कवर्धा: जिले के भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र के थंवरझोल गांव के 37 बैगा आदिवासी परिवारों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. वन विभाग ने 4 साल पहले इन्हें विस्थापित किया था, जिसके बदले में पात्रता के आधार पर उन्हें जमीन और मुआवजा राशि देना था. साल बीतने के बाद भी इन्हें मुआवजा राशि नहीं मिली. पीड़ित आदिवासी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.
विस्थापन के बाद भी नहीं मिला मुआवजा
भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र अंतर्गत वनांचल ग्राम थंवरझोल में वन विभाग ने सड़क निर्माण के लिए सालों से निवास कर रहे बैगा आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित कर ली थी. इसके बदले में प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा राशि देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी 37 आदिवासी परिवारों को ना जमीन मिल पाई और ना ही मुआवजा राशि दी गई है. बैगा आदिवासी दर-दर भटक रहे हैं.
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'विस्थापन के बाद बढ़ी मुसीबत'
पीड़ित बैगाओं ने बताया कि थंवरझोल गांव में सालों रहने के बाद नई जगह आने से परेशानी काफी बढ़ गई है. यहां सुविधाओं का अभाव है. सिर्फ एक नल के भरोसे पूरी बस्ती के लोग रहते हैं. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस समय तो स्कूल बंद हैं, लेकिन आने वाले दिनों में जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चे कहां पढ़ने जाएंगे. आदिवासियों ने बताया कि थंवरझोल में पानी की सुविधा के साथ साथ निस्तारी के लिए तालाब भी था, लेकिन बीजाढाब में नहीं है. रोजगार के साधन भी नहीं है, जिससे परिवार पालने में भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही है. खेती-किसानी का काम भी नहीं होने से सिर्फ मजदूरी के भरोसे रहना पड़ रहा है.
परेशान पीड़ितों ने बीते दिनों वनमंत्री मोहम्मद अकबर से भी गुहार लगाई थी. मंत्री जी ने भी आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज दिया. अब पीड़ित बैगा कलेक्ट्रेट पहुंचे हैं. पीड़ितों की मांग है कि उनके अधिग्रहित जमीन का जल्द ही मुआवजा राशि प्रदान किया जाए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. वन विभाग के डीएफओ का कहना है कि मुआवजा राशि देने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने जल्द राशि देने की बात कही है.