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कवर्धा को क्यों नहीं मिल पा रही विश्व पर्यटन स्थल की पहचान

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश से कागजों में तो जरुर अलग है लेकिन लोगों दिलों से नहीं है. दरअसल छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला मध्यप्रदेश से सटे होने के कारण सरहद पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी आज भी मध्यप्रदेश से ही लगाव रखते हैं और उनका दिनचर्या मध्यप्रदेश से ही शूरू होकर मध्यप्रदेश में खत्म हो जाता है.

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पर्यटन स्थल की पहचान
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Published : Oct 31, 2021, 5:44 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 10:02 PM IST

कवर्धा: छत्तीसगढ़ अपना 21वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश से कागजों में तो जरुर अलग है लेकिन लोगों के दिलों से अलग नहीं हुआ है. दरअसल छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला मध्यप्रदेश से सटे होने के कारण सरहद पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी आज भी मध्यप्रदेश से ही लगाव रखते हैं और उनका दिनचर्या मध्यप्रदेश से ही शूरू होकर मध्यप्रदेश में खत्म हो जाता है, लेकिन मतदान छत्तीसगढ़ को ही करते हैं.

कवर्धा को क्यों नहीं मिल रही विश्व पर्यटन स्थल की पहचान?

कवर्धा में बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक हैं स्थल

कबीरधाम जिला मैकल पर्वत (Makal Mountain) से घिरा सकरी नदी के दक्षिणी हिस्से में बसा एक बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक स्थान है. कबीरधाम जिले में पर्यटन के अनेकों स्थान जैसे- चिल्फी, सरोधा, रानीदहरा, सरोधादादर, पीड़ाघाट व अन्य लेकिन इन सब में खास है. मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से प्रसिद्ध एतिहासिक भोरमदेव मंदिर (Famous Historical Bhoramdev Temple) जिसे 11वीं शताब्दी मे नागवंशी राजाओं द्वारा बनाया गया था. मंदिर की दिवारों पर पत्थर से उकेर कर बनाई गकी कला आकृति लोगों का मन मोह लेती है. इस मंदिर को देखाने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं.

जानें कहां मिला तहखाना, 200 साल पुराना है इसका इतिहास!

संपदा को सजोने में नाकाम रही बीजेपी सरकार

वैसे तो कवर्धा में अनेकों पर्यटन स्थल है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और शासन की अनदेखी की मार झेल रहे कबीरधाम जिले को अब तक सही पहचान नहीं मिल पाई है. छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद सबसे पहले निर्वाचित प्रथम वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह (then Chief Minister Raman Singh) ,कवर्धा के होने के बावजूद 15 सालों में कवर्धा को कोई पहचान नहीं दिला पाए. बल्कि कवर्धा को कुदरत के दिए तोफे जैसे- झरना, पहाड़ और बहुत से प्रकृतिक खुबसूरत स्थानों को भी सहज के रखने में नाकम रहे. इसके अलावा जिले में ना कोई उद्योग खुला, ना ही रोजगार का कोई व्यवस्था हुई. कवर्धा में दो शक्कर कारखाना (sugar factory) है लेकिन वहां पर भी बहरी लोगों को रोजगार दिया गया है. स्थानीय लोग आज भी भटक रहे हैं.

कबीरधाम में की जाती है गन्ने की बड़ी मात्रा में खेती

कबीरधाम जिले के मैदानी क्षेत्र में ज्यादातर धान और खन्ना की खेती की जाती है. इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कवर्धा जिले में 02 शक्कर कारखाना खुले हैं. छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद अजीत जोगी (Ajit Jogi) की सरकार में छत्तीसगढ़ का प्रथम शक्कर कारखाना कवर्धा के राम्हेपुर गांव बनाया गया था. फिर भाजपा के सरकार में पंडरिया विकासखंड के बिसेसरा गांव (Bisesara village of Pandariya block) में दूसरा शक्कर कारखाना खुला गया था. इससे किसानों को कम मेहनत और लागत में अच्छी आमदनी हो रही है.

