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SPECIAL: सैलानियों की राह में चित्रकोट जलप्रपात, तारीफ के इंतजार में मिनी नियाग्रा - जगदलपुर में मंदिर

मानसून में हर साल पर्यटकों से गुलजार रहने वाला देश का मिनी नियाग्रा यानि चित्रकोट जलप्रपात इस समय पर्यटकों की राह देख रहा है. लॉकडाउन में बंद हुए बस्तर के पर्यटन स्थल अब तक खुल नहीं सके हैं, जिससे ना यहां सैलानी पहुंच रहे हैं और ना ही इन पर निर्भर रहने वाले दुकानदारों की आय हो रही है.

chitrakote falls
चित्रकोट जलप्रपात
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Published : Jul 9, 2020, 2:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: कहते हैं खूबसूरती में चार चांद तब लगता है, जब उसकी तारीफ करने वाले हों, क्योंकि बिना तारीफ के खूबसूरती भी फीकी पड़ने लगती है. ऐसा ही कुछ हो रहा है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात के साथ. दरअसल बस्तर में मानसून की दस्तक के साथ ही चित्रकोट जलप्रपात अपने पूरे शबाब पर है और इसकी खूबसूरती इन दिनों देखते ही बन रही है. इस खूबसूरत जलप्रपात को इंतजार है निहारती आंखों का, जो इस जलप्रपात को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, लेकिन इस समय चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती पर भी कोरोना की काली परछाईं पड़ गई है. जिसके कारण बिना सैलानियों के चित्रकोट सूना पड़ा हुआ है.

सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात

कोरोना के कारण बस्तर के सारे पर्यटन स्थल बंद

देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात इन दिनों अपनी खूबसूरती की छटा बिखेरता हुआ नजर आ रहा है. लगभग 95 फीट की ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात इस समय खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, लेकिन बस्तर के इतिहास में यह पहला मौका है जब मानसून काल में इस खूबसूरत जलप्रपात को निहारने आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. दरअसल देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से बस्तर जिले के सभी पर्यटन स्थलों को शासन ने बंद करने का आदेश दिया है. जिसकी वजह से हर साल मानसून में हजारों पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात इस समय अकेले ही कल-कल बहता जा रहा है, लेकिन उसकी अठखेलियां देखने कोई भी नहीं पहुंच रहा है.

chitrakote falls awaiting tourists
सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात
resort also deserted
रिजॉर्ट भी पड़ा सूना

छोटे-छोटे दुकानदारों की छिनी रोजी-रोटी

shops closed due to no tourists
सैलानी नहीं होने से दुकानें बंद

अमूमन हर साल बरसात के मौसम में हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मिनी नियाग्रा पिछले 4 महीनों से खाली पड़ा है. जिससे इस जलप्रपात के सहारे अपनी जिंदगी गुजारने वाले सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है. इन पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने से इसका सबसे ज्यादा नुकसान यहां के फुटकर व्यापारियों को हुआ है. आसपास के गांव वाले इस पर्यटन स्थल पर अपनी छोटी-छोटी खाने-पीने की और अन्य बस्तर की कला से संबंधित दुकानें लगाते हैं, लेकिन पिछले 4 महीनों से शासन ने उनके सभी दुकानों को बंद करने के आदेश दे दिए. जिससे इन्हें आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है.

'घर का सामान बेचकर चल रहा गुजारा'

resort also deserted
रिजॉर्ट भी पड़ा सूना

चित्रकोट जलप्रपात के परिसर में छोटी दुकान चलाने वाले एक दुकानदार का कहना है कि शासन ने 5 महीने से उनकी दुकान बंद करवा दी, लिहाजा आय का जरिया नहीं होने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शासन ने उनके लिए किसी तरह की कोई मदद भी नहीं पहुंचाई है, जिससे आलम ये है कि उन्हें घर का सामान बेचकर परिवार का पेट भरना पड़ रहा है. वहीं एक महिला दुकानदार बताती है कि सरकार उन्हें हर महीने 10 किलो चावल दे रही है, लेकिन अन्य सामानों के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है और उनकी दुकान भी दूरदराज से पहुंचने वाले पर्यटकों के ऊपर ही आश्रित है. फुटकर व्यापारियों की मांग है कि जल्द ही पर्यटन स्थलों पर लगे प्रतिबंध को शासन हटाए, जिससे उन्हें काफी राहत मिलेगी और फिर से उनका जीवन पटरी पर आ जाएगा.

सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात

मंदिर में नहीं चढ़ रही दान-दक्षिणा

चित्रकोट जलप्रपात के परिसर में ही मौजूद शिव मंदिर के पुजारी का भी कहना है कि पर्यटकों के नहीं आने के चलते मंदिर में दान दक्षिणा नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें अपने परिवार को पालने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं शासन की तरफ से भी उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है.

