गरियाबंद: जिले के उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट में बीती रात एक मात्र राजकीय पशु भैंस खुशी की मौत हो गई. उदंती जंगल में 7 साल की भैंस थी. जिसको प्रजनन संरक्षण और संर्वधन केंद्र में रखा गया था. सूचना पर पहुंचकर वन विभाग की टीम और पशु डॉक्टर पहुंचे थे.
दरअसल, बीते दो-तीन दिनों से मादा भैंस को बुखार आ रहा था. जिसे डॉक्टर इलाज कर रहे थे. इलाज के बीच ही उक्त मादा भैंस की मौत हो गई. अब उदंती में मादा वन भैंस एक भी नहीं है. जिसके चलते अब उनका नस्ल को आगे बढ़ाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि करनाल से वैज्ञानिकों से क्लोन बनवा कर एक मादा वन भैंस पैदा किया गया है जो नया रायपुर में है. उसकी भी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह अभी इस साल वंश आगे बढ़ा सकें. एक मात्र मादा वनभैंस की मौत की खबर लगते ही पूरे वन विभाग में हड़कंप मच गया है.
मादा भैस की मौत के खबर के बाद मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी के उच्च अधिकारी, उदंती सीता नदी टाईगर रिजर्व के उप निदेषक आयुष जैन और वन विभाग आला अफसर उदंती जंगल पहुंच गए.
बहरहाल, उदंती जंगल में राजकीय पशु एक मात्र बची मदा वनभैंस की मौत से पूरे प्रदेश को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है. खास बात यह है कि वन भैंस प्रजनन केंद्र के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर प्रजनन केंद्र तैयार किया गया है. लेकिन अब प्रजनन करने के लिए कोई मादा वन भैस नहीं है. ऐसे में वह केवल एक तार के घेरे का बाड़ा बनकर रह गया है. हालांकि अभी उदंती में बचे 8 में से 6 वन भैंसे इसी बाड़े में मौजूद है.