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जशपुर में आपातकाल की बरसी पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर लगाए आरोप - बीजेपी कार्यकर्ता

जशपुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं (BJP worker) ने आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाया. बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन का आरोप लगाए. पूर्व राज्यसभा सांसद रणविजय प्रताप सिंह जूदेव (Former Rajya Sabha MP Rannvijay Pratap Singh Judev) ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर झूठा FIR कराने का आरोप भी लगाया.

BJP workers targeted Congress government
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
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Published : Jun 25, 2021, 11:11 PM IST

जशपुरः आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी ने काला दिवस मनाया. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद रणविजय प्रताप सिंह जूदेव (Former Rajya Sabha MP Rannvijay Pratap Singh Judev) ने और वरिष्ठ भाजपा नेता मेजर अनिल सिंह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर लगाए आरोप

मीडिया को संबोधित करते हुए जिला बीजेपी प्रभारी मेजर अनिल सिंह ने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 माह की अवधि के लिए भारत में आपातकाल की घोषणा की गई थी. उन्होंने बताया कि उस समय इंदिरा गांधी की प्रतिद्वंदी रहे राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका लगाई थी. फैसला देने पर अपने हाथ से सत्ता निकलते देख इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया.

'आपातकाल में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल दिया गया'

मेजर अनिल सिंह ने बताया कि आपातकाल की घोषणा होते ही तमाम स्वयं सेवकों और गैर कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तारी शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि भारत में एक सदी पर लम्बे संघर्ष और हजारों लोगों के बलिदान के बाद हमने आजादी पाई थी. आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को पूरी तरह से कुचल दिया गया था. इसके साथ ही मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान 3801 अखबारों को जब्त किया गया. वहीं 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया गया था. वहीं विदेशी मीडिया को देश से बाहर निकाल दिया गया था.

'छत्तीसगढ़ में ट्वीट करना अपराध है'

मेजर अनिल सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी आपातकाल जैसा व्यवहार बीजेपी और गैर कांग्रेस नेताओं के साथ कर रही है. यहां किसी ट्वीट को रिट्वीट करना बड़ा अपराध बना दिया गया था. जहां शासन के संसाधनों और समय का पूरा उपयोग भाजपा प्रवक्ता की आवाज को पुलिसिया डर दिखाकर दबाने कहा कि राष्ट्रीय पत्रकार पर सौ सौ मुकदमे दर्ज कराने में लगा दिया जाता है.

'जशपुर जिले के चार बार बदले गए प्रभारी मंत्री'

इस दौरान राज्यसभा के पूर्व सांसद रणविजय प्रताप सिंह जूदेव ने जशपुर जिले के बदले गए प्रभारी मंत्री को लेकर कहा कि प्रदेश की जनता ने बड़ी उम्मीद करके कांग्रेस को जिताया था, लेकिन कांग्रेस जनता की उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार के सिर्फ ढाई साल पूरे हुए हैं. इसके अंदर जशपुर जिले के चार बार प्रभारी मंत्री बदल दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिले के प्रभारी मंत्रियों को बार-बार बदलकर जो प्रयोग करना चाह रही हैं मैं उम्मीद करता हूं उससे क्षेत्र का विकास होगा.

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी पर पूर्व सीएम रमन सिंह का पलटवार, कहा- 'छवि खराब करने की कोशिश'

अब तक देश में 3 बार लग चुका है आपातकाल

1. 26 अक्टूबर 1962: भारत में इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल को याद किया जाता है लेकिन देश में पहला आपातकाल उससे भी 13 साल पहले तब लगाया गया था जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था. यहां पर युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपातकाल लगाया गया था. इस पहले आपातकाल की समाप्ति 10 जनवरी 1968 को हुई.

2. 3 दिसंबर 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी देश में आपातकाल लगा था. युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर देश में इमरजेंसी लगाई गई थी.

3. 25 जून 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राज में लगे इस आपातकाल के लिए देश में आंतरिक अशांति का हवाला दिया जाता है कि लेकिन इतिहास के पन्नों में इस एक निजी स्वार्थ का दर्जा दिया जाता है.

जशपुरः आपातकाल की बरसी पर भारतीय जनता पार्टी ने काला दिवस मनाया. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद रणविजय प्रताप सिंह जूदेव (Former Rajya Sabha MP Rannvijay Pratap Singh Judev) ने और वरिष्ठ भाजपा नेता मेजर अनिल सिंह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर लगाए आरोप

मीडिया को संबोधित करते हुए जिला बीजेपी प्रभारी मेजर अनिल सिंह ने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 माह की अवधि के लिए भारत में आपातकाल की घोषणा की गई थी. उन्होंने बताया कि उस समय इंदिरा गांधी की प्रतिद्वंदी रहे राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका लगाई थी. फैसला देने पर अपने हाथ से सत्ता निकलते देख इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया.

'आपातकाल में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल दिया गया'

मेजर अनिल सिंह ने बताया कि आपातकाल की घोषणा होते ही तमाम स्वयं सेवकों और गैर कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तारी शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि भारत में एक सदी पर लम्बे संघर्ष और हजारों लोगों के बलिदान के बाद हमने आजादी पाई थी. आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को पूरी तरह से कुचल दिया गया था. इसके साथ ही मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान 3801 अखबारों को जब्त किया गया. वहीं 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया गया था. वहीं विदेशी मीडिया को देश से बाहर निकाल दिया गया था.

'छत्तीसगढ़ में ट्वीट करना अपराध है'

मेजर अनिल सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी आपातकाल जैसा व्यवहार बीजेपी और गैर कांग्रेस नेताओं के साथ कर रही है. यहां किसी ट्वीट को रिट्वीट करना बड़ा अपराध बना दिया गया था. जहां शासन के संसाधनों और समय का पूरा उपयोग भाजपा प्रवक्ता की आवाज को पुलिसिया डर दिखाकर दबाने कहा कि राष्ट्रीय पत्रकार पर सौ सौ मुकदमे दर्ज कराने में लगा दिया जाता है.

'जशपुर जिले के चार बार बदले गए प्रभारी मंत्री'

इस दौरान राज्यसभा के पूर्व सांसद रणविजय प्रताप सिंह जूदेव ने जशपुर जिले के बदले गए प्रभारी मंत्री को लेकर कहा कि प्रदेश की जनता ने बड़ी उम्मीद करके कांग्रेस को जिताया था, लेकिन कांग्रेस जनता की उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार के सिर्फ ढाई साल पूरे हुए हैं. इसके अंदर जशपुर जिले के चार बार प्रभारी मंत्री बदल दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिले के प्रभारी मंत्रियों को बार-बार बदलकर जो प्रयोग करना चाह रही हैं मैं उम्मीद करता हूं उससे क्षेत्र का विकास होगा.

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अब तक देश में 3 बार लग चुका है आपातकाल

1. 26 अक्टूबर 1962: भारत में इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल को याद किया जाता है लेकिन देश में पहला आपातकाल उससे भी 13 साल पहले तब लगाया गया था जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था. यहां पर युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपातकाल लगाया गया था. इस पहले आपातकाल की समाप्ति 10 जनवरी 1968 को हुई.

2. 3 दिसंबर 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी देश में आपातकाल लगा था. युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर देश में इमरजेंसी लगाई गई थी.

3. 25 जून 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राज में लगे इस आपातकाल के लिए देश में आंतरिक अशांति का हवाला दिया जाता है कि लेकिन इतिहास के पन्नों में इस एक निजी स्वार्थ का दर्जा दिया जाता है.

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