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अस्पताल में धूल खा रही डायलिसिस मशीन, दूसरे राज्य जाने को मजबूर मरीज - dialysis machine government hospital news

गरियाबंद के सरकारी अस्पताल में बीते डेढ़ साल से डायलिसिस की मशीन धूल खाती पड़ी है, जिसकी वजह से किडनी के मरीजों को रायपुर और ओडिशा के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. वहीं अधिकारियों के मुताबिक इसे जल्द ही शुरु किया जाएगा.

bad condition of dialysis machine in governmenrt hospital gariyaband
गरियाबंद जिला अस्पताल में धूल खा रही डायलिसिस मशीन
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Published : Mar 4, 2020, 2:04 AM IST

गरियाबंद: जिले में किडनी के मरीजों के लिए सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सरकार मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लाख वादे करती है, इसके बावजूद भी मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिला सरकारी अस्पताल में डेढ़ साल पहले सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर डायलिसिस मशीन तो भेज दी, लेकिन उस मशीन को ऑपरेट करने के लिए ऑपरेटर की व्यवस्था नहीं कर पाई.

अस्पताल में धूल खा रही डायलिसिस मशीन

हालत ये है कि अब ये मशीन एक कमरे में बंद पड़ी धूल खा रही है और मरीज डायलिसिस कराने के लिए रायपुर ओडिशा और के चक्कर काट रहे हैं.

डायलिसिस के लिए मरीज को जाना पड़ रहा ओडिशा

देवभोग के एक किडनी मरीज जगदीश अग्रवाल और उसके परिजनों ने सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी. जगदीश पिछले कई साल से किडनी की बीमारी से जुझ रहा है. तीन साल पहले उसकी दोनों किडनियां खराब होने पर उसके पिता ने अपनी किडनी देकर उसकी जान बचाई थी. थोड़े दिनों तक जगदीश की हालत ठीक रही, लेकिन बाद में वह किडनी भी खराब हो गई. करीब ढाई साल से जगदीश डायलिसिस पर है और सप्ताह में तीन बार इलाज के लिए उसे ओडिशा के भवानीपटना जाना पड़ता है.

'शासन की व्यवस्था बेहतर होती तो नहीं होते लाखों खर्च'

जगदीश और उसके परिजनों का आरोप है कि, 'डेढ़ साल से देवभोग अस्पताल में डायलिसिस मशीन आ गई है और धूल खा रही है. यहां होने के बाद भी ये मशीन अब तक चालू नहीं हो पाई है. जिसका खामियाजा सुपेबेड़ा औैर आस-पास के गांव के किडनी मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.'

वहीं परिजनों का दावा है कि वे अब तक जगदीश की बीमारी पर 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. परिजनों का कहना है कि, 'अगर शासन की व्यवस्थाएं बेहतर होती तो हमें इतनी भारीभरकम रकम नहीं खर्च करनी पड़ती.'

'किडनी दिवस के दिन शुरू की जाएगी डायलिसिस मशीन'

इस संबंध में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ऐन नवरत्न का कहना है कि, 'डायलिसिस मशीन चलाने के लिए विशेषज्ञ ऑपरेटर नहीं मिल रहे थे. अभी विश्व किडनी दिवस पर गरियाबंद देवभोग समेत चार अन्य जिलों में एक साथ डायलिसिस मशीन शुरू करने की तैयारी है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर से चर्चा हुई है. संभवत 15 दिनों के अंदर यह सुविधा लोगों को मिलने लगेगी.'

'12 मार्च को की जाएगी मशीन की शुरुआत'

जिले में डायलिसिस मशीन की सुविधा नहीं मिलने की वजह से किडनी के मरीज अपनी जमीन-जायदाद बेचकर इलाज कराने को मजबूर हैं. लाखों की मशीन धूल खा रही है, मरीज तड़प रहें हैं और सरकार बीते डेढ़ साल में इस पर ध्यान नहीं दे पाई. वहीं अधिकारियों के मुताबिक इसकी शुरुआत 12 मार्च को की जाएगी, लेकिन लोगों को अभी भी सरकार पर भरोसा नहीं है कि उन्हें यह सुविधा ठीक ढंग से लगातार मिल पाएगी या नहीं.

गरियाबंद: जिले में किडनी के मरीजों के लिए सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सरकार मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लाख वादे करती है, इसके बावजूद भी मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिला सरकारी अस्पताल में डेढ़ साल पहले सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर डायलिसिस मशीन तो भेज दी, लेकिन उस मशीन को ऑपरेट करने के लिए ऑपरेटर की व्यवस्था नहीं कर पाई.

अस्पताल में धूल खा रही डायलिसिस मशीन

हालत ये है कि अब ये मशीन एक कमरे में बंद पड़ी धूल खा रही है और मरीज डायलिसिस कराने के लिए रायपुर ओडिशा और के चक्कर काट रहे हैं.

डायलिसिस के लिए मरीज को जाना पड़ रहा ओडिशा

देवभोग के एक किडनी मरीज जगदीश अग्रवाल और उसके परिजनों ने सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी. जगदीश पिछले कई साल से किडनी की बीमारी से जुझ रहा है. तीन साल पहले उसकी दोनों किडनियां खराब होने पर उसके पिता ने अपनी किडनी देकर उसकी जान बचाई थी. थोड़े दिनों तक जगदीश की हालत ठीक रही, लेकिन बाद में वह किडनी भी खराब हो गई. करीब ढाई साल से जगदीश डायलिसिस पर है और सप्ताह में तीन बार इलाज के लिए उसे ओडिशा के भवानीपटना जाना पड़ता है.

'शासन की व्यवस्था बेहतर होती तो नहीं होते लाखों खर्च'

जगदीश और उसके परिजनों का आरोप है कि, 'डेढ़ साल से देवभोग अस्पताल में डायलिसिस मशीन आ गई है और धूल खा रही है. यहां होने के बाद भी ये मशीन अब तक चालू नहीं हो पाई है. जिसका खामियाजा सुपेबेड़ा औैर आस-पास के गांव के किडनी मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.'

वहीं परिजनों का दावा है कि वे अब तक जगदीश की बीमारी पर 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. परिजनों का कहना है कि, 'अगर शासन की व्यवस्थाएं बेहतर होती तो हमें इतनी भारीभरकम रकम नहीं खर्च करनी पड़ती.'

'किडनी दिवस के दिन शुरू की जाएगी डायलिसिस मशीन'

इस संबंध में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ऐन नवरत्न का कहना है कि, 'डायलिसिस मशीन चलाने के लिए विशेषज्ञ ऑपरेटर नहीं मिल रहे थे. अभी विश्व किडनी दिवस पर गरियाबंद देवभोग समेत चार अन्य जिलों में एक साथ डायलिसिस मशीन शुरू करने की तैयारी है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर से चर्चा हुई है. संभवत 15 दिनों के अंदर यह सुविधा लोगों को मिलने लगेगी.'

'12 मार्च को की जाएगी मशीन की शुरुआत'

जिले में डायलिसिस मशीन की सुविधा नहीं मिलने की वजह से किडनी के मरीज अपनी जमीन-जायदाद बेचकर इलाज कराने को मजबूर हैं. लाखों की मशीन धूल खा रही है, मरीज तड़प रहें हैं और सरकार बीते डेढ़ साल में इस पर ध्यान नहीं दे पाई. वहीं अधिकारियों के मुताबिक इसकी शुरुआत 12 मार्च को की जाएगी, लेकिन लोगों को अभी भी सरकार पर भरोसा नहीं है कि उन्हें यह सुविधा ठीक ढंग से लगातार मिल पाएगी या नहीं.

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