बस्तर : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जिस मैना के लिए जाना जाता था वो अब नहीं रही. राष्ट्रीय उद्यान के पिंजरे में प्रजनन के लिए जिस मैना को रखा गया था उसकी मौत हो चुकी है.जिसके बाद पिंजरा सूना हो चुका है.आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना इंसानों की आवाज की हूबहू नकल करने में माहिर है. ये पक्षी सिर्फ कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान में ही पाई जाती है.
मैना के संरक्षण के लिए बना था पिंजरा : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ने पहाड़ी मैना के संरक्षण और संवर्धन के लिए पिंजरा बनवाया था. ये प्रजनन अध्ययन केंद्र का पिंजरा जगदलपुर के वन विभाग के प्रशिक्षण केंद्र में बना था. जहां कई वर्षों पहले 7 पहाड़ी मैना को रखा गया था. इस पिंजरे में धीरे-धीरे करके 6 पहाड़ी मैना की मौत हुई.इसके बाद पिंजरे में बची एक पहाड़ी मैना ने भी सोमवार को दम तोड़ दिया.
पहाड़ी मैना को लगी थी चोट : इसके अलावा ये भी जानकारी मिल रही है कि पहाड़ी मैना के पंख में चोट लग गई थी. जिसके कारण उसने खाना-पीना कम कर दिया था. यही कारण है कि धीरे-धीरे वह गंभीर बीमारी का शिकार हो गई. पिंजरे से मैना के नीचे गिरने के बाद कर्मचारियों ने उसे उपचार के लिए अस्पताल में पहुंचाया.जहां डॉक्टरों ने मैना को मृत घोषित कर दिया.
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राष्ट्रीय उद्यान ने की मैना की मौत की पुष्टि : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक गणवीर धम्मशील ने पहाड़ी मैना के मौत की पुष्टि की है. इसके अलावा यह भी बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी बाकी है. जैसे ही रिपोर्ट सामने आएगा. पहाड़ी मैना के मौत के कारणों का पता लगेगा. आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों से पहाड़ी मैना के झुंड का तस्वीर ट्रैप कैमरें में कैद हुआ था. जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान में लगातार पहाड़ी मैना की संख्या में वृद्धि हो रही है.