ETV Bharat / state

कोरोना काल में सड़क यातायात महंगा: वाहनों का किराया बढ़ने से लोगों पर पड़ी महंगाई की मार

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ऐसे कई इलाके हैं जहां आवागमन के सार्वजनिक साधन न के बराबर हैं. कई ग्रामीण इलाकों में आज भी वाहनों की कमी है. लेकिन कोरोना काल के बाद सड़क यातायात महंगी हो गई है. जिसकी वजह से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है.

fare increased
वाहनों के किराए बढ़े
author img

By

Published : Dec 2, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 12:17 AM IST

गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां आने-जाने का साधन न होने की वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. गरियाबंद वैसे तो जिला बन चुका है लेकिन यहां के लोग सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. जिला मुख्यालय से दूर कई गांव ऐसे हैं, जहां कनेक्टिविटी खराब है. आने-जाने के लिए बस नहीं चलती. लोग या तो निजी वाहन से सफर करते हैं या फिर रूट पर चलने वाले जीप और ऑटो उनका सहारा होती हैं. कोरोना के दौरान किराया बढ़ गया, ऐसे में ग्रामीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

वाहनों के बढ़े किराए

गरियाबंद के नेशनल हाईवे से लगे गांवों में जाने के लिए यात्री बस तो चलती है. लेकिन जिला मुख्यालय के दूरस्थ गांवों में यह यात्री बस नहीं जाती. और कुछ बस जो ऐसे क्षेत्रों में जाती थी, वो भी कोरोनाकाल के बाद से यात्रियों की कमी के चलते नहीं जा रही है. ऐसे में अंदरूनी क्षेत्रों में जाने के लिए ग्रामीणों के पास जीप, ऑटो, टैक्सी जैसे विकल्प ही बचते हैं.

villagers travelling in auto
ऑटो में सफर करते ग्रामीण

पढ़ें- 24 घंटे में खबर का असर, आदिवासी बेटियों को डॉक्टर बनाएगी छत्तीसगढ़ सरकार

लॉकडाउन के पहले भी ऐसे क्षेत्रों में दर्जनों टैक्सी और जीप चलते थे. ग्रामीणों के आवागमन के लिए ये काफी सुविधाजनक था लेकिन अब हालात ये हैं कि मुश्किल से दिन भर में एक या दो गाड़ियां चल रही है. वहीं लॉकडाउन के बाद से जीप और टैक्सी चालकों ने किराए में बढ़ोत्तरी कर दी है. ऐसे में गरीब ग्रामीणों के लिए यह परेशानी से कम नहीं है.

fare increased
किराया बढ़ा

विरोध नहीं कर पा रहे ग्रामीण

गरियाबंद के छुरा, नगरी-सिहावा, दरीपारा खुर्सीपार, धवलपुर इलाके के दर्जनभर अंदरूनी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पहले मुख्य शहर जाने के लिए ग्रामीणों को 30 रुपए किराया देना पड़ता था. लेकिन अब 40 रुपए किराया देना पड़ता है. जिन ग्रामीणों के पास खुद का साधन नहीं है, वे ज्यादा किराए देकर सफर करने को मजबूर हैं. किराए के लिए अतिरिक्त राशि के बोझ तले दबते ग्रामीण इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं.

वाहन चालकों की हालत भी खस्ता

वहीं किराया बढ़ाने के बावजूद भी जीप,ऑटो, टैक्सी के संचालकों की हालत खस्ता है. कई वाहन मालिक कर्ज तले दबे हैं तो कई लोगों ने वाहन चलाना ही बंद कर दिया है. वहीं 25 प्रतिशत ऐसे हैं जिनको वाहन तक बेचना पड़ गया. खुद टैक्सी मालिक यूनियन के अध्यक्ष प्रेम सोनवाने बताते हैं कि पहले इनके साथ करीब 45 टैक्सी अलग-अलग रूट पर चला करती थी. लेकिन अब इसकी संख्या घटकर 20 रह गई है. सवारियों के अभाव के चलते गाड़ियां घर पर खड़ी हैं. वहीं कई लोगों ने गाड़ियां तक बेच दी.

वाहन कंपनियों ने बढ़ाया ब्याज

वाहन चालकों ने साफ बताया कि ज्यादातर वाहन किस्त में खरीदे जाते हैं और लॉकडाउन में यात्राएं पूरी तरह बंद थी. किस्त नहीं पटने के चलते कई वाहन कंपनियों ने अतिरिक्त ब्याज बढ़ा दिया है. वाहन मालिकों ने बताया कि अभी भी स्थितियां बेहद खराब है. डीजल का खर्च भी मुश्किल से निकल रहा है. ऐसे में मजबूरी में उन्होंने 10-10 रुपए प्रति सवारी बढ़ाई है. फिर भी कोई फायदा नहीं हो रहा है.

