ETV Bharat / state

सांसों की डोर भले ही थम गई पर दूसरे के जीवन को उजाला कर गईं मनोरमा

जशपुर की बुजुर्ग महिला मनोरमा मिश्रा की आंखे अब दूसरे के अंधकारमय जीवन में रोशनी लेकर आएंगी.

मनोरमा मिश्रा की आंखे अब दूसरे के अंधकारमय जीवन में रोशनी लेकर आएंगी
author img

By

Published : Nov 18, 2019, 12:07 AM IST

जशपुर: मृत्यु के बाद मनोरमा मिश्रा के सांसों की डोर भले ही थम गई हो, लेकिन उनकी आंखें दूसरे के अंधकारमय जीवन में रोशनी लेकर आएंगी. वो मरकर भी दूसरे के जीवन में हमेशा आबाद रहेंगी. उनकी आंखें दूसरे के ​जीवन को रोशन करती रहेंगी.

सांसों की डोर भले ही थम गई पर दूसरे के जीवन को उजाला कर गईं मनोरमा

दरअसल, 85 साल की बुजुर्ग महिला मनोरमा ने नेत्रदान कर मानवता की मिसाल पेश की है. दावा किया जा रहा है कि जिले में नेत्रदान करने वाली यह दूसरी महिला हैं. शहर के विवेकानंद कॉलोनी की रहने वाली मनोरमा यू तो एक गृहिणी महिला थीं, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनके मरणोपरांत उनकी आंखें दान कर दी जाए ताकि उनकी आंखों से किसी के दुनिया में उजाला आ सके. उनकी आंखों से दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला आएगा. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार ने उनकी आंखें दान कर दी.

सास मां ने जताई थी इच्छा : सविता

मृतका की बहू सविता मिश्रा स्वास्थ्य विभाग में नेत्र सहायक के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि जब वे नेत्रदान पखवाड़े के समय नेत्रदान करने के लिए फार्म भरवा रही थीं, तब मेरी सास ने मेरे पास अपनी इच्छा जाहिर की थी और कहा था कि वो नेत्रदान करना चाहती हैं ताकि उनके इस दुनिया से जाने के बाद भी उनकी आंखों दूसरे के जीवन में उजाला ला सके.

ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी की

मृत्यु की सूचना देने पर जिला स्वास्थ्य विभाग और नेत्र विभाग की टीम मृतका के घर पहुंची और ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी कर नेत्रदान कराया. नेत्रदान में मुख्य रुप से डॉ. क्रेंसिसिया. आरएमओ डॉ. अनुरंजन टोप्पो मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि नेत्र को रायपुर भेजा गया है.

जशपुर: मृत्यु के बाद मनोरमा मिश्रा के सांसों की डोर भले ही थम गई हो, लेकिन उनकी आंखें दूसरे के अंधकारमय जीवन में रोशनी लेकर आएंगी. वो मरकर भी दूसरे के जीवन में हमेशा आबाद रहेंगी. उनकी आंखें दूसरे के ​जीवन को रोशन करती रहेंगी.

सांसों की डोर भले ही थम गई पर दूसरे के जीवन को उजाला कर गईं मनोरमा

दरअसल, 85 साल की बुजुर्ग महिला मनोरमा ने नेत्रदान कर मानवता की मिसाल पेश की है. दावा किया जा रहा है कि जिले में नेत्रदान करने वाली यह दूसरी महिला हैं. शहर के विवेकानंद कॉलोनी की रहने वाली मनोरमा यू तो एक गृहिणी महिला थीं, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनके मरणोपरांत उनकी आंखें दान कर दी जाए ताकि उनकी आंखों से किसी के दुनिया में उजाला आ सके. उनकी आंखों से दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला आएगा. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार ने उनकी आंखें दान कर दी.

सास मां ने जताई थी इच्छा : सविता

मृतका की बहू सविता मिश्रा स्वास्थ्य विभाग में नेत्र सहायक के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि जब वे नेत्रदान पखवाड़े के समय नेत्रदान करने के लिए फार्म भरवा रही थीं, तब मेरी सास ने मेरे पास अपनी इच्छा जाहिर की थी और कहा था कि वो नेत्रदान करना चाहती हैं ताकि उनके इस दुनिया से जाने के बाद भी उनकी आंखों दूसरे के जीवन में उजाला ला सके.

ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी की

मृत्यु की सूचना देने पर जिला स्वास्थ्य विभाग और नेत्र विभाग की टीम मृतका के घर पहुंची और ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी कर नेत्रदान कराया. नेत्रदान में मुख्य रुप से डॉ. क्रेंसिसिया. आरएमओ डॉ. अनुरंजन टोप्पो मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि नेत्र को रायपुर भेजा गया है.

Intro:जशपुर मृत्यु के बाद सांसों की डोर भले ही थम जाए लेकिन आंखों की रोशनी,किसी दूसरे के ​जीवन को रोशन करते रहेगी, जिहाँ ऐसे ही जिले में दूसरा मामला नेत्रदान करने का आया जहाँ 85 साल उम्र की वृद्ध महिला ने नेत्रदान कर जाते जाते भी किसी के अंधकार जीवन में रोशनी भर गई, जिले में नेत्रदान करने वाली यह दूसरी महिला है।


Body:शहर के विवेकानंद कॉलोनी की रहने वाली 85 वर्षीय मनोरमा मिश्रा यू तो एक घरेली महिला थी लेकिन उनकी आखरी इच्छा थी की उनके मरणोपरांत उनकी आँखे दान कर दी ताकि उनकी आंखों से किसी की अंधकार मई दुनिया में उजाला लाया जा सके, उनकी इन आंखों से दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला लाया जा सकेगा, उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार ने उनकी आँखे दान कर दी। मनोरमा जाते जाते भी अंधेरी जिंदगी में उजाला ही नहीं समाज की सोच में भी बदलाव की जमीन तैयार कर गई,


दिवंगत मनोरमा मिश्रा बहु सविता मिश्रा स्वास्थ्य विभाग में नेत्र सहायक के पद पर कार्यरत है उन्होंने बताया कि जब वे नेत्रदान पखवाड़े के समय नेत्रदान करने के फार्म भरवा रही थी तब मेरी सासु माँ ने मेरे पास अपनी इच्छा जाहिर की थी ओर कहा था कि वे अपना नेत्रदान करना चाहती है, ताकि उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी आँखों से किसी की अंधी आंखों में प्रकाश की लो जलाई जा सके। अपनी माँ की आखिर इच्छा पूर्ण करने के लिए पूरे परिवार ने माँ की मृत्यु के बाद उनकी आँखे दान कर दी।


Conclusion:परिजनों द्वारा मृत्यु की सूचना दिए जाने ओर नेत्रदान की बात पर जिला स्वास्थ्य विभाग व नेत्र विभाग की टीम ने मनोरमा मिश्रा के घर पहुंची और ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी करते हुए इस नेत्रदान करवाया, इस नेत्रदान में मुख्यरुप से डॉ क्रेंसिसिया एव आरएमओ डॉ अनुरंजन टोप्पो मौजूद थे उन्होंने बताया कि बताया कि परिजनों की इक्षा व सहमति से यह प्रक्रिया पूरी करते हुए नेत्र को रायपुर रायपुर भेजा गया है।


बाइट सविता मिश्रा (बहु )
बाइट डॉ अनुरंजन टोप्पो (आरएमओ)

तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.