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Bhoramdev temple: खतरें में कवर्धा के भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व ! - पुरातत्व विभाग

Bhoramdev temple छत्तीसगढ़ की धरोहर भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व खतरे में है. यहां बिना टेक्निशियन के मंदिर की नींव को खोदा गया. मीडिया में बात आने पर जिला प्रशासन ने खुदाई कार्य रुकवाया है.

existence of Bhoramdev temple of Kawardha
भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व खतरे में
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Published : Nov 2, 2022, 11:01 PM IST

कवर्धा: छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहरों में शुमार 11 वीं शताब्दी के भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व अब खतरे में है. दरअसल पुरातत्व विभाग के मुताबिक मंदिर का झुकाव और झरण हो रहा था.इससे बारिश का पानी मंदिर के गर्भगृह मे भर रहा था. इसे ठीक करने मेंटेनेंस कार्य पुरातत्व विभाग के निगरानी मे किया जाना था. लेकिन विभाग के द्वारा इस कार्य के लिए ठेका देकर छोड़ दिया गया. इस कार्य में ठेकेदार पर आरोप है कि "उसने बिना सावधानी बरते टेक्नीशियन की मौजूदगी में गैती और फावड़ा से मंदिर के नींव को खोदा. जिससे मंदिर के नींव के कमजोर होने की संभावना है. " इस मामले के प्रकाश में आने के बाद प्रशासन ने कार्य रुकवा दिया है. अब पुरातत्व विभाग और pwd के अधिकारियों की मौजूदगी में यहां निर्माण कार्य होगा. जिसमें ईई भी शामिल होंगे. Bhoramdev temple

बिना टेक्निशियन के मंदिर की नींव को खोदा गया

यह भी पढें: Tulsi vivah 2022 जानिए भगवान कृष्ण और तुलसी का संबंध

20 डिग्री तक झुक चुका है मंदिर: दरअसल बीते दिनों छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर लगभग 20 डिग्री झुक गया. साथ ही मंदिर के दीवार मे झरण भी हो चुका है.जिससे चलते बारिश का पानी मंदिर के गर्भगृह मे भर जाता है. इस मुद्दे को मीडिया ने दिखाया था. जिसके बाद पुरातत्व विभाग को प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश जारी हुआ और पुरातत्व विभाग के अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने निरीक्षण के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौपा था. शासन के निर्देश पर मंदिर मेंटेनेंस कार्य के लिए डीएमएफ से लगभग 40 लाख रुपये की राशि जारी की गई .पुरातत्व विभाग ने कार्य टेंडर जारी किया और कार्य ठेकेदार को दे दिया गया. लेकिन यहां निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लग रहा है. गैती फावड़े से मंदिर की नींव के पास डेढ़ फीट गहरा गढ्ढा कर दिया गया. मजदूरों द्वारा खुदाई के दौरान मंदिर के ढांचे पर भी गैती से कई चोट लगे हैं ऐसा कहा जा रहा है. लेकिन अब मामला प्रकाश में आने के बाद निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है. .

पुरातत्व समिति के सदस्य आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि "पुरातत्व किसी भी धरोहर में कार्य करने के लिए एक्सपर्ट की मौजूदगी अनिवार्य है. कार्य करने के लिए छोटे बारीक औजारों का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि इन इमारतों मे कंपन ना हो"

वही कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि "मंदिर के कार्य मे पुरातत्व विभाग कार्य ऐजेंसी है और ठेकेदार द्वारा कार्य कराया जा रहा है. कार्य प्रारंभ हुआ था जैसे ही हमें पता चला की वहा पुरातत्व विभाग की टीम नही है कार्य रुकवा दिया गया है. पुरातत्व विभाग और पीडब्ल्यूडी के ईई के मौजूदगी मे कार्य कराया जाऐगा".

कवर्धा: छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहरों में शुमार 11 वीं शताब्दी के भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व अब खतरे में है. दरअसल पुरातत्व विभाग के मुताबिक मंदिर का झुकाव और झरण हो रहा था.इससे बारिश का पानी मंदिर के गर्भगृह मे भर रहा था. इसे ठीक करने मेंटेनेंस कार्य पुरातत्व विभाग के निगरानी मे किया जाना था. लेकिन विभाग के द्वारा इस कार्य के लिए ठेका देकर छोड़ दिया गया. इस कार्य में ठेकेदार पर आरोप है कि "उसने बिना सावधानी बरते टेक्नीशियन की मौजूदगी में गैती और फावड़ा से मंदिर के नींव को खोदा. जिससे मंदिर के नींव के कमजोर होने की संभावना है. " इस मामले के प्रकाश में आने के बाद प्रशासन ने कार्य रुकवा दिया है. अब पुरातत्व विभाग और pwd के अधिकारियों की मौजूदगी में यहां निर्माण कार्य होगा. जिसमें ईई भी शामिल होंगे. Bhoramdev temple

बिना टेक्निशियन के मंदिर की नींव को खोदा गया

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20 डिग्री तक झुक चुका है मंदिर: दरअसल बीते दिनों छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर लगभग 20 डिग्री झुक गया. साथ ही मंदिर के दीवार मे झरण भी हो चुका है.जिससे चलते बारिश का पानी मंदिर के गर्भगृह मे भर जाता है. इस मुद्दे को मीडिया ने दिखाया था. जिसके बाद पुरातत्व विभाग को प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश जारी हुआ और पुरातत्व विभाग के अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने निरीक्षण के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौपा था. शासन के निर्देश पर मंदिर मेंटेनेंस कार्य के लिए डीएमएफ से लगभग 40 लाख रुपये की राशि जारी की गई .पुरातत्व विभाग ने कार्य टेंडर जारी किया और कार्य ठेकेदार को दे दिया गया. लेकिन यहां निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लग रहा है. गैती फावड़े से मंदिर की नींव के पास डेढ़ फीट गहरा गढ्ढा कर दिया गया. मजदूरों द्वारा खुदाई के दौरान मंदिर के ढांचे पर भी गैती से कई चोट लगे हैं ऐसा कहा जा रहा है. लेकिन अब मामला प्रकाश में आने के बाद निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है. .

पुरातत्व समिति के सदस्य आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि "पुरातत्व किसी भी धरोहर में कार्य करने के लिए एक्सपर्ट की मौजूदगी अनिवार्य है. कार्य करने के लिए छोटे बारीक औजारों का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि इन इमारतों मे कंपन ना हो"

वही कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि "मंदिर के कार्य मे पुरातत्व विभाग कार्य ऐजेंसी है और ठेकेदार द्वारा कार्य कराया जा रहा है. कार्य प्रारंभ हुआ था जैसे ही हमें पता चला की वहा पुरातत्व विभाग की टीम नही है कार्य रुकवा दिया गया है. पुरातत्व विभाग और पीडब्ल्यूडी के ईई के मौजूदगी मे कार्य कराया जाऐगा".

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