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जशपुर: जिसकी घोषणा जोगी-रमन ने की, सपना बनकर रहा गया वो स्टेडियम - cg news

जशपुर में आज तक नहीं बना एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम. सरकार ने 17 साल पहले की थी घोषणा.

हॉकी स्टेडियम
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Published : Jun 8, 2019, 10:48 PM IST

जशपुर: आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम महज एक सपना बनकर रह गया है. 17 साल से घोषणा और आश्वासन के मकड़जाल में फंसे इस स्टेडियम में निर्माण कार्य करने के लिए भूमि पूजन तक कर दिया गया लेकिन हकीकत में ये मैदान कागजों पर ही बन रही है.

वीडियो.

जिले के जनजाति समुदाय के हॉकी खिलाड़ियों के साथ शासन-प्रशासन का इसे मजाक ही कहेंगे. तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री विष्णुदेव साय द्वारा भूमि पूजन के ढाई साल से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी हॉकी खिलाड़ियों के लिए ये ड्रीम प्रोजेक्ट निविदा प्रक्रिया के जाल में उलझ कर रह गया है.

तीसरी बार शुरू हुई प्रक्रिया
लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर की प्रक्रिया भूमि पूजन के बाद शुरू की गई. निविदा की पहली प्रक्रिया में एक ही ठेकेदार द्वारा बोली लगाए जाने से निविदा को निरस्त कर दिया गया. वहीं दूसरी बार भी प्रक्रिया निरस्त हो गई. अब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने तीसरी बार निविदा जारी करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की है.

ठेकेदार के हाथ में निर्माण
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने कैमरे के सामने कुछ नहीं कहने से इनकार कर दिया. लेकिन दबी जुबान में ऑफ द कैमरा कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदार पर इसका भविष्य निर्धारित है.

क्या हाल है स्टेडियम का-

  • उपेक्षित पड़ा शासकीय महाविद्यालय का यह स्टेडियम इन दिनों असामाजिक और आपराधिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है.
  • इसके चारों तरफ शराब की बोतलें और गंदगी पसरी हुई है. जिस स्टेडियम में युवा प्रतिभाओं खिलाड़ियों का पसीना बहाना था, वह शराबखोरी का अड्डा बना हुआ है.
  • चार दीवारी और गेट के क्षतिग्रस्त होने के यह पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है.
  • स्टेडियम के अंदर स्थापित किए गए प्रसाधन रूम के सारे सामानों पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया है. खिड़की और दरवाजे तक गायब हो चुके हैं.
  • जिले के युवा खिलाड़ियों की उम्मीद के इस केंद्र की उपेक्षा से स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गया है.
  • एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम के लिए शासन द्वारा 5 करोड़ 44 लाख आवंटित किया गया है.
  • इस आवंटित राशि के उपयोग के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया महीनों से अधर में लटकी है और अब तीसरी बार इस प्रक्रिया को करने की तैयारी की जा रही है.

तब जोगी और रमन ने भी की थी घोषणा
हम आपको बता दें कि एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की मांग काफी पुरानी है 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हुआ था लेकिन तकनीकी कारणों से यह काम आधे में ही बंद हो गया. दर्शक दीर्घा और बाउंड्री वाल तो बन गए लेकिन उसके बाद काम अधर में ही लटक गया. यहां के निवासी खिलाड़ियों से समय-समय पर इसके लिए मांग करते रहे. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने भी दो बार इसकी घोषणा की थी लेकिन इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया.
मिट्टी के मैदान और एस्ट्रोटर्फ मैदान के खेल की तकनीक में बहुत अंतर है. एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम बन जाने के बाद यहां के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले आयोजित हो सकेंगे, जिससे उनकी प्रतिभा और निखर कर सामने आएगी.

जशपुर: आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम महज एक सपना बनकर रह गया है. 17 साल से घोषणा और आश्वासन के मकड़जाल में फंसे इस स्टेडियम में निर्माण कार्य करने के लिए भूमि पूजन तक कर दिया गया लेकिन हकीकत में ये मैदान कागजों पर ही बन रही है.

वीडियो.

जिले के जनजाति समुदाय के हॉकी खिलाड़ियों के साथ शासन-प्रशासन का इसे मजाक ही कहेंगे. तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री विष्णुदेव साय द्वारा भूमि पूजन के ढाई साल से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी हॉकी खिलाड़ियों के लिए ये ड्रीम प्रोजेक्ट निविदा प्रक्रिया के जाल में उलझ कर रह गया है.

तीसरी बार शुरू हुई प्रक्रिया
लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर की प्रक्रिया भूमि पूजन के बाद शुरू की गई. निविदा की पहली प्रक्रिया में एक ही ठेकेदार द्वारा बोली लगाए जाने से निविदा को निरस्त कर दिया गया. वहीं दूसरी बार भी प्रक्रिया निरस्त हो गई. अब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने तीसरी बार निविदा जारी करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की है.

ठेकेदार के हाथ में निर्माण
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने कैमरे के सामने कुछ नहीं कहने से इनकार कर दिया. लेकिन दबी जुबान में ऑफ द कैमरा कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदार पर इसका भविष्य निर्धारित है.

