापित करने का मन बनाया. हिमांशु ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के वैज्ञानिकों से मिलकर उनकी सालाह पर कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण लिया. शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ब्यासकोंगेरा में एक जमीन लीज पर लेकर कड़कनाथ चूजा पालन करने लगा.
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दूसरे राज्यों में भी बिक रहा मुर्गा
हिमांशु ने आगे बताया कि कड़कनाथ मुर्गी-मुर्गा का उत्पादन कर कांकेर जिला के साथ पड़ोसी राज्य जैसे ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तरप्रदेश में भी बेचना शुरू कर दिया है. अब उन्हें मुर्गी पालन से अब लाखो का फायदा होने लगा है.
100 किलोग्राम मुर्गियों का उत्पादन
हिमांशु वर्तमान में हर महीने करीब 11 हजार चूजे और 100 किलोग्राम मुर्गी-मुर्गा का उत्पादन कर रहे हैं. जिससे उन्हें हर महीने करीब 1 लाख 50 हजार रुपये तक की आमदनी हो रही है.
दूर दूर तक बस्तर के कड़कनाथ की मांग
कड़कनाथ पूरी तरह से साधारण मुर्गे-मुर्गियों की तरह ही होता है. लेकिन इसकी विशेषता है कि यह पूरी तरह से काला होता है. यहां तक कि इसका खून भी काला होता है. जहां साधारण मुर्गा 200 रुपये प्रति किलो बिकता है, वहीं कड़कनाथ की आपूर्ति कम होने से ये 500 से 600 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. कड़कनाथ की लोकप्रियता से इसका सेवन करने वालों की संख्या भी बढ़ गई है.