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बारिश के देखते हुए गरियाबंद में नदियों और पिकनिक स्पॉट्स पर सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम ? - how are the preparations in view of flood

गरियाबंद अपनी प्राकृतिक संपदा, हरे-भरे वनों, नदियों और पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है. बारिश के मौसम में यहां नदियों, बाधों और पर्यटन स्थल पर लोग बारिश का लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं. कई बार मौज-मस्ती के दौरान लोग काफी लापरवाह हो जाते हैं, जिससे अप्रिय घटना भी जाती है. इन दुर्घटनाओं को रोकने पुलिस बल, SDF और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं.

Picnic Spots of Gariyaband
बारिश के देखते हुए गरियाबंद में नदियों और पिकनिक स्पॉट्स पर सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम
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Published : Jun 25, 2021, 6:53 PM IST

गरियाबंद: बारिश के लिहाज से गरियाबंद जिला अतिवर्षा वाले जिलों (rain in gariyaband) की श्रेणी में शामिल है. बारिश आते ही जिले की तमाम नदियां, नाले, जलप्रपात उफान पर रहते हैं. लिहाजा इन स्थानों पर बाढ़ से निपटने और सुरक्षा उपायों को लेकर प्रशासन मुस्तैद रहता है. कोरोना के चलते गरियाबंद जिले में फिलहाल पर्यटन स्थल बंद हैं. वाबजूद लोग बारिश का लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं. कई बार मौज-मस्ती के दौरान लोग काफी लापरवाह हो जाते हैं, जिससे अप्रिय घटना भी जाती है. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस बल, SDF और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं.

गरियाबंद में बाढ़ को देखते हुए कैसी हैं तैयारियां

गरियाबंद के पैरी नदी में गोताखोर दल तैयार

पैरी नदी (Flood in Pairi river) में हर साल आने वाली बाढ़ को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग अपनी तैयारी रखता है. इस साल दो अलग-अलग गोताखोर दल तैयार किए गए हैं. जिनके पास अपनी-अपनी बोट है. दोनों दलों में 10-10 गोताखोर तैनात हैं. ये दल राजिम और गरियाबंद में हमेशा मौजूद रहता है. इमरजेंसी सूचना पर ये दल 10 मिनट के भीतर रवाना होकर जिले के किसी भी इलाके में पहुंचने में अधिकतम 1 घंटे का समय लेता है. ज्यादातर बाढ़ के मामले गरियाबंद और राजिम के आसपास के क्षेत्रों में होते हैं. इसलिए इसन इलाकों में आधे घंटे के भीतर घटनास्थल पर पहुंचना और रेस्क्यू प्रारंभ करना इनका लक्ष्य होता है. इन दलों में सभी होमगार्ड के जवान हैं. इनकी कुल संख्या 250 है. बाढ़ आपदा आते ही क्विक रिस्पांस टीम को भेजे जाने के बाद एक बड़ा सपोर्ट दल भी पीछे रवाना किया जाता है.

आपदा प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध

होमगार्ड के प्रभारी दीपांकुर कुमार का कहना है कि ऐसी आपदाओं में रेस्क्यू के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. हर टीम के पास अपनी लाइफ जैकेट, बोट, पानी के अंदर काम करने वाली टॉर्च समेत कई और जरूरी उपकरण मौजूद हैं. जरूरत पड़ने पर तत्काल रेस्क्यू टीम को पहुंचाने की व्यवस्था के लिए वाहन हमेशा तैयार रहते हैं. दीपांकुर कुमार ने बताया कि हमारे जवानों ने कई बार अदम्य साहस का परिचय दिया है. बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया है.

छत्तीसगढ़ में बाढ़ को देखते हुए कैसी हैं तैयारियां, पिकनिक स्पॉट्स पर सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम ?

बीते सालों में हुईं दुर्घटनाएं

गरियाबंद जिले में हर साल बारिश के मौसम में पर्यटन स्थल पर लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं. सिकासेर बांध में दो साल पहले रायपुर के मौदहापारा के दो युवक डूब गए थे. इसके अलावा घटारानी पिकनिक स्पॉट पर अभनपुर का एक युवक झरने के ऊपर से सेल्फी लेते हुए नीचे गिर गया था. वहीं देवधारा जलप्रपात में भी एक युवक की गिरने से मौत हो गई थी. इन मौतों के अलावा नदी में बाढ़ आने से हर साल जिले में एक या दो मौतें होती हैं, जिसे देखते हुए प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के लिए रेस्क्यू टीम तैयार

गरियाबंद जिला नदियों, हरे-भरे वनों और पर्यटन स्थलों के लिए जाना जता है. कई कई छोटे-बड़े टूरिस्ट प्लेस मौजूद हैं. बारिश के दिनों में यहां मौसम काफी सुहाना हो जाता है. जिसकी खूबसूरती देखने लोग यहां पहुंचते हैं.

