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डिजिटल इंडिया की सच्चाई, बांस में डोंगल लगाकर छात्र कर रहे पढ़ाई

कांकेर के पखांजूर के गांव में नेटवर्क नहीं आने से परेशान छात्रों ने देशी जुगाड़ का सहारा लिया है. इस गांव में हर घर में अपना टावर है. गांव के लोगों ने सरकार से इस गांव में जल्द से जल्द टावर लगाए जाने की मांग की है.

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बांस में डोंगल
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Published : Nov 24, 2020, 4:40 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 7:02 PM IST

कांकेर: लॉकडाउन के बाद से सभी सेक्टरों में डिजिटल माध्यमों के जरिए काम हो रहा है. कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ ही प्रदेश में सभी स्कूल-कॉलेज बंद हो गए. छात्र डिजिटल तकनीक की सहायता से पढ़ाई कर रहें हैं. डिजिटल इंडिया की हकीकत ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिलती है. यहां रहने वाले छात्रों को अक्सर नेटवर्क नहीं होने से समस्या का सामना करना पड़ता है. पंखाजूर के कुरेनार गांव के छात्रों ने इस नेटवर्क की समस्या से अपनी पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया. गांव के लोगों ने देशी जुगाड़ लगाते हुए अपने लिए टावर का इंतजाम कर लिया है.

डिजिटल इंडिया की सच्चाई!

कुरेनार गांव के हर घर में सभी के पास अपना मोबाइल टावर है. गांव के लोग बांस के सहारे डोंगल लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं. गांव से 30 किलोमीटर दूर मोबाइल टावर लगा हुआ है. छात्रों ने बांस में डोंगल लगाकर उसे 200 से 300 फीट ऊपर लगा दिया जहां से नेटवर्क कैच करने लगा. छात्र अपने फोन से WIFI के जरिए पढ़ाई करने लगे.

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बांस में डोंगल

पढ़ें- SPECIAL: कहीं रमन सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट को तो नहीं दुहराएगा एथेनॉल प्रोजेक्ट ?


हर घर में लगा है बांस का टावर

कुरेनार एक ऐसा गांव जहां हर घर में बांस का खम्बा लगा हुआ दिखाई देता है. हर रोज शाम होते ही डोंगल ऊपर लगाया जाता है, और बड़ी आसानी से लोग नेट चला लेते हैं. मोबाइल टावर तो हर गांव में पिछले 2 साल से लगा तो दिया गया पर आज तक चालू नहीं किया गया है. लोगों को नेटवर्क नहीं होने से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि दिनभर नेटवर्क नहीं होने की वजह से उन्हें शाम तक का इंतजार करना पड़ता है.

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देशी जुगाड़

टावर लगाने की मांग

स्कूली बच्चों का कहना है कि दिन भर नेटवर्क नहीं रहने की वजह से उन्हें शाम तक का इंतजार करना पड़ता है उसके बाद भी नेटवर्क कम होने की वजह से स्पीड कम रहती है. इस गांव के लोगों ने जल्द से जल्द इस इलाके में टावर लगाने की मांग की है.

कांकेर: लॉकडाउन के बाद से सभी सेक्टरों में डिजिटल माध्यमों के जरिए काम हो रहा है. कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ ही प्रदेश में सभी स्कूल-कॉलेज बंद हो गए. छात्र डिजिटल तकनीक की सहायता से पढ़ाई कर रहें हैं. डिजिटल इंडिया की हकीकत ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिलती है. यहां रहने वाले छात्रों को अक्सर नेटवर्क नहीं होने से समस्या का सामना करना पड़ता है. पंखाजूर के कुरेनार गांव के छात्रों ने इस नेटवर्क की समस्या से अपनी पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया. गांव के लोगों ने देशी जुगाड़ लगाते हुए अपने लिए टावर का इंतजाम कर लिया है.

डिजिटल इंडिया की सच्चाई!

कुरेनार गांव के हर घर में सभी के पास अपना मोबाइल टावर है. गांव के लोग बांस के सहारे डोंगल लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं. गांव से 30 किलोमीटर दूर मोबाइल टावर लगा हुआ है. छात्रों ने बांस में डोंगल लगाकर उसे 200 से 300 फीट ऊपर लगा दिया जहां से नेटवर्क कैच करने लगा. छात्र अपने फोन से WIFI के जरिए पढ़ाई करने लगे.

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बांस में डोंगल

पढ़ें- SPECIAL: कहीं रमन सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट को तो नहीं दुहराएगा एथेनॉल प्रोजेक्ट ?


हर घर में लगा है बांस का टावर

कुरेनार एक ऐसा गांव जहां हर घर में बांस का खम्बा लगा हुआ दिखाई देता है. हर रोज शाम होते ही डोंगल ऊपर लगाया जाता है, और बड़ी आसानी से लोग नेट चला लेते हैं. मोबाइल टावर तो हर गांव में पिछले 2 साल से लगा तो दिया गया पर आज तक चालू नहीं किया गया है. लोगों को नेटवर्क नहीं होने से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि दिनभर नेटवर्क नहीं होने की वजह से उन्हें शाम तक का इंतजार करना पड़ता है.

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देशी जुगाड़

टावर लगाने की मांग

स्कूली बच्चों का कहना है कि दिन भर नेटवर्क नहीं रहने की वजह से उन्हें शाम तक का इंतजार करना पड़ता है उसके बाद भी नेटवर्क कम होने की वजह से स्पीड कम रहती है. इस गांव के लोगों ने जल्द से जल्द इस इलाके में टावर लगाने की मांग की है.

Last Updated : Nov 26, 2020, 7:02 PM IST
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