गरियाबंद: कोरोना काल की होली में संक्रमण का खतरा हो इसलिए बिहान से जुड़ी महिलाएं टमाटर,पलास के फूल,पालक, गोभी की भाजी और कच्ची हल्दी का इस्तेमाल कर हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं है. ब्रांडेड बता कर 200 रुपये किलो में बेचे जाने वाले हर्बल गुलाल अब महज 70 से 80 रुपये किलो के दर पर उपलब्ध होंगे.
कोरोना काल में केमिकल युक्त गुलाल सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. अमलीपदर के सिद्धि विनायक और बुढ़गेलटप्पा के गंगा माई स्व-सहायता समूह द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है.अमलीपदर समूह की अध्यक्ष भारती पटेल ने बताया कि समूह की 11 सदस्य फिलहाल 50 किलो गुलाल बनाएंगी. इतनी ही मात्रा में गुलाल बुढ़गेलटप्पा के समूह बना रहे हैं. सप्ताह भर पहले काम शुरू किया गया था. दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक के काम से रोजाना 3 से 5 किलो तक गुलाल तैयार हो रहा है. अब तक 20 किलो गुलाल बनाया जा चुका है.
हर्बल होली: फूल-पत्ती और फल के बने रंग से रंगीन हुआ बाजार
20 मार्च से बाजार में होगा उपलब्ध
प्रयोग सफल हुआ तो आने वाले सीजन में बड़े पैमाने पर गुलाल बनाया जाएगा. ग्रामीण आजीविका मिशन की क्लस्टर प्रभारी निधि साहू ने ही हर्बल गुलाल बनाने का प्रयोग कर रही हैं.गणतंत्र दिवस में अपने काम को लेकर निधि जिला प्रसाशन से सम्मानित भी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि 20 मार्च से ये गुलाल बाजार में उपलब्ध होगा.
ऐसे होता है हर्बल गुलाल तैयार
महिला समूह की प्रमुख निधि साहू ने बताया कि गुलाल के बेस के लिए अरारोट पाउडर का इस्तेमाल होता है. हरे रंग के लिए गोभी भाजी, पालक भाजी के रस का इस्तेमाल होता है.पिला रंग बनाने टमाटर और कच्ची हल्दी का उपयोग किया जाता है. लाल रंग के लिए लाल भाजी, पलास फूल, टमाटर का रस इस्तेमाल होता है. इसे आरारोट पाउडर में मिक्स कर सुखाया जाता है. सुगन्ध के लिए परफ्यूम और एसेंस का उपयोग होता है.