गरियाबंद जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

जतमई

गरियाबंद के पांडुका क्षेत्र (Jatmai is located in Panduka area of Gariyaband) की पहाड़ी इलाकों में स्थित ये जगह अपने आसपास की मनोरम हरी-भरी वादियाें से लोगों का मन मोह लेती हैं. यहां का विशाल झरना पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. झरने के बगल में जतमई माता का मंदिर स्थापित है. जो इस स्थान के महत्व को और बढ़ा देता है.

घटारानी

गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक में स्थित घटारानी में काफी रोचक झरने (falls in Ghatarani) मौजूद हैं. इन झरनों के नीचे कुंड बनाया गया है. जो कि काफी दूर से दिखाई देते हैं. बारिश के सीजन में जब इन झरनों से अधिक मात्रा में पानी नीचे की ओर गिरता है, तो वो नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है.

बस्तर में भारी बारिश की संभावना के बीच आपदा से निपटने कितनी तैयार है SDRF की टीम ?


सिकासेर

सिकासेर गरियाबंद का एकमात्र बड़ा सिंचाई बांध (Sikaser is an irrigation dam) है. जिसमें साल भर भरपूर पानी रहता है. यह क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करता है. यहां पहुंचने का रास्ता सघन जंगलों से घिरा हुआ है. जंगल घूमने के शौकीन सिकासेर विजिट करने को अधिक प्राथमिकता देते हैं. इस बांध में 22 गेट हैं, यहां 15 जुलाई के बाद पानी अधिक हो जाता है. जिसके बाद इसके गेट खोले जाते हैं.

उदंती

उदंती अभयारण्य (Udanti Sanctuary in Gariyaband) क्षेत्र में कई सुंदर पर्यटन क्षेत्र हैं, कई व्यूप्वाइंट हैं. जिनमें गोडेना फॉल (Godena fall) प्रमुख है. छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वन भैंसा भी इस क्षेत्र में विचरण करते पाए जाते हैं. उदंती में इनके लिए प्रजनन केंद्र भी बनाया गया है.

कभी देश-विदेश के पर्यटकों से गुलजार रहने वाले बस्तर की हर गली पड़ी है वीरान

राजीव लोचन

छत्तीसगढ़ में धार्मिक पर्यटन स्थलों का जिक्र होते ही राजिम का राजीव लोचन और कुलेश्वर मंदिर (Rajiv Lochan and Kuleshwar Temple) का ख्याल जरूर आता है. राजिम में रोजाना दूर दराज के क्षेत्रों से सैकड़ों लोग राजीव लोचन और कुलेश्वर मंदिर के दर्शन करने आते हैं. कुलेश्वर मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग का निर्माण माता सीता ने अपने हाथों से किया था. छत्तीसगढ़ में बहने वाली महानदी और सोंढुर नदी के संगम स्थल पर स्थित यह मंदिर बारिश के समय पर्यटकों का पसंदीदा स्थान होता है. धार्मिक स्थान होने के अलावा यहां भारी हरियाली देखने को मिलती है.

गरियाबंद: बारिश के लिहाज से गरियाबंद जिला अतिवर्षा वाले जिलों (rain in gariyaband) की श्रेणी में शामिल है. बारिश आते ही जिले की तमाम नदियां, नाले, जलप्रपात उफान पर रहते हैं. लिहाजा इन स्थानों पर बाढ़ से निपटने और सुरक्षा उपायों को लेकर प्रशासन मुस्तैद रहता है. कोरोना के चलते गरियाबंद जिले में फिलहाल पर्यटन स्थल बंद हैं. वाबजूद लोग बारिश का लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं. कई बार मौज-मस्ती के दौरान लोग काफी लापरवाह हो जाते हैं, जिससे अप्रिय घटना भी जाती है. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस बल, SDF और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं.

गरियाबंद में बाढ़ को देखते हुए कैसी हैं तैयारियां

गरियाबंद के पैरी नदी में गोताखोर दल तैयार

पैरी नदी (Flood in Pairi river) में हर साल आने वाली बाढ़ को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग अपनी तैयारी रखता है. इस साल दो अलग-अलग गोताखोर दल तैयार किए गए हैं. जिनके पास अपनी-अपनी बोट है. दोनों दलों में 10-10 गोताखोर तैनात हैं. ये दल राजिम और गरियाबंद में हमेशा मौजूद रहता है. इमरजेंसी सूचना पर ये दल 10 मिनट के भीतर रवाना होकर जिले के किसी भी इलाके में पहुंचने में अधिकतम 1 घंटे का समय लेता है. ज्यादातर बाढ़ के मामले गरियाबंद और राजिम के आसपास के क्षेत्रों में होते हैं. इसलिए इसन इलाकों में आधे घंटे के भीतर घटनास्थल पर पहुंचना और रेस्क्यू प्रारंभ करना इनका लक्ष्य होता है. इन दलों में सभी होमगार्ड के जवान हैं. इनकी कुल संख्या 250 है. बाढ़ आपदा आते ही क्विक रिस्पांस टीम को भेजे जाने के बाद एक बड़ा सपोर्ट दल भी पीछे रवाना किया जाता है.

