जशपुर: कुनकुरी विकासखंड के रायकेरा गांव में उद्यानिकी और वानिकी के प्रोत्साहन के लिए मॉडल ऑर्गेनिक फार्म को विकसित किया जाएगा. इसके लिए कृषि,वानिकी और उद्यानिकी के बड़े प्रोजेक्ट के माध्यम से एक मॉडल तैयार किया जाएगा. इससे ग्रामीणों की आमदनी और जंगल की कटाई को रोका जा सकेगा. कुनकुरी विधायक यूडी मिंज सहित कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर समेत अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया.
कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा कि रायकेरा में सिंचाई की बेहतर सुविधा है. यहां करीब 100 एकड़ की जमीन कृषि योग्य है. गांव में किसानों की पर्याप्त जमीन है. इसमें से कुछ जमीन सरकारी है. यहां लगभग 100 एकड़ की जमीन है, जिसमें फलदार पौधे,औषधीय पौधे और विभिन्न किस्म की सब्जियां योजनबद्ध ढंग से शासन की योजनाओं के तहत विकसित किया जाएगा, जिसका लाभ किसानों को मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी.
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विकसित कर बनाया जाएगा आत्मनिर्भर
क्षीरसागर ने कहा कि सामुदायिक सहभागिता से धीरे-धीरे विकसित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. इसे निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार मॉडल ऑर्गेनिक फार्म के रूप में विकसित किए जाने की योजना तैयार की गई है जो कि पूरे प्रदेश के लिए सामुदायिक कृषि वानिकी और उद्यनिकी सहभागिता का बेहतर उदाहरण होगा. जिले के किसान भी इससे प्रेरणा लेंगे, जिसका लाभ उन्हें मिलेगा. हमारी कृषि समृद्ध होगी इससे रोजगार भी बढ़ेगा.
मॉडल ऑर्गेनिक फार्म विकसित करने की बनाई गई है योजना
कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा कि किसानों के भूमि पर शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत काम कराया जाएगा और रायकेरा में मॉडल ऑर्गेनिक फार्म विकसित करने की योजना बनाई गई है. रायकेरा गांव मे पर्याप्त भूमि है और सिंचाई की भी व्यवस्था है. जिले के लिये एक मॉडल होगा. कुनकुरी विकास खण्ड के रायकेरा के एक बड़े क्षेत्र में यह विकसित किया जा रहा है. किसान भी इससे सहमत हैं. कलेक्टर ने कहा कि हमारा लक्ष्य मार्च 2021 है. इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं.
विकास में किया जाएगा सहयोग
वनमंडलाधिकारी कृष्ण जाधव ने कहा कि इस जिले में औषधीय पौधे के लिए अनुकूल मौसम है. विभिन्न औषधीय वन तुलसी, बेल, तेजपत्ता, पुर्ननवा, गिलोय, मुनगा, तेजबल, लेमनग्रास, भुइंनीम, आंवला, केसर, सफेद मूसली हर्रा, बेहरा, हड़जोड़ जैसे अनेक औषधि उगाई जा सकती है. इनको उद्यान के रूप में विकसित कर इसे व्यवसायिक उत्पादन करने से किसानों को लाभ होगा. वन विभाग की योजनाओं के तहत इनके विकास में सहयोग किया जाएगा.