ट्रेन की खलती है कमी

कवर्धा में ट्रेन रूट नहीं होने के कराण यहां के लोगों को छत्तीसगढ़ और अन्य जिलों में जाना पड़ता है. क्योंकि कवर्धा जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर सफर करने के बाद ही ट्रेन की सुविधा उपलब्ध होती है. इसी के चलते स्थानीय लोगों को समानों का दम अधिक अदा करना पड़ता है. कवर्धा के लोगों की ओर से कई बार शासन प्रशासन से ट्रेन रूट को लेकर मांग की. उस दौरान बीजेपी कवर्धा में ट्रेन लाइन के मुद्दे को लेकर चुनाव भी लड़ चुकी है. इसके साथ ही केंद्रीय रेल मंत्री की ओर से भूमिपून भी किजा चुका है. लेकिन जिलेवासियों का ट्रेन का सपना अब भी अधूरा है.

इस रियासती कचहरी की बैरकें बनीं शौचालय!

रोजगार का नहीं है कोई साधन

कवर्धा में दो शक्कर कारखाने के अलावा कोई भी उद्योग नहीं है. जिसके कारण पढ़े लिखे बेरोजगारों के पास कोई नौकरी नहीं है. बड़ी बड़ी डिगरी रखे कोई घर से संपन्न हो तो दुकान खोलकर बैठ गया है. लेकिन जो गरीब है वो मजदूरी करने को मजबूर है.

अब कांग्रेस की सरकार (Congress Government) है तो इनके विधायक पिछली सरकार की विफलता बताते हुए वर्तमान सरकार की ओर से लगातार विकास करने की बात कह रहे हैं. आने वाले समय में और भी विकास कर कबीरधाम जिले को एक नई पहचान देने की बात की जा रही है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़िया पहचान देने की भी बात कह रहे हैं.

कांग्रेस विधायक ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां

विधायक ममता चंद्राकर (MLA Mamta Chandrakar) ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ की परंपरा को भूल चुके हैं. हमारी परंपरा आने वाली पढ़ी हमारी परंपरा को जानती ही नहीं है. भूपेश सरकार (Bhupesh Government) ने छत्तीसगढ़ी परंपरा की फिर से जीवित किया है. जिससे प्रदेश की जनता बेहद खुश है और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को भी आगे बढ़ने में प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है.

छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जो छत्तीसगढ़ की स्थापना से 02 वर्ष पूर्व 1098 में जिला बना था. कबीरधाम जिले का क्षेत्रफल 4447.05 है. जिसका 40 प्रतिशत हिस्सा वनांचल क्षेत्र है और इसकी संख्या 8,22,522 और लिंक अनुपाद 12 है. जिले में 04 विकासखंड 05 नगर पंचायत 01 नगरपालिका और 461 ग्राम पंचायत और 1,011 गांव हैं. जिले की साक्षरता की बात करे तो 60.85 प्रतिशत है.

कवर्धा: छत्तीसगढ़ अपना 21वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश से कागजों में तो जरुर अलग है लेकिन लोगों के दिलों से अलग नहीं हुआ है. दरअसल छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला मध्यप्रदेश से सटे होने के कारण सरहद पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी आज भी मध्यप्रदेश से ही लगाव रखते हैं और उनका दिनचर्या मध्यप्रदेश से ही शूरू होकर मध्यप्रदेश में खत्म हो जाता है, लेकिन मतदान छत्तीसगढ़ को ही करते हैं.

कवर्धा को क्यों नहीं मिल रही विश्व पर्यटन स्थल की पहचान?

कवर्धा में बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक हैं स्थल

कबीरधाम जिला मैकल पर्वत (Makal Mountain) से घिरा सकरी नदी के दक्षिणी हिस्से में बसा एक बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक स्थान है. कबीरधाम जिले में पर्यटन के अनेकों स्थान जैसे- चिल्फी, सरोधा, रानीदहरा, सरोधादादर, पीड़ाघाट व अन्य लेकिन इन सब में खास है. मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से प्रसिद्ध एतिहासिक भोरमदेव मंदिर (Famous Historical Bhoramdev Temple) जिसे 11वीं शताब्दी मे नागवंशी राजाओं द्वारा बनाया गया था. मंदिर की दिवारों पर पत्थर से उकेर कर बनाई गकी कला आकृति लोगों का मन मोह लेती है. इस मंदिर को देखाने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं.

जानें कहां मिला तहखाना, 200 साल पुराना है इसका इतिहास!

