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कांकेर: नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा और कुंजीर में बंपर वोटिंग - चुनाव बहिष्कार

कांकेर लोकसभा सीट पर नक्सल प्रभावित इलाके में लोगों ने नक्सलियों की धमकी के बावजूद मतदान किया.

वोटर
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Published : Apr 18, 2019, 8:34 PM IST

कांकेर: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न हुआ. वोटिंग को लेकर सुबह से ही मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा था. ईटीवी भारत की टीम ने अंदरूनी इलाकों में जाकर हालत का जायजा लिया.

नक्सल प्रभावित इलाके में बंपर वोटिंग

ग्रामीण इलाके में भी बेहतर वोटिंग
चिलचिलाती धूप और नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बावजूद मतदाताओं का मनोबल कम नहीं हुआ. शहरी के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी लोगों ने पोलिंग बूथ पहुंचकर मतदान किया.

धमकी के बावजूद लोगों ने डाला वोट
कांकेर शहर से लगे नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमाबेड़ा और कुंजीर गांव में नक्सलियों ने मतदान से दो दिन पहले पर्चे और बैनर के जरिए चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से बताया कि, कुछ दिन पहले नक्सलियों ने उनके गांव में आकर वोटिंग नहीं करने की धमकी दी थी. नक्सलियों के धमकी के वाबजूद गांववालों ने बैठक कर मतदान करने का फैसला लिया.

सात किलोमीटर चलकर पहुंचे पोलिंग बूथ
करीब 300 की आबादी वाले इस गांव के ग्रामीण अपने गांव से लगभग 7 किलोमीटर तक कड़ी धूप में पैदल चलकर मतदान करने पहुंचे. ग्रामीण ने बताया कि 'मतदान करने से उन्हें चावल मिलेगा और उससे उनका पेट भरेगा. उन्होंने कहा कि 'नक्सलियों का डर तो है लेकिन इसे दरकिनार करते हुए वोटिंग लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया.

ग्रामीणों ने किया वोटिंग का बहिष्कार
हम ग्रामीणों से बात कर ही रहे थे कि, हमे जानकारी लगी कि, बड़े के बड़ा गांव के एक मतदान केंद्र में ग्रामीणों ने वोटिंग का बहिष्कार किया है. हलांकि एडिशनल एसपी और चुनाव आयोग की स्थानीय टीम ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों को आश्वासन दिया, तब जाकर मतदान शुरू हो सका. घोर नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले इस इलाके में मतदान का प्रतिशत 60 के आस-पास रहा.

कांकेर: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न हुआ. वोटिंग को लेकर सुबह से ही मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा था. ईटीवी भारत की टीम ने अंदरूनी इलाकों में जाकर हालत का जायजा लिया.

नक्सल प्रभावित इलाके में बंपर वोटिंग

ग्रामीण इलाके में भी बेहतर वोटिंग
चिलचिलाती धूप और नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बावजूद मतदाताओं का मनोबल कम नहीं हुआ. शहरी के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी लोगों ने पोलिंग बूथ पहुंचकर मतदान किया.

धमकी के बावजूद लोगों ने डाला वोट
कांकेर शहर से लगे नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमाबेड़ा और कुंजीर गांव में नक्सलियों ने मतदान से दो दिन पहले पर्चे और बैनर के जरिए चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से बताया कि, कुछ दिन पहले नक्सलियों ने उनके गांव में आकर वोटिंग नहीं करने की धमकी दी थी. नक्सलियों के धमकी के वाबजूद गांववालों ने बैठक कर मतदान करने का फैसला लिया.

सात किलोमीटर चलकर पहुंचे पोलिंग बूथ
करीब 300 की आबादी वाले इस गांव के ग्रामीण अपने गांव से लगभग 7 किलोमीटर तक कड़ी धूप में पैदल चलकर मतदान करने पहुंचे. ग्रामीण ने बताया कि 'मतदान करने से उन्हें चावल मिलेगा और उससे उनका पेट भरेगा. उन्होंने कहा कि 'नक्सलियों का डर तो है लेकिन इसे दरकिनार करते हुए वोटिंग लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया.

ग्रामीणों ने किया वोटिंग का बहिष्कार
हम ग्रामीणों से बात कर ही रहे थे कि, हमे जानकारी लगी कि, बड़े के बड़ा गांव के एक मतदान केंद्र में ग्रामीणों ने वोटिंग का बहिष्कार किया है. हलांकि एडिशनल एसपी और चुनाव आयोग की स्थानीय टीम ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों को आश्वासन दिया, तब जाकर मतदान शुरू हो सका. घोर नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले इस इलाके में मतदान का प्रतिशत 60 के आस-पास रहा.