पढे़ं- SPECIAL: इंटरस्टेट बसों की संख्या में आई कमी, यात्रियों से वसूला जा रहा ज्यादा किराया

यात्रियों को करना पड़ रहा है इंतजार

वाहन का किराया बढ़ने के अलावा ग्रामीणों ने बताया कि पहले गाड़ियों का समय तय होता था. अब वे घंटों इंतजार करते रह जाते हैं, गाड़ियों के आने का कोई समय नहीं होता. ऊपर से अब किराए की बढ़ोतरी ने गरीब ग्रामीणों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है.

गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां आने-जाने का साधन न होने की वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. गरियाबंद वैसे तो जिला बन चुका है लेकिन यहां के लोग सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. जिला मुख्यालय से दूर कई गांव ऐसे हैं, जहां कनेक्टिविटी खराब है. आने-जाने के लिए बस नहीं चलती. लोग या तो निजी वाहन से सफर करते हैं या फिर रूट पर चलने वाले जीप और ऑटो उनका सहारा होती हैं. कोरोना के दौरान किराया बढ़ गया, ऐसे में ग्रामीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

वाहनों के बढ़े किराए

गरियाबंद के नेशनल हाईवे से लगे गांवों में जाने के लिए यात्री बस तो चलती है. लेकिन जिला मुख्यालय के दूरस्थ गांवों में यह यात्री बस नहीं जाती. और कुछ बस जो ऐसे क्षेत्रों में जाती थी, वो भी कोरोनाकाल के बाद से यात्रियों की कमी के चलते नहीं जा रही है. ऐसे में अंदरूनी क्षेत्रों में जाने के लिए ग्रामीणों के पास जीप, ऑटो, टैक्सी जैसे विकल्प ही बचते हैं.

villagers travelling in auto
ऑटो में सफर करते ग्रामीण

पढ़ें- 24 घंटे में खबर का असर, आदिवासी बेटियों को डॉक्टर बनाएगी छत्तीसगढ़ सरकार

लॉकडाउन के पहले भी ऐसे क्षेत्रों में दर्जनों टैक्सी और जीप चलते थे. ग्रामीणों के आवागमन के लिए ये काफी सुविधाजनक था लेकिन अब हालात ये हैं कि मुश्किल से दिन भर में एक या दो गाड़ियां चल रही है. वहीं लॉकडाउन के बाद से जीप और टैक्सी चालकों ने किराए में बढ़ोत्तरी कर दी है. ऐसे में गरीब ग्रामीणों के लिए यह परेशानी से कम नहीं है.

fare increased
किराया बढ़ा

विरोध नहीं कर पा रहे ग्रामीण

गरियाबंद के छुरा, नगरी-सिहावा, दरीपारा खुर्सीपार, धवलपुर इलाके के दर्जनभर अंदरूनी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पहले मुख्य शहर जाने के लिए ग्रामीणों को 30 रुपए किराया देना पड़ता था. लेकिन अब 40 रुपए किराया देना पड़ता है. जिन ग्रामीणों के पास खुद का साधन नहीं है, वे ज्यादा किराए देकर सफर करने को मजबूर हैं. किराए के लिए अतिरिक्त राशि के बोझ तले दबते ग्रामीण इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं.

वाहन चालकों की हालत भी खस्ता

वहीं किराया बढ़ाने के बावजूद भी जीप,ऑटो, टैक्सी के संचालकों की हालत खस्ता है. कई वाहन मालिक कर्ज तले दबे हैं तो कई लोगों ने वाहन चलाना ही बंद कर दिया है. वहीं 25 प्रतिशत ऐसे हैं जिनको वाहन तक बेचना पड़ गया. खुद टैक्सी मालिक यूनियन के अध्यक्ष प्रेम सोनवाने बताते हैं कि पहले इनके साथ करीब 45 टैक्सी अलग-अलग रूट पर चला करती थी. लेकिन अब इसकी संख्या घटकर 20 रह गई है. सवारियों के अभाव के चलते गाड़ियां घर पर खड़ी हैं. वहीं कई लोगों ने गाड़ियां तक बेच दी.

वाहन कंपनियों ने बढ़ाया ब्याज

वाहन चालकों ने साफ बताया कि ज्यादातर वाहन किस्त में खरीदे जाते हैं और लॉकडाउन में यात्राएं पूरी तरह बंद थी. किस्त नहीं पटने के चलते कई वाहन कंपनियों ने अतिरिक्त ब्याज बढ़ा दिया है. वाहन मालिकों ने बताया कि अभी भी स्थितियां बेहद खराब है. डीजल का खर्च भी मुश्किल से निकल रहा है. ऐसे में मजबूरी में उन्होंने 10-10 रुपए प्रति सवारी बढ़ाई है. फिर भी कोई फायदा नहीं हो रहा है.

पढे़ं- SPECIAL: इंटरस्टेट बसों की संख्या में आई कमी, यात्रियों से वसूला जा रहा ज्यादा किराया

यात्रियों को करना पड़ रहा है इंतजार

वाहन का किराया बढ़ने के अलावा ग्रामीणों ने बताया कि पहले गाड़ियों का समय तय होता था. अब वे घंटों इंतजार करते रह जाते हैं, गाड़ियों के आने का कोई समय नहीं होता. ऊपर से अब किराए की बढ़ोतरी ने गरीब ग्रामीणों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 12:17 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.