बस्तर: बस्तर में किसान मक्का खरीदी की सुस्त रफ्तार से परेशान हैं. किसानों ने बार बार इस समस्या पर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है. लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. बस्तर में किसान मक्का की खरीदी को लेकर बार-बार सहकारी समितियों की शिकायत सरकार से करते रहे हैं. बावजूद इसके इस साल भी सहकारी समितियों में मक्के की बोहनी तक नहीं हुई. सरकार की बेरुखी की वजह से मक्का व्यापारियों पर किसान आश्रित रहते हैं और अपनी फसल का उचित दाम लेने के लिए किसान इसे व्यापारियों के हाथों ही बेंच देते हैं.
सिर्फ कांकेर के किसानों ने बेचा मक्का: बस्तर संभाग के 7 जिलों में कांकेर को छोड़ अन्य जिलों में सहकारी खरीदी केंद्रों में किसानों ने मक्का नहीं बेचा है. सरकार ने इसका समर्थन मूल्य 18 सौ 70 रुपए तय कर रखा है और 2021-22 में बस्तर संभाग में कुल 3 हजार 974 किसानों ने मक्का उत्पादन के लिए पंजीयन करा रखा है.
"देरी से मिलता है मक्का का भुगतान": मक्का खरीदी के लिए भी 1 दिसंबर से 31 मई तक का समय निर्धारित किया गया था. लेकिन इनमें भी केवल कांकेर जिले के 55 किसान सहकारी खरीदी केंद्रों में पहुंचे. इधर अधिकारियों का कहना है कि "समितियों को मक्का खरीदी के निर्देश दिए गए हैं पर किसानों का कहना है की प्रति एकड़ 10 क्विंटल खरीदी के बावजूद भी सहकारी समितियों में किसानों को मक्का बेचने में असुविधा है उसकी सबसे बड़ी वजह इसका विलंब से मिलने वाला पैसा है और साथ ही किसानों को सही जानकारी नहीं मिलना सामने आ रहा है".
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सहकारी समिति में न बेचकर किसान व्यापारियों के पास बेचते हैं मक्का: व्यापारियों के पास किसानों को तत्काल मक्के की रकम की भुगतान हो जाती है. मंडी व्यापारियों को 7 लाख क्विंटल इस साल मक्का किसानों ने बेचा है. बस्तर संभाग के बस्तर जिले में सबसे ज्यादा 11 हजार 340 किसान मक्का उत्पादन किये थे. लेकिन इनमें से एक भी किसान मक्का धान खरीदी केंद्र में बेचने नहीं पहुच पाए. सभी किसानों ने मक्का व्यापारियों को नुक्सान सहते हुए कम दामों पर मक्का बेचा है.