क्या हाल है स्टेडियम का-

  • उपेक्षित पड़ा शासकीय महाविद्यालय का यह स्टेडियम इन दिनों असामाजिक और आपराधिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है.
  • इसके चारों तरफ शराब की बोतलें और गंदगी पसरी हुई है. जिस स्टेडियम में युवा प्रतिभाओं खिलाड़ियों का पसीना बहाना था, वह शराबखोरी का अड्डा बना हुआ है.
  • चार दीवारी और गेट के क्षतिग्रस्त होने के यह पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है.
  • स्टेडियम के अंदर स्थापित किए गए प्रसाधन रूम के सारे सामानों पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया है. खिड़की और दरवाजे तक गायब हो चुके हैं.
  • जिले के युवा खिलाड़ियों की उम्मीद के इस केंद्र की उपेक्षा से स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गया है.
  • एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम के लिए शासन द्वारा 5 करोड़ 44 लाख आवंटित किया गया है.
  • इस आवंटित राशि के उपयोग के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया महीनों से अधर में लटकी है और अब तीसरी बार इस प्रक्रिया को करने की तैयारी की जा रही है.

तब जोगी और रमन ने भी की थी घोषणा
हम आपको बता दें कि एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की मांग काफी पुरानी है 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हुआ था लेकिन तकनीकी कारणों से यह काम आधे में ही बंद हो गया. दर्शक दीर्घा और बाउंड्री वाल तो बन गए लेकिन उसके बाद काम अधर में ही लटक गया. यहां के निवासी खिलाड़ियों से समय-समय पर इसके लिए मांग करते रहे. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने भी दो बार इसकी घोषणा की थी लेकिन इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया.
मिट्टी के मैदान और एस्ट्रोटर्फ मैदान के खेल की तकनीक में बहुत अंतर है. एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम बन जाने के बाद यहां के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले आयोजित हो सकेंगे, जिससे उनकी प्रतिभा और निखर कर सामने आएगी.

Intro:जशपुर आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम महज एक सपना बनकर यहां के खिलाड़ियों का रह गया है 17 साल से घोषणा और आश्वासन के मकड़जाल मैं फस इस स्टेडियम में निर्माण कार्य करने के लिए भूमि पूजन तक कर दिया गया लेकिन सपना साकार होता नहीं दिख रहा है,
जिले के जनजाति समुदाय के हाकी खिलाड़ियों के साथ शासन प्रशासन का यह क्रूर मजाक निर्माण कार्य के लिए भूमि पूजन किए जाने के बाद भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।

तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री विष्णुदेव साय द्वारा भूमि पूजन के ढाई साल से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी हाकी खिलाड़ियों के ड्रीम प्रोजेक्ट निविदा प्रक्रिया के जाल में उलझ कर रह गया है

लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर की प्रक्रिया भूमि पूजन के बाद शुरू की गई निविदा की पहली प्रक्रिया में एक ही ठेकेदार द्वारा बोली लगाए जाने से निविदा को निरस्त कर दिया गया वहीं दूसरी बार प्रक्रिया में सरकारी दर से अधिक का ठेकेदार द्वारा भरे जाने से दूसरी बार भी निरस्त कर दी गई अब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने इसका तीसरी बार निविदा जारी करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की है,
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी कैमरे के सामने कुछ नहीं कहने की बात कह कर बताया कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदार पर इसका भविष्य निर्धारित है

उपेक्षित पड़ा शासकीय महाविद्यालय का यह स्टेडियम इन दिनों असामाजिक और आपराधिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है इसके चारों और शराब की बोतलें और गंदगी पसरी हुई है जिस स्टेडियम में युवा प्रतिभाओं खिलाड़ियों का पसीना बहाना था वह शराब खोरी का अड्डा बना हुआ है चारदीवारी और गेट के क्षतिग्रस्त होने के यह पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है स्टेडियम के अंदर स्थापित किए गए प्रसाधन रूम के सारे सामानों पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया है खिड़की और दरवाजे तक गायब हो चुके हैं और जिले के युवा खिलाड़ियों की उम्मीद के इस केंद्र की उपेक्षा से स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गया है।
एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम के लिए शासन ने 5करोड़ 44 लाख आवंटित किया गया है इस आवंटित राशि के उपयोग के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया महीनों से अधर में लटकी है और अब तीसरी बार इस प्रक्रिया को करने की तैयारी की जा रही है।

हम आपको बता दें कि एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की मांग काफी पुरानी है 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हुआ था लेकिन तकनीकी कारणों से यह काम आधे में ही बंद हो गया दर्शक दीर्घा और बाउंड्री वाल तो बन गए लेकिन उसके बाद काम अधर में ही लटक गया यहां के निवासी खिलाड़ियों के समय समय पर इसके लिए मांग करते रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने भी दो बार इसकी घोषणा की थी लेकिन इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया।

आपको बता दें कि मिट्टी के मैदान और स्टार्टअप युक्त मैदान के खेल की तकनीक में बहुत अंतर है एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम बन जाने के बाद यहां के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले आयोजित हो सकेंगे जिससे उनकी प्रतिभा और निखर कर सामने आएगी

बाइट सरफराज आलम खेल प्रशिक्षक चश्मा लगाए हुए
बाइट पप्पू मलिक नागरिक

तरुण प्रकाश शर्मा जशपुर


Body:एस्ट्रोटर्फ मैदान


Conclusion:
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