आपदा प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध

होमगार्ड के प्रभारी दीपांकुर कुमार का कहना है कि ऐसी आपदाओं में रेस्क्यू के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. हर टीम के पास अपनी लाइफ जैकेट, बोट, पानी के अंदर काम करने वाली टॉर्च समेत कई और जरूरी उपकरण मौजूद हैं. जरूरत पड़ने पर तत्काल रेस्क्यू टीम को पहुंचाने की व्यवस्था के लिए वाहन हमेशा तैयार रहते हैं. दीपांकुर कुमार ने बताया कि हमारे जवानों ने कई बार अदम्य साहस का परिचय दिया है. बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया है.

छत्तीसगढ़ में बाढ़ को देखते हुए कैसी हैं तैयारियां, पिकनिक स्पॉट्स पर सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम ?

बीते सालों में हुईं दुर्घटनाएं

गरियाबंद जिले में हर साल बारिश के मौसम में पर्यटन स्थल पर लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं. सिकासेर बांध में दो साल पहले रायपुर के मौदहापारा के दो युवक डूब गए थे. इसके अलावा घटारानी पिकनिक स्पॉट पर अभनपुर का एक युवक झरने के ऊपर से सेल्फी लेते हुए नीचे गिर गया था. वहीं देवधारा जलप्रपात में भी एक युवक की गिरने से मौत हो गई थी. इन मौतों के अलावा नदी में बाढ़ आने से हर साल जिले में एक या दो मौतें होती हैं, जिसे देखते हुए प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के लिए रेस्क्यू टीम तैयार

गरियाबंद जिला नदियों, हरे-भरे वनों और पर्यटन स्थलों के लिए जाना जता है. कई कई छोटे-बड़े टूरिस्ट प्लेस मौजूद हैं. बारिश के दिनों में यहां मौसम काफी सुहाना हो जाता है. जिसकी खूबसूरती देखने लोग यहां पहुंचते हैं.

गरियाबंद जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

जतमई

गरियाबंद के पांडुका क्षेत्र (Jatmai is located in Panduka area of Gariyaband) की पहाड़ी इलाकों में स्थित ये जगह अपने आसपास की मनोरम हरी-भरी वादियाें से लोगों का मन मोह लेती हैं. यहां का विशाल झरना पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. झरने के बगल में जतमई माता का मंदिर स्थापित है. जो इस स्थान के महत्व को और बढ़ा देता है.

घटारानी

गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक में स्थित घटारानी में काफी रोचक झरने (falls in Ghatarani) मौजूद हैं. इन झरनों के नीचे कुंड बनाया गया है. जो कि काफी दूर से दिखाई देते हैं. बारिश के सीजन में जब इन झरनों से अधिक मात्रा में पानी नीचे की ओर गिरता है, तो वो नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है.

बस्तर में भारी बारिश की संभावना के बीच आपदा से निपटने कितनी तैयार है SDRF की टीम ?


सिकासेर

सिकासेर गरियाबंद का एकमात्र बड़ा सिंचाई बांध (Sikaser is an irrigation dam) है. जिसमें साल भर भरपूर पानी रहता है. यह क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करता है. यहां पहुंचने का रास्ता सघन जंगलों से घिरा हुआ है. जंगल घूमने के शौकीन सिकासेर विजिट करने को अधिक प्राथमिकता देते हैं. इस बांध में 22 गेट हैं, यहां 15 जुलाई के बाद पानी अधिक हो जाता है. जिसके बाद इसके गेट खोले जाते हैं.

उदंती

उदंती अभयारण्य (Udanti Sanctuary in Gariyaband) क्षेत्र में कई सुंदर पर्यटन क्षेत्र हैं, कई व्यूप्वाइंट हैं. जिनमें गोडेना फॉल (Godena fall) प्रमुख है. छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वन भैंसा भी इस क्षेत्र में विचरण करते पाए जाते हैं. उदंती में इनके लिए प्रजनन केंद्र भी बनाया गया है.

कभी देश-विदेश के पर्यटकों से गुलजार रहने वाले बस्तर की हर गली पड़ी है वीरान

राजीव लोचन

छत्तीसगढ़ में धार्मिक पर्यटन स्थलों का जिक्र होते ही राजिम का राजीव लोचन और कुलेश्वर मंदिर (Rajiv Lochan and Kuleshwar Temple) का ख्याल जरूर आता है. राजिम में रोजाना दूर दराज के क्षेत्रों से सैकड़ों लोग राजीव लोचन और कुलेश्वर मंदिर के दर्शन करने आते हैं. कुलेश्वर मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग का निर्माण माता सीता ने अपने हाथों से किया था. छत्तीसगढ़ में बहने वाली महानदी और सोंढुर नदी के संगम स्थल पर स्थित यह मंदिर बारिश के समय पर्यटकों का पसंदीदा स्थान होता है. धार्मिक स्थान होने के अलावा यहां भारी हरियाली देखने को मिलती है.

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