शासन को लाखों रुपयों का लग रहा चूना

गौरतलब है कि हर साल बस्तर में मानसून के दस्तक के साथ ही हजारों की संख्या में पर्यटक चित्रकोट, तीरथगढ़ और अन्य पर्यटन स्थलों का खूबसूरत नजारा देखने पहुंचते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब तक एक भी पर्यटक यहां नहीं पहुंच सका है. लिहाजा पर्यटन विभाग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं लाखों रुपए की लागत से बने सरकारी और निजी कॉटेज भी पर्यटक के अभाव में सूने पड़े हैं और पर्यटन स्थलों में भी वीरानी छाई हुई है.

जगदलपुर: कहते हैं खूबसूरती में चार चांद तब लगता है, जब उसकी तारीफ करने वाले हों, क्योंकि बिना तारीफ के खूबसूरती भी फीकी पड़ने लगती है. ऐसा ही कुछ हो रहा है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात के साथ. दरअसल बस्तर में मानसून की दस्तक के साथ ही चित्रकोट जलप्रपात अपने पूरे शबाब पर है और इसकी खूबसूरती इन दिनों देखते ही बन रही है. इस खूबसूरत जलप्रपात को इंतजार है निहारती आंखों का, जो इस जलप्रपात को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, लेकिन इस समय चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती पर भी कोरोना की काली परछाईं पड़ गई है. जिसके कारण बिना सैलानियों के चित्रकोट सूना पड़ा हुआ है.

सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात

कोरोना के कारण बस्तर के सारे पर्यटन स्थल बंद

देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात इन दिनों अपनी खूबसूरती की छटा बिखेरता हुआ नजर आ रहा है. लगभग 95 फीट की ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात इस समय खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, लेकिन बस्तर के इतिहास में यह पहला मौका है जब मानसून काल में इस खूबसूरत जलप्रपात को निहारने आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. दरअसल देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से बस्तर जिले के सभी पर्यटन स्थलों को शासन ने बंद करने का आदेश दिया है. जिसकी वजह से हर साल मानसून में हजारों पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात इस समय अकेले ही कल-कल बहता जा रहा है, लेकिन उसकी अठखेलियां देखने कोई भी नहीं पहुंच रहा है.

chitrakote falls awaiting tourists
सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात
resort also deserted
रिजॉर्ट भी पड़ा सूना

छोटे-छोटे दुकानदारों की छिनी रोजी-रोटी

shops closed due to no tourists
सैलानी नहीं होने से दुकानें बंद

अमूमन हर साल बरसात के मौसम में हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मिनी नियाग्रा पिछले 4 महीनों से खाली पड़ा है. जिससे इस जलप्रपात के सहारे अपनी जिंदगी गुजारने वाले सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है. इन पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने से इसका सबसे ज्यादा नुकसान यहां के फुटकर व्यापारियों को हुआ है. आसपास के गांव वाले इस पर्यटन स्थल पर अपनी छोटी-छोटी खाने-पीने की और अन्य बस्तर की कला से संबंधित दुकानें लगाते हैं, लेकिन पिछले 4 महीनों से शासन ने उनके सभी दुकानों को बंद करने के आदेश दे दिए. जिससे इन्हें आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है.

'घर का सामान बेचकर चल रहा गुजारा'

resort also deserted
रिजॉर्ट भी पड़ा सूना

चित्रकोट जलप्रपात के परिसर में छोटी दुकान चलाने वाले एक दुकानदार का कहना है कि शासन ने 5 महीने से उनकी दुकान बंद करवा दी, लिहाजा आय का जरिया नहीं होने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शासन ने उनके लिए किसी तरह की कोई मदद भी नहीं पहुंचाई है, जिससे आलम ये है कि उन्हें घर का सामान बेचकर परिवार का पेट भरना पड़ रहा है. वहीं एक महिला दुकानदार बताती है कि सरकार उन्हें हर महीने 10 किलो चावल दे रही है, लेकिन अन्य सामानों के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है और उनकी दुकान भी दूरदराज से पहुंचने वाले पर्यटकों के ऊपर ही आश्रित है. फुटकर व्यापारियों की मांग है कि जल्द ही पर्यटन स्थलों पर लगे प्रतिबंध को शासन हटाए, जिससे उन्हें काफी राहत मिलेगी और फिर से उनका जीवन पटरी पर आ जाएगा.

सैलानियों के इंतजार में चित्रकोट जलप्रपात

मंदिर में नहीं चढ़ रही दान-दक्षिणा

चित्रकोट जलप्रपात के परिसर में ही मौजूद शिव मंदिर के पुजारी का भी कहना है कि पर्यटकों के नहीं आने के चलते मंदिर में दान दक्षिणा नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें अपने परिवार को पालने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं शासन की तरफ से भी उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है.

शासन को लाखों रुपयों का लग रहा चूना

गौरतलब है कि हर साल बस्तर में मानसून के दस्तक के साथ ही हजारों की संख्या में पर्यटक चित्रकोट, तीरथगढ़ और अन्य पर्यटन स्थलों का खूबसूरत नजारा देखने पहुंचते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब तक एक भी पर्यटक यहां नहीं पहुंच सका है. लिहाजा पर्यटन विभाग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं लाखों रुपए की लागत से बने सरकारी और निजी कॉटेज भी पर्यटक के अभाव में सूने पड़े हैं और पर्यटन स्थलों में भी वीरानी छाई हुई है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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