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वन अधिकार पत्र ने बदली जशपुर के आदिवासी किसान की जिंदगी, खेती हुई आसान - छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसान

जशपुर जिले के आदिवासी किसान टेंटगू राम को वन अधिकार पत्र मिलने से खेती करने में आसानी हो रही है. साथ ही इस संबंध में टेंटगू राम को शासन से और भी सहयोग मिल रहा है, जिससे वे साल में आसानी से 3 फसल ले रहे हैं.

Van adhikar patra
किसान टेटंगू राम को मिला वन अधिकार पत्र
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Published : Aug 29, 2020, 11:59 AM IST

जशपुर: जिले के मनोरा विकासखंड मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के किनारे ग्राम डीहडांड नाम का एक छोटा सा कस्बा है, जहां 70 वर्षीय आदिवासी किसान टेटंगू राम अपने परिवार के साथ लगभग 5 पीढ़ी से निवास करते हैं. शुरुआत में इनका परिवार अपनी निजी भूमि पर खेती करते थे, लेकिन वह इसती फसल उनके लिए पर्याप्त नहीं हो पाती थी.

किसान टेटंगू राम कृषि कार्य में विशेष रुचि होने के कारण अपनी जमीन से लगे वन भूमि के खाली जमीन पर कोदो, कुटकी और अरहर की खेती करते थे, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ मिल जाता था.

Van adhikar patra
किसान टेटंगू राम को मिला वन अधिकार पत्र

वन अधिकार पत्र के लिए दिया था आवेदन

किसान टेंटगू राम बताया कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम लागू होने के बाद अपने काबिज भूमि के हक लिए वन अधिकार पत्र के लिए जिला प्रशासन को उन्होंने आवेदन दिया था. उनके आवेदनों की जांच के बाद उन्हें वन अधिकार पत्र जिला प्रशासन ने दे दिया है.

Agriculture News Chhattisgarh
साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं

साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं

उन्होंने बताया कि भूमि का हक मिलने के बाद भूमि के समतलीकरण के लिए भी आवेदन दिया, जिस पर मनरेगा के तहत उनके भूमि का समतलीकरण कर दिया गया है. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए और जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि भूमि सुधार होने के बाद मौसम के अनुसार साल में लगभग 3 फसल आसानी से ले लेते हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है.

खेत के किनारे लगा है नाला

किसान टेंटगू राम का कहना है कि उनका खेत जंगल से लगा हुआ है और किनारे से नाला भी गया हुआ है. कृषि विभाग ने उनके खेत में सोलर पंप भी कृषि कार्य के लिए लगाया है, जिससे साग-सब्जी से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ वह खुशहाल जीवन व्यतित कर रहे हैं और अपने आसपास के किसानों को भी छत्तीसगढ़ शासन की योजना का लाभ उठाने और उन्नत खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

जशपुर: जिले के मनोरा विकासखंड मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के किनारे ग्राम डीहडांड नाम का एक छोटा सा कस्बा है, जहां 70 वर्षीय आदिवासी किसान टेटंगू राम अपने परिवार के साथ लगभग 5 पीढ़ी से निवास करते हैं. शुरुआत में इनका परिवार अपनी निजी भूमि पर खेती करते थे, लेकिन वह इसती फसल उनके लिए पर्याप्त नहीं हो पाती थी.

किसान टेटंगू राम कृषि कार्य में विशेष रुचि होने के कारण अपनी जमीन से लगे वन भूमि के खाली जमीन पर कोदो, कुटकी और अरहर की खेती करते थे, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ मिल जाता था.

Van adhikar patra
किसान टेटंगू राम को मिला वन अधिकार पत्र

वन अधिकार पत्र के लिए दिया था आवेदन

किसान टेंटगू राम बताया कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम लागू होने के बाद अपने काबिज भूमि के हक लिए वन अधिकार पत्र के लिए जिला प्रशासन को उन्होंने आवेदन दिया था. उनके आवेदनों की जांच के बाद उन्हें वन अधिकार पत्र जिला प्रशासन ने दे दिया है.

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साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं

साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं

उन्होंने बताया कि भूमि का हक मिलने के बाद भूमि के समतलीकरण के लिए भी आवेदन दिया, जिस पर मनरेगा के तहत उनके भूमि का समतलीकरण कर दिया गया है. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए और जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि भूमि सुधार होने के बाद मौसम के अनुसार साल में लगभग 3 फसल आसानी से ले लेते हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है.

खेत के किनारे लगा है नाला

किसान टेंटगू राम का कहना है कि उनका खेत जंगल से लगा हुआ है और किनारे से नाला भी गया हुआ है. कृषि विभाग ने उनके खेत में सोलर पंप भी कृषि कार्य के लिए लगाया है, जिससे साग-सब्जी से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ वह खुशहाल जीवन व्यतित कर रहे हैं और अपने आसपास के किसानों को भी छत्तीसगढ़ शासन की योजना का लाभ उठाने और उन्नत खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

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