जांजगीर चांपा: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले संविदा कर्मचारियों ने सोमवार को जिला मुख्यालय के कचहरी चौक पर सामूहिक हड़ताल की शुरुआत कर दी है. 5 दिवसीय हड़ताल के पहले दिन कर्मचारियों ने महापुरुषों को याद कर नियमितीकरण के लिए प्रार्थना की. अपनी व्यथा लोगों को सुनते हुए कोल्हू का बैल चित्र के माध्यम से प्रदर्शन किया. 4 साल से नियमितिकरण का वादा भूलकर बैठी सरकार को चुनावी घोषणापत्र की याद दिलाई गई.
4 साल बीतने के बाद भी नींद में सोई है सरकार: संघ के जिला संयोजक डा. अमित मिरी ने कहा कि "वर्तमान कांग्रेस सरकार बनने के चार साल बाद भी 2018 के चुनावी जन घोषणापत्र में किए नियमितिकरण के वादे और हमारी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं. अब मात्र 1 वर्ष का कम समय सरकार के पास शेष है. ऐसी स्थिति मे संविदा कर्मचारियों के पास आंदोलन का रास्ता बच गया है. 20 जनवरी तक प्रदर्शन कर सरकार सें अनुनय विनय किया जाएगा और 26 जनवरी तक मांग पर सरकार की स्थिति स्पष्ट न होने पर 1 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी."
सीएम ने मंच से किया था वादा: संघ की सदस्य मोनिका योगेश्वर ने कहा कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 14 फरवरी 2019 को अनियमित कर्मचारियों के मंच पर आकर बोला था कि इस साल किसान का किए हैं अगले साल अनियमित कर्मचारियों की मांग पूरा करेंगे. वो अगला साल अभी तक नहीं आया है. संविदा कर्मचारियों के मानदेय में भी 4 साल से वृद्धि नहीं हुई है. इस कारण प्रदेश के संविदा कर्मचारियों में भारी गुस्सा है."
संविदा कर्मचारियों ने किया 16 से 20 जनवरी तक हड़ताल का ऐलान, दफ्तरों में काम काज होगा प्रभावित
30 जनवरी से 54 विभाग के कर्मचारी करेंगे आंदोलन: दूसरे राज्यों में संविदा कर्मचारियों के भविष्य को लेकर सकारात्मक निर्णय लिए जा रहे हैं. 26 जनवरी को यदि सरकार उचित निर्णय नहीं लेती है तो 30 जनवरी से 54 विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन में जाएंगे. नियमितिकरण की मांग को लेकर 28 जिले के 40 हजार से अधिक संविदा कर्मचारी सरकारी कामकाज ठप करते हुए हड़ताल की तैयारी में हैं.
कोल्हू के बैल का चित्रण कर सुनाई पीड़ा: संविदा कर्मचारियों ने अपनी परिस्थितियों को दर्शाने के लिए कोल्हू का बैल बना कर प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का कहना है कि "न तो 62 वर्ष की नौकरी की सुरक्षा, न ही सही ढंग से वेतन, न ही अनुकम्पा नियुक्ति और न ही अन्य शासकीय सेवकों की तरह अन्य सुविधाएं मिल रही हैं."