गौरेला पेण्ड्रा मरवाही: झाबर गांव पिछले दो वर्षों से किसान अपनी जमीनों पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. जिसकी वजह है खेतों में जमा हुआ पानी. बताया जा रहा है कि रेलवे के निर्माण कार्य की वजह से खेतों में बारिश का पानी जमा हो गया है. जिसकी वजह से दर्जन भर किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें दो सालों से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. रेलवे के साथ स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या से मुंह मोड़ लिया है.
क्या है पूरा मामला: दरअसल जिले के पेंड्रा रोड सारबहरा से गेवरारोड रेलवे लाइन पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की रेल परियोजना में काम जारी है. ग्रामीणों की मानें, तो रेल लाइन का जहां पर निर्माण हो रहा है. वहां से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. इस वजह से खेतों में पानी जमा है. जिसकी वजह से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. जो किसान पिछले दो सालों से खेती नहीं कर पा रहे हैं, उनमें से झाबर गांव के कुछ किसान शामिल हैं.
किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं: इन पिछड़े आदिवासी किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. रेल लाइन बनाने के लिए इन्हें मुआवजा भी नहीं मिला है. ग्रामीण अपने स्तर पर अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं. लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. ना ही रेलवे की ठेका कंपनी के लोगों ने उनकी सुनी. ना ही स्थानीय प्रशासन ने उनकी सुध ली. अब हालात यह है कि इनकी जमीन में साल भर पानी भरे होने के चलते लोग अपने ही खेतों में खेती नहीं कर पा रहे है.
"पिछले 2 वर्षों से खेत में पानी भरे रहने के कारण खेती नहीं कर पा रहे हैं. लगभग दर्जन भर किसान के कई एकड़ खेत पानी में डूबे हुए हैं. स्थानीय प्रशासन को कई बार मामले से अवगत भी कराया गया है, लेकिन अब तक किसी प्रकार से उन्हें राहत नहीं मिली है. - खुमान सिंह, पीड़ित किसान
किसानों को हो रहा नुकसान: झाबर गांव के ग्रामीण खुमान सिंह ने बताया कि" खेत से बारिश के पानी की निकासी नहीं होने के कारण खेतों में पानी भरा हुआ है. जिसके कारण खेती नहीं हो पा रही है. रेलवे की गलती के कारण किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वहीं जब हमने रेल निर्माण कंपनी के जवाबदार प्रतिनिधि नरेंद्र कुमार बोंदरे से बात की. तो उन्होंने बतलाया कि भूअर्जन से संबंधित जो भी मामले हैं, वह स्थानीय एसडीएम के पास होते हैं. एसडीएम के पास ही इसका जवाब होगा"
"मामले की जानकारी मिली है. अगर इसमें रेलवे के द्वारा किसी तरह की अनियमितता की गई है. उस पर जांच पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी." - अमित बेक, एसडीएम, पेंड्रारोड
बहरहाल, एक ओर प्रदेश और केंद्र सरकार किसानों को बेहतर खेती किसानी करने के लिए हर तरह से सहयोग प्रदान करने का दावा करती है. तो यहां कुछ किसान कई तरह के अन्य समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं. रेलवे की लापरवाही और स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते पिछले दो सालों से किसान अपने खेती की भूमि पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. एसडीएम ने कार्रवाई की बात तो कही है, लेकिन कब तक एक्शन लेते हैं. यह देखने वाली बात तहोगी.