संपदा को सजोने में नाकाम रही बीजेपी सरकार

वैसे तो कवर्धा में अनेकों पर्यटन स्थल है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और शासन की अनदेखी की मार झेल रहे कबीरधाम जिले को अब तक सही पहचान नहीं मिल पाई है. छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद सबसे पहले निर्वाचित प्रथम वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह (then Chief Minister Raman Singh) ,कवर्धा के होने के बावजूद 15 सालों में कवर्धा को कोई पहचान नहीं दिला पाए. बल्कि कवर्धा को कुदरत के दिए तोफे जैसे- झरना, पहाड़ और बहुत से प्रकृतिक खुबसूरत स्थानों को भी सहज के रखने में नाकम रहे. इसके अलावा जिले में ना कोई उद्योग खुला, ना ही रोजगार का कोई व्यवस्था हुई. कवर्धा में दो शक्कर कारखाना (sugar factory) है लेकिन वहां पर भी बहरी लोगों को रोजगार दिया गया है. स्थानीय लोग आज भी भटक रहे हैं.

कबीरधाम में की जाती है गन्ने की बड़ी मात्रा में खेती

कबीरधाम जिले के मैदानी क्षेत्र में ज्यादातर धान और खन्ना की खेती की जाती है. इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कवर्धा जिले में 02 शक्कर कारखाना खुले हैं. छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद अजीत जोगी (Ajit Jogi) की सरकार में छत्तीसगढ़ का प्रथम शक्कर कारखाना कवर्धा के राम्हेपुर गांव बनाया गया था. फिर भाजपा के सरकार में पंडरिया विकासखंड के बिसेसरा गांव (Bisesara village of Pandariya block) में दूसरा शक्कर कारखाना खुला गया था. इससे किसानों को कम मेहनत और लागत में अच्छी आमदनी हो रही है.

ट्रेन की खलती है कमी

कवर्धा में ट्रेन रूट नहीं होने के कराण यहां के लोगों को छत्तीसगढ़ और अन्य जिलों में जाना पड़ता है. क्योंकि कवर्धा जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर सफर करने के बाद ही ट्रेन की सुविधा उपलब्ध होती है. इसी के चलते स्थानीय लोगों को समानों का दम अधिक अदा करना पड़ता है. कवर्धा के लोगों की ओर से कई बार शासन प्रशासन से ट्रेन रूट को लेकर मांग की. उस दौरान बीजेपी कवर्धा में ट्रेन लाइन के मुद्दे को लेकर चुनाव भी लड़ चुकी है. इसके साथ ही केंद्रीय रेल मंत्री की ओर से भूमिपून भी किजा चुका है. लेकिन जिलेवासियों का ट्रेन का सपना अब भी अधूरा है.

इस रियासती कचहरी की बैरकें बनीं शौचालय!

रोजगार का नहीं है कोई साधन

कवर्धा में दो शक्कर कारखाने के अलावा कोई भी उद्योग नहीं है. जिसके कारण पढ़े लिखे बेरोजगारों के पास कोई नौकरी नहीं है. बड़ी बड़ी डिगरी रखे कोई घर से संपन्न हो तो दुकान खोलकर बैठ गया है. लेकिन जो गरीब है वो मजदूरी करने को मजबूर है.

अब कांग्रेस की सरकार (Congress Government) है तो इनके विधायक पिछली सरकार की विफलता बताते हुए वर्तमान सरकार की ओर से लगातार विकास करने की बात कह रहे हैं. आने वाले समय में और भी विकास कर कबीरधाम जिले को एक नई पहचान देने की बात की जा रही है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़िया पहचान देने की भी बात कह रहे हैं.

कांग्रेस विधायक ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां

विधायक ममता चंद्राकर (MLA Mamta Chandrakar) ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ की परंपरा को भूल चुके हैं. हमारी परंपरा आने वाली पढ़ी हमारी परंपरा को जानती ही नहीं है. भूपेश सरकार (Bhupesh Government) ने छत्तीसगढ़ी परंपरा की फिर से जीवित किया है. जिससे प्रदेश की जनता बेहद खुश है और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को भी आगे बढ़ने में प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है.

छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जो छत्तीसगढ़ की स्थापना से 02 वर्ष पूर्व 1098 में जिला बना था. कबीरधाम जिले का क्षेत्रफल 4447.05 है. जिसका 40 प्रतिशत हिस्सा वनांचल क्षेत्र है और इसकी संख्या 8,22,522 और लिंक अनुपाद 12 है. जिले में 04 विकासखंड 05 नगर पंचायत 01 नगरपालिका और 461 ग्राम पंचायत और 1,011 गांव हैं. जिले की साक्षरता की बात करे तो 60.85 प्रतिशत है.

Last Updated : Oct 31, 2021, 10:02 PM IST
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