Intro:कांकेर। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में कांकेर लोकसभा सीट पर चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करा लिया गया है। सुबह से ही मतदाता मतदान के प्रति जागरूक दिखाई दिए और लंबी कतार में लग कर अपने अपने मत का प्रयोग किया और लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। तेज धूप और नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बावजूद मतदाताओं का मनोबल कम नहीं हुआ और शहरी क्षेत्र के साथ साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता भी मतदान केंद्र तक पहुंचे और अपने मताधिकार का प्रयोग किया।


Body:वो1- कांकेर शहर से लगे अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमाबेड़ा और कुंजीर गांव में नक्सलियों ने मतदान से 2 दिन पूर्व ही बैनर पर्चे फेंककर चुनाव बहिष्कार का एलान किया था। नक्सलियों के इस करतूत के बाद ईटीवी भारत की टीम इस गांव का जायजा लेने पहुंची जहां कुंजीर गांव के ग्रामीण अपने गांव से 7 किलोमीटर दूरी पर बनाएं मतदान केंद्र पहुंचकर अपने मत का प्रयोग किया। मतदान कर वापस लौट रहे कुंजीर ग्राम के ग्रामीण ने ईटीवी से बातचीत करने के दौरान बताया कि नक्सली कुछ दिन पूर्व ही उनके गांव आकर उन्हें मतदान देने नहीं जाने की धमकी दी थी। बावजूद इसके कुंजीर गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर यह फैसला लिया की वह मतदान करने जाएंगे और लगभग 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव के ग्रामीण अपने गांव से लगभग 7 किलोमीटर कड़ी धूप में पैदल चल कर मतदान करने पहुंचे । जागरूक ग्रामीण ने बताया की मतदान करने से उन्हें चावल मिलेगा और उससे उनका पेट भरेगा। नक्सलियों का भय तो है लेकिन इस भय को पूरे ग्रामीण मिलकर सामना करेंगे यही फैसला लेकर कुंजीर और उसके आसपास गांव के ग्रामीण निर्भय होकर वोट डालने पैदल चलकर मतदान केंद्रों तक पहुंचे।

बाईट 1-सालिकराम , ग्रामीण

वो2 - कुंमजीर गांव पहुंचने के बाद यह भी सूचना मिली की बड़े के बड़ा गांव के मतदान केंद्र में चुनाव का बहिष्कार किया गया है और यह बहिष्कार नक्सलियों द्वारा नहीं बल्कि वहां के ग्रामीणों द्वारा किया गया है। इससे पहले कि ईटीवी भारत की टीम उस गांव में पहुंच पाती उससे पहले ही कांकेर पुलिस के अति पुलिस अधीक्षक व चुनाव आयोग की स्थानीय टीम उस गांव में पहुंची और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान कर लिया जाएगा । और वह चुनाव बहिष्कार ना करें। आश्वाशन मिलने के बाद दोपहर 1:00 बजे से मतदान की प्रक्रिया शुरू की गई और दोपहर 3:00 बजे तक बड़ी संख्या में इस गांव के मतदाताओं ने अपना वोट दिया। बड़े आमापाल में ही नक्सलियों ने 2 दिन पूर्व पर्चे फेंक कर चुनाव बहिष्कार करने का ऐलान किया था। बावजूद इसके इस गांव के 4 मतदान केंद्रों में हेलीकॉप्टर से मतदान कर्मियों को भेजा गया और इन मतदान केंद्रों की सुरक्षा खुद बीएसएफ के जवानों ने संभाल रखी थी। और कड़ी सुरक्षा के बीच यहां चुनाव संपन्न कराया गया ।वहीं 3:00 बजे तक नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके में 60% मतदान का प्रतिशत रहा। नक्सलियों के गढ़ में बंपर मतदान होने से यह कहा जा सकता है कि पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बुलेट पर बैलेट भारी पड़ता नजर आया और लोकतंत्र के इस महापर्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों ने निर्भय होकर अपने मत का प्रयोग किया।

वॉक थ्रू--- अशोक नायडू


बड़ा गांव के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया है और वजह है इस गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधा से जूझ रहे हैं हालांकि


Conclusion:
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