कांकेर: जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमाबेड़ा उप-तहसील के ग्राम पंचायत मताला (ब) में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है. यहां के ग्रामीणों को सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. यहां साल 2016-17 में 8 लाख की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया है. लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र में आए दिन ताला लटका रहता है. ग्रामीणों का आरोप है कि पहले केंद्र, एक हफ्ते में एक बार खुलता था. अब यह स्वास्थ्य केंद्र कई हफ्तों में एक बार खुलता है. कोरोना काल के दौरान यहां अस्पताल खोलने को लेकर लापरवाही देखी गई है.
5 गांव इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर
मताला (ब) में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र पर 5 गांव के ग्रामीण निर्भर हैं. लगभग 300 ग्रामीण इन गांव में निवास करते हैं. हालयनार, खिलेनार, वडगेहेनार, गाऊर गांव के ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ही यह उप स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था. लेकिन फिलाहाल स्वास्थ्य सुविधा तो दूर बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को खुद के वाहनों से शहर की ओर जाना पड़ता है.
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कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता की कमी
ETV भारत मताला (ब) गांव पहुंचा था. यहां हमने पाया की कई ग्रामीणों को कोरोना वायरस के बारे में पता ही नहीं है. कुछ ने इसका नाम सुना है, लेकिन इसके लक्षण, वायरस संक्रमण की रोकथाम की कोई जानकारी उन्हें नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें इस बीमारी की कोई जानकारी नहीं दी है. कोरोना जैसा कुछ सुने तो है लेकिन इसकी सही जानकारी उन्हें नहीं है. एक ग्रामीण ने बताया कि मास्क लगा के रहना है. ये बोला जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य अमला ने गांवों में कोरोना की जानकरी अब तक नहीं दी है.
फिलहाल गांव से दूर कोरोना
ग्रामीण वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए खुद ही सजग हैं. अभी तक इन बीहड़ो में कोरोना संक्रमण नहीं पहुंच सका है. बता दें इस गांव में अब भी टीकाकरण शुरू नहीं हो सका है. ग्रामीणों को इस बात की जानकारी है कि टीकाकरण सभी का होना है. लेकिन कब और कैसे इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
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कंपाउंडर और नर्स के भरोसे उप स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीण जागरू कोर्राम ने बताया कि सप्ताह में एक या दो बार बस कंपाउंडर और नर्स आते हैं. कभी-कभी तो दो-तीन सप्ताह में एक बार आते हैं. ग्रामीणों को मजबूर होकर 25 किलोमीटर दूर उप तहसील आमाबेड़ा में इलाज कराने के लिए जाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि मंहगाई का दौर है. पेट्रोल-डीजल का रेट भी बढ़ा है. आमाबेड़ा जाने से खर्च अधिक होता है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क भी जर्जर है. निर्माणाधीन सड़क के कारण चलना भी मुश्किल है. उप स्वास्थ्य केंद्र खुल जाए तो यहीं इलाज करा लेंगे.
कोरोना से लड़ने में स्वास्थ्य विभाग की अहम भूमिका
इस वक्त देश कोरोना की चपेट में है. इस दौर में स्वास्थ्य अमला कोरोना रोकथाम के लिए अहम भूमिका भी निभा रहा है. लोगों का आरोप है कि इस इलाके में स्वास्थ्य अमला बेपरवाह होकर उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगाकर गायब है. जब ग्रामीणों को सामान्य इलाज नहीं मिल पा रहा है, फिर कोरोना से लड़ने में स्वास्थ्य अमला की तैयारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्षेत्र के जनपद उपाध्यक्ष भवन लाल जैन ने बताया कि आमाबेड़ा में यह समस्या कई सालों से बनी हुई है. स्वास्थ्य अमला अपने स्थान में न रहकर आना जाना करते हैं. जिससे स्वास्थ्य केंद्र मनमाफिक खुलता और बंद होता है. इस समस्या को लेकर उन्होंने कई बार स्वास्थ्य अधिकारियों को अगवत कराया है. लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हुई है.
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आपातकाल में हम ग्रामीणों को सेवा पहुंचा रहे: स्वास्थ्य विभाग
ब्लॉक चिकित्सा अधिकरी भेजराम टेके ने दूरभाष पर बताया कि अभी कोविड टीकाकरण में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. आमाबेड़ा अस्पताल के डॉक्टर मनोज सिंगरौल ने बताया कि उप तहसील में स्वास्थ्य विभाग के पास 25 स्टाफ हैं. जिसमें से 18 की ड्यूटी टीकारण और कोविड टेस्टिंग में लगी हुई है. मातला (ब) की खुद स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव हैं. इसलिए स्वास्थ्य केंद्र बंद है. हालांकि आपातकाल में हम ग्रामीणों को सेवा जरूर पहुंचा रहे हैं.